ताबतोड़ फायरिंग से थर्राया सुंदरपुर, एक की मौत
मधुबनी : नगर थाना क्षेत्र के सुंदरपुर भिट्टी गांव में जमीन से कब्जा हटाने को लेकर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। इसमें कई लोगों को गोली लगी। गोली लगने से ललन पासवान (30) नामक युवक की मौत हो गई। साथ ही करीब आधा दर्जन लोग घायल हैं। घटना के बाद तनाव को देखते हुए नगर डीएसपी कामिनी बाला समेत कई थानों की पुलिस पहुंच गई है। मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
यह है पूरा मामला :
बताया जाता है कि यहां करीब 40 बीघा जमीन पर लाल झंडा गाड़ दिया गया था। जांच में यह बात सामने आई थी कि इसमें रैयती जमीन भी है। इसके बाद प्रशासन की मध्यस्थता में जमीन खाली करने को लेकर समझौता भी हुआ था। मगर, लॉकडाउन के कारण जमीन खाली नहीं हो सकी। इस बीच बुधवार को दर्जनों की संख्या में हथियार के साथ पहुंचे लोगों ने जमीन खाली कराते हुए चहारदीवारी बनवाना शुरू कर दिया।
जमीन पर बसे लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। विवाद बढ़ता देख एक पक्ष की ओर से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी गई। सूचना के बाद जब तक पुलिस वहां पहुंचती कई लोगों को गोली लग गई। इसमें से सुंदरपुर भिट्टी के ललन पासवान ने दम तोड़ दिया। अन्य घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले में मुखिया अरुण झा समेत अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। वहीं दूसरे पक्ष से भी प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है।
कोरोना संकट में नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य का रखा जायेगा विशेष ख्याल
• एसएनसीयू, पोषण पुनर्वास केंद्र में मिलेगी विशेष सुविधाएं
• राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने पत्र जारी कर दिया निर्देश
• जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना किया जायेगा सुनिश्चित
• 102 एंबुलेंस की सुविधा मिलेगी नि:शुल्क।
वैश्विक महामारी कोरोना संकट में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है। ऐसी परिस्थिति में भी शिशुओं के स्वास्थ्य को लेकर विभाग चिंतित है। कोरोना महामारी में शिशुओं के लिए जरुरी स्वास्थ्य सेवाएं जैसे एसएनएससीयू एवं एनआरसी की सुविधा पहले की तरह प्रदान की जाएगी. इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार पत्र लिखकर सभी जिले के सिविल सर्जन को निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधित गतिविधियों के संचालित करने के लिए प्रावधान व मार्गदर्शन दिये गयें हैं। जिसमें कंटेंमेंट जोन तथा बफर जोन व ग्रीन जोन में शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन को लेकर दिशा निर्देश दिया गया है।
बीमार नवजात शिशु की देखभाल, डिस्चार्ज शिशु का फॉलो-अप तथा फैमली पार्टीसिपेट्री केयर कराना:
कॉनटेनमेंट जोजन तथा बफर जोन में बीमार नवजात शिशु को नजदीक के एसएनसीयू में चिकित्सकीय सुविधा प्रदान किया जायेगा। प्रत्येक एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) में प्रवेश द्वार के पास ट्राइजिंग के लिए एक रेडिंयट वार्मर भी उपलब्ध कराया जायेगा। कोविड-19 के संदिग्ध मरीज के लिए स्टेप डाउन/ फैमली पार्टीसिपेट्री केयर कमरे को दो रेडियण्ट वार्मार के साथ तैयार रखने के भी निर्देश दिए गए हैं. एसएनसीयू में फैमली पार्टीसिपेट्री केयर को वर्तमान परिस्थितियों स्थगित रखा जायेगा। बफर जोन से बाहर यानि ग्रीन जोन मंस सामान्य दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी सेवाओं को जारी रखा जायेगा।
कोविड-19 पॉजिटिव नवजात किया जायेगा पटना रेफर:
