भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद का असर रक्सौल-काठमांडू रेललाइन निर्माण पर नहीं पड़ेगा। रेलवे ने निर्माण सम्बन्धी खबरों पर विराम लगाते हुए कहा कि भारत-नेपाल के बीच रेललाइन निर्माण में कोई बाधा नहीं है और न ही करार रद्द करने जैसी कोई बात है। बल्कि इसको लेकर काम और तेजी से शुरू हो गया है।
सर्वे का काम एक पब्लिक सेक्टर की कंपनी कोंकण दिया गया है। एक साल में सर्वे का काम पूरा होने के बाद इस परियोजना के लिए टेंडर होगा। 136 किलोमीटर लंबे रेलखंड पर 13 मुख्य स्टेशन, पहाड़ खोदकर सुरंग, 32 रेलवे ओवरब्रिज, 53 अंडरपास, 41 बड़े पुल तथा 261 छोटे पुल बनेंगे। सर्वे पूरा होने के बाद स्टेशन, पुल- पुलिया, अंडरपास, ओवरब्रिज की संख्या को घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
विदित हो कि रेलवे की इस महत्वकांक्षी परियोजना 31 अगस्त, 2018 को भारत व नेपाल के प्रधानमंत्री ने समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इस हस्ताक्षर के बाद जून 2020 तक डीपीआर तैयार होना था। लेकिन, इसबीच विवाद शुरू हो गया तथा इसका प्रभाव इस परियोजना पर पड़ा। विवाद के कारण अटकलें तेज होने के बाद दो दिनों पहले भारत-नेपाल के बीच परियोजना को लेकर वार्ता हुई और दोनों सरकारों ने हरी झंडी दे दी।