शिलान्यास के एक वर्ष बाद भी नही शुरू हुआ सड़क निर्माण
मधुबनी : ठीक एक वर्ष पूर्व पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत ने सड़क का शिलान्यास किया था। कितु इस सड़क का कार्यारंभ आज तक नहीं हो सका। समस्याओं से रूबरू तेघरा गांव के युवकों का गुस्सा फुटा। मंगलवार सुबह तेघरा चौक निकट पीपल पेड़ के निकट सड़क को जाम कर दिया। चार घंटे तक यातायात बाधित रही। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 1990 में तेघरा गांव से दोनवारी तक के सड़क का निर्माण हुआ था। जो आज गड्ढे में तब्दील हो गया है। जिस कारण साधारण बूंदाबूंदी में भी गांव के लोगों को मुख्य सड़क पर निकलने में फजीहत उठानी पडती है। लोगों के चिरलंबित मांग पर माननीय मंत्री कपिलदेव कामत गत वर्ष 16 जून को इस सड़क का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के अंतर्गत निर्माणाधीन तीन किमी कि इस सड़क का प्राक्कलन तकरीबन 265 लाख रुपये है।
कितु बिडंवना यह रही कि एक वर्ष बाद भी कार्यारंभ नहीं हो सका। सूचना पर विभागीय एक्सक्यूटिव,सीओ सतीश कुमार,एसआई अरूण कुमार आदि पहुंचे। तीन सप्ताह के अंदर कार्यारंभ किए जाने के आश्वासन पर ग्रामीणों ने सड़क जाम हटाया। इस आंदोलन में योगेन्द्र सिंह,विनय कुमार कर्ण,रवीन्द्र कुमार,शिवशंकर कामत,संजीब कुमार,गुरूदेव साह,रामशंकर यादव,पवन कुमार,शिवकुमार कर्ण,अजय कुमार कर्ण,मुकेश साह,चंदन साह,अजय कामत,जयनारायण ठाकुर,खुशबू कुमारी,जीनब खातून आदि शामिल थे।
देश-विदेश में ख्याति पा चुका मधुबनी खादी, अब जोह रहा बाट
मधुबनी : शहर से सटे रहिका प्रखंड की भच्छी पंचायत का वार्ड नंबर आठ कभी बुनकरों से गुलजार था, आज सन्नाटा है। बाजार की अनुपब्धता व बुनकरों को मेहनताना तक नहीं निकल पाने से कुछ ही घरों में अब हस्तकरघा चल रहा। रोज 10 से 12 घंटे के काम में बमुश्किल सौ से डेढ़ सौ रुपये मिल पाने की स्थिति में काम हो तो कैसे? इन बुनकरों के हाथों बने खादी के कपड़े कभी देश-विदेश में प्रसिद्ध थे। प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत भी मधुबनी की खादी के शौकीन थे।
मगर, आज जिले में मुश्किल से पांच से सात लाख के खादी से ही सूत के कपड़े बन रहे। चेन्नई से आए धागों को लेकर हस्तकरघा पर काम कर रहे मो. हासिम व्यवस्था से दुखी हैं। कहते हैं, दो दिन पूरा काम करूंगा तो दो सौ रुपये बचेंगे। बताइए, ऐसे में अगली पीढ़ी क्यों यह काम करे। तीन बेटे हैं। मेरी दशा देखकर किसी ने यह काम नहीं सीखा। मो. हासिम हल्की गुलाबी रंग के मद्रासी धागे से जो कपड़ा बना रहे वह दो दिनों में एक थान (करीब 12 मीटर) तैयार होगा। इसमें उन्हेंं दो रुपये की बचत होगी। यानी, मजदूरी सौ रुपये प्रतिदिन।
2014 में समिति भंग होने के बाद बुनकरों के खराब दिन आ गए। मधुबनी की खादी ठंड के मौसम में गरम और गर्मी में राहत देती है। मगर, चटख रंग के कारण बाजार में दूसरे जगह की खादी की मांग है। मधुबनी खादी के कपड़े का रंग थोड़ा कम चटख है। मगर, यह पक्का रंग है। मो. तालिम कहते हैं कि बाजार में कम होती मांग से दस की जगह अब कम हस्तकरघे चल रहे। खादी सूत की उपलब्धता भी नहीं है।
खादी कपड़ा तैयार करने वाले हाथ अब अस्पतालों में सतरंगी चादर एवं पर्दा निर्माण कर रहे। 35 वर्षों से ताना चला रहे मो. जाहिद अभी पर्दा व सतरंगी चादर के कपड़े बना रहे। किसी तरह दो से ढाई सौ रुपये मजदूरी निकल जा रही। यहीं के मो. अबुजर अंसारी अब मजदूरी करना पसंद कर रहे। कहते हैं 15 से 20 हजार की पूंजी में ताना बनता है। मगर, सौ-दो सौ मजदूरी नहीं निकल पाती।
करघा के लिए नामित सभी बुनकरों को यूआइडी नंबर तक नहीं मिला है। इस कारण बुनकर क्रेडिट कार्ड, स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभ से वंचित हैं। जिले के 38 बुनकरों का चयन फ्रेमलूम देने के लिए किया गया था। मगर, अब तक 18 को ही दिया गया है। मो. जिबराइल, हमीदा खातून समेत 20 बुनकर एक साल से फ्रेमलूम के लिए टकटकी लगाए हुए हैं।
इस बारे में जिला उद्योग केंद्र मधुबनी के महाप्रबंधक विनोद शंकर सिंह ने बताया कि जिन बुनकरों को यूआइडी मिल गया है, उनको योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। शेष रजिस्टर्ड बुनकरों को भी यूआइडी उपलब्ध कराया जाएगा। 78 बुनकरों को पूंजी के रूप में दस-दस हजार रुपये दिए गए हैं।
