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MLC चुनाव के बहाने विरासत की जंग में तेजस्वी ने तेजप्रताप को दी पटखनी?

पटना : राजद के एमएलसी कैंडिडेट तय होने के साथ लालू कुनबे में मची विरासत की जंग भी अब लालू के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव ने सलटा लिया है। जब से लालू सीन से आउट हुए हैं, तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच पार्टी पर पकड़ के लिए पिछले करीब तीन वर्षों से जारी रस्साकसी का भी नतीजा सामने आ गया। विधान परिषद चुनाव के लिए तेजप्रताप के नाम का पत्ता साफ होना इसी का संकेत है।

एमएलसी चुनाव के बहाने साइडलाइन हुए तेजप्रताप

दरअसल, पिछले एक सप्ताह से लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का भी नाम राजद के संभावित एमएलसी कैंडिडेट के तौर पर सामने आ रहा था। लेकिन, आरजेडी ने तेजप्रताप यादव को एमएलसी कैंडिडेट नहीं बनाने का फैसला लिया। इसे तेजस्वी और पार्टी के राज्य अध्यक्ष जगदानंद सिंह की सोची समझी रणनीति का हिस्सा बताया जाता है। इसके तहत अब पार्टी पर पूरा होल्ड तेजस्वी का हो जाएगा। पिछले कई चुनावों—लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में, तेजप्रताप ने बड़ा बेटा होने के अधिकार से समानांतर फैसले लेने शुरू कर दिये थे और जिनसे पार्टी को चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसे देखते हुए पार्टी ने एक तरह से तेजप्रताप यादव को अब पूरी तरह साइडलाइन कर दिया है।

पिछले चुनावों में खड़ी की थी राजद के लिए मुश्किलें

हालांकि कई लोग तेजप्रताप यादव को विधान परिषद नहीं भेजे जाने के फैसले पर आश्चर्य जता रहे हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो ऐसा होना अवश्यंभावी थी। हाल में तेजप्रताप ने खुद को विधान परिषद भेजे जाने के लिए दबाव भी बनाया था। उनके समर्थकों ने काफी हो-हंगामा भी किया था, लेकिन तेजस्वी और जगदानंद सिंह की जोड़ी आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुए ही रणनीति बना रही है, ऐसे में तेज प्रताप कहीं से भी फिट नहीं बैठ रहे थे।

बहरहाल, राजनीतिक जानकार इसे तेजस्वी के आरजेडी पर ‘एकाधिकार’ से जोड़ रहे हैं। यह इससे भी जाहिर होता है कि हाल के दिनों में तेजप्रताप को अपने ही कुनबे में बहुत भाव नहीं मिल रहा है और वे धीरे-धीरे ही सही वे आरजेडी के राजनीतिक सीन से ही गायब होते जा रहे हैं। ऐसे में अब तेज प्रताप क्या करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।