पूरनमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार प्रारंभ
भागलपुर : कोरोना संक्रमण से बचने के लिए पिछले तीन महीनों से बंद पड़े स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों में आजकल बच्चों को अपने संपर्क में रखने के लिए और उनके शैक्षणिक सत्र में अत्यधिक नुकसान को बचाने के लिए नई शिक्षा प्रणाली के प्रारूप में जन्म लिया है।इस शिक्षण प्रणाली को ऑनलाइन शिक्षण प्रणाली के रूप में जाना जा रहा है। हालांकि यह शिक्षण प्रणाली की शुरआत भारत में बहुत ही पहले हो गई थी परंतु देश के सभी जगहों पर इसका व्यापक विस्तार इस कोरोना काल में ही देखने को मिला। इस प्रणाली के माध्यम से स्कूल ,कॉलेज ,विश्वविद्यालय, के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है।
इसके साथ ही साथ कॉलेजों में होने वाले सेमिनार की जगह ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन करवाया जा रहा है। इसी कड़ी में भागलपुर पूरनमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में एक वेबीनार का आयोजन करवाया गया। इस वेबीनार का उद्घाटन विद्यालय से अध्यक्ष डॉ चन्द्र भूषण सिंह, सदस्य डॉ मधुसूदन झा, मारवाड़ी महाविद्यालय के प्रो रामसेवक सिंह एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया ।
गुरूकुल पद्धति के कारण मजबूत होते थे गुरु शिष्य का संबंध
इसके साथ वेबीनार के विषयों पर बातचीत करते हुए भागलपुर विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति डॉ रमाशंकर दुबे ने कहा कि प्रचीन शिक्षा गुरूकुल पद्धति की थी जिसमें शिष्य शिक्षा ग्रहण करने जाते थे तो उसका खर्च समाज वहन करता था ।शिष्य भिक्षा मांगकर लाते थे और उससे गुरूकुल का खर्च चलता था ।गुरु शिष्य का उस समय मजबूत संबंध होता था ।शिष्यों के सर्वांगीण विकास हेतु शरीर, मन,बुद्धि, आत्मा के साथ साथ शस्त्र एवं शास्त्रों की शिक्षा देकर शिष्यों का विकास किया जाता था ।गुरु शिष्य के अन्दर की प्रतिभा को देखकर उसे तरासते थे ये शिक्षा की परंपरा थी ।सांसारिक ज्ञान को आध्यात्मिक ज्ञान से जोडना आवश्यक है ।
गुरु शिष्य मिलकर ऐसी समाज की स्थापना करे जो समाज के साथ साथ देश को भी आगे बढ़ाएं
आज गुरु शिष्य मिलकर ऐसी समाज की स्थापना करे जो समाज के साथ साथ देश को भी आगे बढाएगा ।हमारी भावनाएँ भारतीय संस्कृति के आसपास ही होनी चाहिए।हमें भारतीय शिक्षा को भारतीय दृष्टिकोण से करानी है ।पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था में हमें संस्कार,आध्यात्म भरते हुए शिक्षा देना है ।
भविष्य की संभावनाओं पर विचार करने की जरूरत
आज के वेबिनार में विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय सचिव दिलीप कुमार झा ने कहा कि भारतीय शिक्षा के स्वरूप गुरूकुल से वर्तमान समय में काफी परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा ही हमें भविष्य की संभावनाओं पर विचार करने की भी जरूरत है।देश भर में विद्या भारती शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा के साथ साथ जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा देने का कार्य कर रही है ।शिक्षा सिर्फ़ रोटी देने वाली न हो यह मानव को मानव से जोडने वाली होनी चाहिए ।
शिक्षक को छात्र की भाषा को जानना जरूरी
इसके साथ ही गया केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रो सनत कुमार शर्मा ने कहा कि शिक्षा में गुरु और शिष्य का सामंजस्य होना चाहिए ।इसलिए शिक्षक को छात्र की भाषा को जानना जरूरी है तथा उसे तकनीकी बनाना जरूरी है।
आदर्श शिक्षक वो जो विद्वता के साथ साथ स्वस्थ रहे
वहीं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो डॉ नन्द किशोर साहाजी ने कहा कि शिक्षकों में संबोधन, तादात्म्य, आशावादी, उत्साह, रहन सहन, बात चीत शैली, संयम, निष्पक्ष, शुभचिंतन, सहानुभूति, जीवन शक्ति, गुणवत्ता पूर्ण गुण होनी चाहिए तभी आदर्श शिक्षक कहलाएंगे ।हमें सभी वर्गों के छात्रों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए ।छात्रों को देश का आदर्श नागरिक बनाने का प्रयास करना चाहिए ।आदर्श शिक्षक वो है जो विद्वता के साथ साथ स्वस्थ रहे।
भारती शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव गोपेश कुमार घोष ने कहा कि छात्रों के उत्तरोत्तर विकास हेतु जो संभव हो सके कार्य करना चाहिए इसके लिए न कठोर बनना है और न मुलायम रहना है ।बच्चों में कार्य वृत्ति के प्राण का संचार करना चाहिए ।
विकल्प के रूप में ऑनलाइन कक्षा की व्यवस्था
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री अवनीश भटनागर ने कहा कि भारतीय शिक्षा दर्शन के परिपेक्ष्य में चुनौती पर प्रकाश डाला है ।उनके अनुसार विद्यालय विकल्प के रूप में ऑनलाइन कक्षा की व्यवस्था की गई है ।उनका मानना है कि जीवन दृष्टि से शिक्षा के उद्देश्य को अलग करने से उसका महत्व समाप्त हो जाता है ।
ऑनलाइन बैठक में अतिथि परिचय महाविद्यालय के प्राचार्य अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा किया गया ।संचालन सरिता कुमारी द्वारा एवं फुलवडिया बी एड काॅलेज के संदीप कुमार सिंह द्वारा किया गया ।धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के सचिव ब्रजभूषण तिवारी द्वारा किया गया ।
इस अवसर पर विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली रामजी, डॉ मधुसूदन झा, डॉ अजीत कुमार पाण्डेय, राजकुमार ठाकुर, गौरी शंकर मिश्र, रौशन सिन्हा, हरेन्द्रनाथ पांडे, धनंजय कुमार, रामजी पोद्दार, शशि भूषण मिश्र एवं पूरे देश से पांच सौ प्रतिभागी जुड़े थे।