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है अंतराष्ट्रीय पैरा तैराक शम्स का नाम
मधुबनी : राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराक मो शम्स आलम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है। आठ दिसंबर 2019 को बिहार तैराकी संघ द्वारा पटना के लॉ कॉलेज घाट पर गंगा में आयोजित मिश्री लाल स्मृति ओपन तैराकी चैंपियनशिप में 24 सामान्य व दिव्यांग तैराकों ने हिस्सा लिया था।
शम्स ने 12 मिनट 23 सेकंड में दो किमी की तैराकी पूरी कर प्रथम स्थान हासिल किया था। बिस्फी प्रखंड के रथौस गांव निवासी मो. नसीर के पुत्र शम्स (33) का कहना है कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम आने के बाद अब एशियन बुक ऑफ रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड व गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन देंगे।
लोस चुनाव 2019 में आयोग ने बनाया था ब्रांड एंबेस्डर
शरीर का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त होने के बाद भी शम्स जिले से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांच दर्जन मेडल प्राप्त कर चुके हैं। वर्ष 2010 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान रीढ़ में दर्द की शिकायत हुई। मुंबई के एक अस्पताल में ऑपरेशन हुआ। पांच माह बाद दूसरे अस्पताल में ऑपरेशन हुआ। वर्ष 2012 में चिकित्सकों ने दिव्यांग होने की बात कही। व्हीलचेयर के सहारे दिन गुजारने लगे। लेकिन, हिम्मत नहीं हारी। तैराकी में मेहनत करने लगे। वे ग्रामीण क्षेत्र में दिव्यांग खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने की इच्छा रखते हैं।
पैरा तैराकी में अमेरिका के फ्लोरिडा में खिताब हासिल करने वाले शम्स देश के विभिन्न हिस्सों में पैरा तैराकी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल सहित कई पुरस्कार जीत चुके हैं। मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट शम्स वर्ष 2018 में उनका चयन अमेरिकी सरकार के खेल विभाग और अमेरिका के टेनेसी विवि के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ग्लोबल स्पोर्ट्स मेंटरिंग प्रोग्राम के लिए हुआ था।
वर्ष 2017 को गोवा में एक ट्रैवल्स कंपनी की ओर से आयोजित उमोजा बीच फेस्टिवल में चार घंटे चार मिनट में आठ किमी की तैराकी कर रिकॉर्ड बनाया। जुलाई 2017 में बर्लिन में आयोजित पैरा वल्र्ड सीरीज स्विमिंग चैंपियनशिप में 54 देशों के 634 खिलाडिय़ों के साथ प्रदर्शन में एस पांच कैटगरी में सातवीं रैंक हासिल की। अगस्त 2017 में पटना की व्हीलचेयर रग्बी चैंपियनशिप में बिहार टीम के कप्तान के रूप में भाग लिया। जकार्ता में वर्ष 2018 में होने वाले एशियन पैरा गेम्स में भाग लिया। वर्ष 2017 को बिहार दिव्यांग स्पोर्ट्स एकेडमी तथा इसी वर्ष बिहार सरकार द्वारा पटना में खेल सम्मान समारोह में सम्मानित किया था।
निर्माणाधीन सड़क पर खोद दिया नाला, लोगों की बढ़ी परेशानी
मधुबनी : घोघरडीहा प्रखंड के ब्रह्मपुर दक्षिणी पंचायत के बेलहा गांव में जलनिकासी की समस्या के समाधान के लिए एक दूसरी बड़ी समस्या प्रशासन ने खड़ी कर दी है। यह बातें पूर्व विधायक सह जदयू के वरिष्ठ नेता देवनाथ यादव ने कही।
उन्होंने कहा कि सोमवार को अंचल अधिकारी रमण कुमार अपने दल बल के साथ बेलहा पंहुचकर घनी आबादी में महेश मल्लिक घर से पंचायत भवन होते हुए ब्रह्मपुर-ब्रह्मपुरा प्रधानमंत्री सड़क तक करीब पांच सौ फीट में रोड के बीचों बीच चार फीट चौड़ा और तीन फीट गहरा नाला खोद दिया गया है। जिससे जल निकासी तो हो रही है, लेकिन सड़क के दोनों ओर जिनका घर है वे अपने घरों से नही निकल पा रहे हैं। दर्जनों परिवार के लोगो को घर से निकलने के लिए
नाले में बहते गंदे पानी से होकर मुख्य सड़क तक आना पड़ रहा है। जिससे ग्रामीणों में अंचल प्रशासन के प्रति काफी आक्रोश है। पूर्व विधायक ने कहा कि नाला को स्थानीय कुछ लोगों ने झोपड़ी बनाकर अतिक्रमण कर लिया है। प्रशासन के द्वारा उसे खाली नहीं कराकर निर्माणाधीन सड़क पर खोदकर नाला बनाया गया है,जो सरासर अन्याय है।
उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा-महादलित बाहुल्य मुहल्ला के लोगों को बरसात के दिनों यानी तीन से चार महीनों तक एक तरह से प्रशासन के द्वारा घर में कैद कर दिया गया है।
सुमित राउत