प्रो परमानंद चौबे को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
दरभंगा : सीएम कॉलेज, दरभंगा के अर्थशास्त्र विभाग के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक प्रो परमानंद चौबे अपने विषय के मूर्धन्य विद्वान तथा कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक थे। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे शिक्षा के विकास के प्रति अनवरत प्रयत्नशील रहे। उक्त बातें महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा मुश्ताक अहमद ने प्रो चौबे के असामयिक निधन पर आयोजित शोकसभा की अध्यक्षता करके हुए कहा। उन्होंने कहा कि प्रो चौबे अपने सरल व सहज स्वभाव के कारण महाविद्यालय के छात्रों व शिक्षकों में काफी लोकप्रिय थे।वे 1967 से 1990 तक एमकेएस कॉलेज, चंदौना में अर्थशास्त्र के शिक्षक रहे।
अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ अवनि रंजन सिंह ने कहा कि स्वर्गीय प्रो चौबे 1990 से 2003 ई. तक महाविद्यालय में एक वरीय शिक्षक के रूप में उत्कृष्ट शिक्षण-कार्य किया जो प्रसंसनीय व अनुकरणीय है।आंखों से दिव्यांग होते हुए भी प्रो चौबे पूरी निष्ठा व दक्षता से महाविद्यालय की सेवा की। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने कहा कि विलक्षण प्रतिभा के धनी प्रो चौबे में एक आदर्श शिक्षक के साथ ही सामाजिकता का गुण विद्यमान था।उन्होंने 1984 ईस्वी में अपने पैतृक गांव रामपुरा (सिंघवारा, दरभंगा) में महंत विशेश्वर दास इंटर कॉलेज की स्थापना कर शिक्षा का अलख जगाया।सचिव के रूप में उन्होंने महाविद्यालय का चतुर्दिक विकास किया। मानवीय गुणों से युक्त उनका पूरा जीवन शिक्षा के विकास के प्रति समर्पित रहा।
हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो अखिलेश राठौर ने कहा कि प्रो चौबे शिक्षा जगत के मजबूत आधार स्तंभ थे, जिनका सादगीपूर्ण एवं अनुशासित जीवन अनुकरणीय है। शिक्षक संघ के सचिव डा रूपेंद्र झा ने कहा कि प्रो चौबे का निधन शिक्षा जगत की अपूरणीय क्षति है। शोकसभा में अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक प्रो शिप्रा सिन्हा,प्रो रमन बिहारी लाल व डा नीरज कुमार,प्रो अमृत कुमार झा, डा आर एन चौरसिया, विपिन कुमार सिंह, डा चंदा कुमारी, बिंदेश्वर यादव, रवि कुमार, अरुण कुमार झा, प्रतुल कुमार, कमलेश चौधरी, निधि कुमारी,अंकित कुमार, कृष्णदेव पासवान, शमशाद अली एवं सुभान खान आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राओं द्वारा मृत आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया। ज्ञातव्य है कि प्रो चौबे का निधन शुक्रवार को सुबह उनके पैतृक गांव रामपुरा, सिंघवारा में हो गया, जिससे उनके परिवार व समाज तथा पूरे महाविद्यालय परिवार में शोक की लहर आ गई।
छात्र-छात्रों के लिए समसामयिक विषयों पर वेबीनार का आयोजन
दरभंगा : कोरोना संक्रमण के लंबे दौर में पठन-पाठन से वंचित एवं परीक्षा फल का इंतजार कर रहे जरोंटेकनोलोजी एवं जेरियाट्रिक केयर के छात्र-छात्राओं का समसामयिक विषय पर ज्ञानवर्धन एवं स्वाध्याय के प्रति उत्साह वर्धन के उद्देश्य से जराविज्ञान एवं जरा चिकित्सा विज्ञान संस्थान, लनामिवि, दरभंगा के निदेशक प्रो० भवेश्वर सिंह द्वारा 26 जून को वेबीनार का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर हेल्प एज इंडिया, बिहार के संयोजक गिरीश चंद्र मिश्र ने ‘जरा विज्ञान में रोजगार के अवसर’ विषय पर तथ्यपरक एवं सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया तथा छात्रों द्वारा सामाजिक सरोकार के अत्यंत महत्वपूर्ण विषय जराविज्ञान के चयन पर उन्हें हार्दिक साधुवाद दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में उनके नियोजन के वर्तमान समय में उपलब्ध अवसरों की विस्तारपूर्वक चर्चा की।
एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक एवं जंतु विज्ञान के वरीय प्राध्यापक प्रो० एम निहाल ने बुजुर्गों में कोरोना संक्रमण की अधिक संभावना होने के पीछे जैविक एवं चिकित्सकीय कारणों की व्यापक रूप से समीक्षा की। रोग निरोधक क्षमता में भारी कमी तथा उम्र के इस दौर में कई उम्रजनित बीमारियों से ग्रस्त होना कोविड 19 संक्रमण के अतिशय खतरे के रूप में उन्होंने रेखांकित किया।
इस मौके पर सामाजिक दूरी के दरम्यान विशेष रूप से बुजुर्गों को मनोवैज्ञानिक संबल प्रदान करने की आवश्यकता पर बल देते हुए विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग, लना मिवि, दरभंगा के अवकाश प्राप्त प्राचार्य सह अध्यक्ष डॉ गौरी शंकर राय ने नियमित बुजुर्ग परामर्श की सलाह दी। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने अपनी जिज्ञासाएं वक्ताओं के समक्ष रखी तथा उनका समुचित समाधान प्राप्त किया।
निदेशक द्वारा वर्ग संचालन की अनुमति मिलने के बाद भी ससमय पाठ्यक्रम समाप्त किए जाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनुशंसा के अनुरूप अंशतः ऑनलाइन कक्षा आयोजन की संभावना व्यक्त की गई। इसके अतिरिक्त उन्होंने डिमेंशिया पर आधारित ऑनलाइन पाठ्यक्रम का प्रस्ताव प्राप्त होने की भी जानकारी दी।
इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव प्राप्त होने की दशा में विचारोपरांत इसे छात्र हित में लागू किए जाने की दिशा में अपेक्षित पहल किए जाने की सूचना आईजीजी के निदेशक प्रो० भवेश्वर सिंह ने दी। साथ ही उन्होंने मिथिलांचल की शैक्षणिक राजधानी दरभंगा और सम्पूर्ण मिथिलांचल में स्मृति लोप की समस्या से जूझ रहे बुजुर्गों की पहचान, सुश्रुखा एवं समुचित देखभाल का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद जताई।
जंतु विज्ञान विभाग,एमआर एम० महाविद्यालय, दरभंगा के शिक्षक काली चरण मिश्र के द्वारा सम्मानित अतिथियों एवं प्रतिभागी छात्र-छात्राओं के साथ-साथ वेबीनार के सफल संचालन में तकनीकी सहयोगियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
मुरारी ठाकुर