अंधविश्वास कोरोना पर भारी, हजारों महिलाएं लगा रही कमला नदी में डुबकी
मधुबनी : वैश्विक महामारी कोविड-19, नोवेल कोरोना वायरस से इन दिनों पूरा विश्व परेशान है फ़िलहाल इसका वैक्सीन या दवा नहीं होने के कारण लाखों लोगों की जान जा चुकी है। इस महामारी से बचाव के लिए सरकार लगातार लोगों से मास्क पहनने, साबुन से हाथ धोने और देह से दूरी के नियमों का पालन करने को कह रही है।
पर मधुबनी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना से बचाव के लिए कई तरह के अंधविश्वास देखने को मिल रहे है। ग्रामीण इलाकों की महिलाएं इस महामारी से बचाव के लिए हजारों की संख्या में कमला नदी के तट पर इकठ्ठा हो कर पूजा अर्चना कर रही है।
नदी किनारे इकठ्ठा हुई महिलाएं सभी नियमों की धज्जियां उड़ा रही है, मास्क व देह से दूरी जैसी सावधानियां का यहां तनिक भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। हजारो की संख्या में कई गांव से इकठ्ठा हुई महिलाएं तथाकथित कोरोना माता की पूजा अर्चना कर उन्हें मानाने में लगी हुई है।
कोरोना वायरस बना कोरोना माई
जिले के जयनगर में पिछले कई दिनों से महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों की संख्या में महिलाओं ने कमला नदी में स्नान कर पूजा-अर्चना कर रही है साथ ही प्रसाद भी चढ़ाया जा रहा है। महिलाओं का मानना है कि यह कोरोना वायरस के रूप में किसी माता का अवतार हुआ है उनकी पूजा अर्चना नहीं होने पर नाराज हो गई है। पूजा करने से माता ख़ुश हो जाएँगी और कोरोना का प्रकोप धीरे-धीरे कम हो जायेगा।
यह मान्यता दिनों दिन जिले में फ़ैलती जा रही है। महिलाएं इस अंधविश्वास के चक्कर में इससे बचाव के सारे नियमों को ताख पर रख दी है। न ही देह से दूरी के नियमों का पालन किया जा रहा है और न ही महिलाएं फेस मास्क लगा रही है।
एक महिला ने बताया कि जहाँ हमलोग रहते थे (दूसरे राज्यों में) वहां के आसपास के लोगों ने कहा कि कोरोना माई गुस्सा होकर अपना प्रकोप दिखा रही है, अतः तुमसब इनको पूजा कर वैरागन के दिन नदी में स्नान कर पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर प्रसाद चढ़ना। इससे उनका गुस्सा शांत हो जाएगा, और कोरोना माई बीमारी को खत्म कर देंगी।
स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं
अंधविश्वास के चक्कर में हफ़्तों से महिलाएं कमला नदी किनारे इकठ्ठा हो रही है और सोशल डिस्टेंसिनग के नियमों की धज्जियां उड़ा रही है, पर स्थानीय प्रशासन को इसकी शायद भनक तक नहीं लगी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे प्रशासन को इसकी जानकारी तक नहीं हुई। ऑटो रिक्शा व निजी वाहनों से जब महिलाएं घाट परइतनी संख्या में पहुँच रही है, तो प्रशासन ने इन्हे रोका क्यों नहीं।
आखिर जयनगर प्रशासन क्यों सोशल डिस्टेंसिनग की धज्जियां उड़ाते इन लोगों को इग्नोर कर रहा है? आखिर जयनगर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के आवास से महज कुछ मीटर की दूरी पर हजारों लोग एकसाथ इकट्ठा हो गए, ओर पुलिस प्रशासन को भनक तक नही पड़ी?
कमला नदी के किनारे महिलाओं का इकठ्ठा होना कई सारे सवाल खड़ा करता है। मसलन आस्था के नाम पर ये अंधविश्वास को बढ़ावा देने का कार्य कौन कर रहे है। आखिर कौन है वो लोग जो इनको भगवान के नाम पर डरा कर इनसे अंधविश्वास को बढ़ावा दिलवा रहे हैं? कौन हैं वो लोग जो इन अनपढ़,गरीब लोगों को इस कोरोना काल मे भीड़ इकठ्ठा करवा रहे हैं? ऐसे ही कई अनुत्तरित सवाल है।
सुमित राउत