Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured संस्कृति

अमृतवर्षा का दिन यानी शरद पूर्णिमा : क्या है मुहूर्त और कैसे करें पूजन?

पटना : शरद पूर्णिमा का हिन्दु धर्म में खास महत्व है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस वर्ष 24 अक्टूबर बुधवार के दिन शरद पूर्णिमा पड़ रहा है। हर माह आने वाली पूर्णिमा पर बहुत सारे लोग व्रत रखते हैं और चांद की पूजा करते हैं। मगर आश्विन माह की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा को सबसे ‘बड़ा पूर्णिमा’ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अनुष्ठान किया जाए तो वह अवश्य सफल होता है। इस दिन चांद के प्रकाश में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे धरती पर गिरता है और उसकी किरणों के नीचे रखकर किसी खाद्य पदार्थ को खाना हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है। इस बार पूर्णिमा 23 अक्टूबर को रात 10.36 से शुरू हो रहा है। अत: सूर्य की उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 24 को रात सवा दस बजे तक ही पूर्णिमा का काल है।

क्या है पूजा की विधि

शरद पूर्णिमा के दिन प्रातः काल इष्टदेव का पूजन करना शुभ माना जाता है। तत्पश्चात इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी का दीपक जलाएं। ब्राह्मणों को खीर का भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा दें। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शरद पूर्णिमा का विशेष व्रत रखें। रात्रि में चन्द्रमा को अर्ध देने के बाद ही भोजन करें।

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा भगवान विष्णु के सोने का अंतिम चरण होता है। इस दिन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अपनी किरणों से रातभर अमृत वर्षा करती हैं। इस रोशनी के नीचे खीर बनाकर रखने से और फिर उसके खाने से शरीर को कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। धर्मग्रंथों के अनुसार यह दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे उपाय से भी बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसलिए धनप्राप्ति के लिए भी ये दिन सबसे उत्तम माना जाता है।