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श्यामा बाबू न होते तो कश्मीर..? अटल जाओ दुनिया को बताओ..एक देश दो विधान नहीं चलेगा

नयी दिल्ली : भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख आदर्शों में से एक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज 6 जुलाई को जयंती है। इस अवसर पर जहां भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा एक वर्चुअल रैली करेंगे वहीं पीएम मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया है कि “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे, जिन्होंने भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई। देश की एकता के लिए उन्होंने योगदान दिया और उनके विचार करोड़ों लोगों को प्रेरित करते हैं।”

जयंती पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, नड्डा करेंगे रैली

बहुत कम लोग जानते हैं कि कश्मीर से धारा 370 तो आज हटा है, पर भारतीय लोकतंत्र के इस कलंक को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बहुत पहले ही मिटा दिया था। उन्होंने 1951 में तब उनके सचिव रहे अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था—अटल जाओ दुनिया को बताओ, श्यामा प्रसाद ने तोड़ दिया परमिट सिस्टम जो कश्मीर में दो विधान, दो प्रधान की इजाजत देते हैं। एक देश में दो विधान, एक देश में दो निशान और एक देश में दो प्रधान नहीं चलेंगे।

1951 में नेहरू से अलग हो रखी जनसंघ की नींव

मां भारती के सच्चे सपूत डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म आज ही के दिन 6 जुलाई 1901 में कोलकाता में हुआ था। श्री मुखर्जी ने जवाहरलाल नेहरू से अलग होकर 1951 में भारतीय जनसंघ की नींव रखी थी। उन्होंने उस समय कश्मीर में दो प्रधानमंत्री का विरोध किया। यह उन्हीं द्वारा धारा 370 पर शुरू की गई बहस का नतीजा है कि आज जम्मू कश्मीर में मोदी सरकार एक विधान, एक निशान और एक प्रधान की व्यवस्था लागू करने में सफल हो पाई है।

श्रीनगर की जेल में रहस्यमय हालात में हुई मौत

जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने करीब सात दशक पहले ही कश्मीर को लेकर इस सपने को जिया था और उसके लिए ही कुर्बान भी हो गए थे। उनकी 23 जून 1953 को श्रीनगर जेल में रहस्यमय हालात में मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को तोड़ कर लखनपुर में प्रवेश करने के दौरान ही मुखर्जी ने अपने साथ आए युवा अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि जाओ अटल दुनिया को बताओ कि श्यामा ने परमिट सिस्टम को तोड़ दिया है।

नमक के ट्रक में छिपकर लौटे थे अटल बिहारी

मुखर्जी को लखनपुर में प्रवेश करते ही शेख अब्दुल्ला सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। उनका संदेश देश तक पहुंचाने के लिए अटल नमक से भरे ट्रक में छिप कर जम्मू से भद्रवाह पहुंचे थे। वहां से हिमाचल के रास्ते होते हुए लौटे थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवादी ताकतों की मुहिम को बल मिला था। कुछ समय बाद शेख अब्दुल्ला को भी गिरफ्तार कर लिया गया। श्यामा बाबू के बलिदान के कुछ समय बाद ही प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को खत्म कर दिया। अब भाजपा ने श्यामा के पद चिह्नों पर चलते हुए जम्मू कश्मीर की सभी समस्याओं की जड़ अनुच्छेद 370 को ही तोड़ दिया।