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तेजस्वी के लिए शहाबुदृीन मजबूरी भी, जरूरी भी! आखिर क्यों?

पटना : बिहार की सियासत में आरजेडी के लिए बाहुबली शहाबुदृीन मजबूरी भी हैं और जरूरी भी। राजद सुप्रीमो लालू की बात करें तो जहां उनके लिए शहाबुदृीन बेहद जरूरी रहे हैं, वहीं लालू की अनुपस्थिति में पार्टी की कमान संभालने वाले प्रोग्रेसिव तेजस्वी के लिए शहाबुदृीन का साथ लेना बहुत बड़ी ‘मजबूरी’ है। बाप—बेटे की इस ‘जरूरी और मजबूरी’ के मूल में राजद का परंपरागत ‘माय’ समीकरण ही है। यही कारण है कि कल अपने संविधान बचाओ यात्रा के तहत सिवान पहुंचे पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद की राह पर चलने का फैसला ले लिया। संविधान बचाओ न्याय यात्रा के दूसरे चरण के दौरान तेजस्वी यादव ने यहां बाहुबली और राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के परिजनों से न सिर्फ मुलाकात की, बल्कि अपनी सभाओं में उन्हें मंच पर बेहद खास जगह भी दी।

हिना शहाब से गोपनीय बैठक के बाद उतार फेंका ‘प्रोग्रेसिव चोला’

सिवान पहुंचे तेजस्वी यादव शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर भी गए तथा वहां पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के पिता और उनकी पत्नी हीना शहाब से मिले। शहाबुद्दीन के परिवार से मिलने के बाद ही तेजस्वी सभास्थल गए। तेजस्वी की शहाबुद्दीन की पत्नी और पिता से मुलाकात बेहद गोपनीय थी। इसमें किसी को भी इंट्री नहीं दी गई। इस मुलाकात के बाद यह साफ हो गया कि तेजस्वी अपने पिता के ‘एमवाई’ समीकरण को ही बरकरार रखने की कोशिश आगामी चुनावों में करेंगे। यानी उन्होंने ‘प्रोग्रेसिव’ दिखने वाला चोला पूरी तरह उतार फेंकने की तैयारी कर ली है।

यादव—मुस्लिम समीकरण ही होगा राजद का आधार

तेजस्वी की शहाबुद्दीन के परिवार से मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि जल्द ही लोकसभा चुनाव होने हैं और सभी की नजर सिवान सीट पर टिकी है। शहाबुद्दीन की पत्नी को राजद ने पिछले चुनाव में सिवान से मौका दिया था लेकिन वो बीजेपी के ओमप्रकाश यादव से हार गई थीं। ऐसे में तेजस्वी के इस सिवान दौरे ने संकेत दे दिया है कि 2019 के संसदीय चुनाव में भी राजद हिना को ही मौका देगा। यही नहीं, प्रदेश के मुसलमानों को भी यह संदेश दे दिया गया कि राजद का बेस ‘माय’ समीकरण ही रहेगा। यानी यादव—मुस्लिम समीकरण ही उनका आधार होगा।

जहां चंदा बाबू के बेटों को तेजाब में नहलाया, वहीं गए तेजस्वी

शहाबुद्दीन फिलवक्त भले ही जेल में बंद हों लेकिन सिवान के साथ ही प्रदेश भर के मुसलमानों पर उनका प्रभुत्व रहा है। शहाबुद्दीन और उनके गुर्गों पर सीवान के व्यवसायी चंदा बाबू के दो बेटों की निर्मम तरीके से हत्या करने और उन्हें तेजाब भरे टैंक में डाल देने का आरोप लगा तथा इसमें उसे सजा भी हुई। तेजस्वी भी सोमवार को शहाबुद्दीन के उसी बंगले पर पहुंचे जहां इस घटना को अंजाम दिया गया था। तेजस्वी के इस कदम पर विपक्ष ने ऐतराज जताया और कई सवाल खड़े किए।