पत्र के माध्यम से बताया गया है कि कोविड-19 के पॉजिटिव नवजात को स्थिरीकरण करने के उपरांत राज्य सरकार के कोविड-19 के दिशा-निर्देश के आलोक में कोविड-19 के मरीजों के लिए चिन्हित संस्थानों एनएमसीएच, एएनएमएमसीएच एवं जेएलएनएमसीएच तथा नजदीकी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उचित व्यवस्था के साथ रेफर किया जायेगा।
एसएनसीयू से डिस्चार्ज शिशुओं का फॉलो-अप:
पत्र के अनुसार एसएनसीयू से डिस्चार्ज नवजात शिशुओं के संबंध में उनक माता या देखभालकर्ता के साथ एसएनसीयू के डाटा इंट्री ऑपरेटर के द्वारा फैसलिटी फॉलो-अप तथा आशा कार्यकर्ता के द्वारा सामुदायिक फॉलोअप दूरभाष के माध्यम से सुनिश्चित किया जायेगा. सिर्फ गंभीर नवजातों को हीं उचित वाहन के माध्यम से एसएनसीयू में भर्ती कराया जायेगा।
घर-घर जाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता करेंगे पूछताछ:
कोविड-19 के बचाव के उद्देश्य से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा गृह भ्रमण के दौरान ही शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधित आवश्यक पूछताछ की जायेगी और आवश्यक सेवा के लिए सुविधाएं प्रदान की जायेगी।
गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल:
कॉनटेंनमेंट व बफर जोन में नवजात शिशुओं को दूरभाष के माध्यम से नियमित गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल की सुविधा मिलेगी। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नियमित फॉलोअप किया जायेगा। साथ हीं कोविड-19 कार्यकर्ताओं के द्वारा गृह भ्रमण के दौरान शिशुओं के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित आवश्यक पूछताछ की जायेगी और आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करायी जायेगी। ग्रीन जोन में एचबीएनसी भ्रमण पूर्ववत दिशा-निर्देशों के अनुसार होगा।
पोषण पुनर्वास केंद्र पर जटिलयुक्त अतिगंभीर कुपोषित बच्चों का प्रबंधन:
कॉनटेंनमेंट और बफर जोन में कोविड-19 से बचाव के लिए चिकित्सकीय जटिलता वाले अतिगंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। कुपोषित बच्चों के उचित रेफरल की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। 102 एंबुलेंस सेवा मुफ्त में उपलब्ध करायी जायेगी। एनआरसी(पोषण पुनर्वास केंद्र) से डिस्चार्ज बच्चों को नियमित रूप से दूरभाष के माध्यम से फॉलोअप किया जायेगा। ग्रीन जोन में यह सेवा पूर्ववत संचालित किया जायेगा।
स्तनपान को बढ़ावा:
जारी पत्र में निर्देश दिया गया है कि माँ एवं नवजात शिशु को यथासंभव एक साथ रखा जाये तथा कोविड-19 के बावजूद जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान शुरू करना सुनिश्चित किया जाये। शिशुओं को हर बार स्तनपान कराते समय माँ द्वारा मास्क का प्रयोग एंव हाथ की स्वच्छता का पालन सुनिश्चित किया जाये।
नल-जल योजना के माध्यम से प्रवासी एवं स्थानीय मजदूरों को मिल रहा रोज़गार
मधुबनी : जिले के बाबूबरही प्रखंड में हर घर नल जल योजना के तहत लगाई जा रही है पाईप। गौरतलब है कि पिरही पंचायत के नवटोली गांव के वार्ड नंबर 2 में सात निश्चय योजना के अंतर्गत हर घर नल का जल योजना के माध्यम से पाइप लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है, जिसे हर परिवार को नल का जल समय से मिल सकें।
वही इस योजना के के माध्यम से लॉक डाउन में फंसे मजदूरों को स्वरोजगार मिला है, जिससे पिछले दो महीना से बेरोजगार हो चुके मजदूर की चेहरा पर खुशी खिल उठा।
लॉक डाउन होने के कारण सभी मजदूर पूर्ण रूप से बेरोजगार हो चुके थे, और मालिया हालात से जूझ रहे थे। वैसे बेरोजगार मजदूरों को स्वरोजगार मिलने से माली हालात में सुधार की आस दिख रहा है। इस बात की जानकारी देते हुए वार्ड सदस्य गुणन प्रसाद सिंह ने बताया कि इस कार्य को 15 जून तक पूर्ण करना है, इसलिए कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।
भैंसे के हमले में गंभीर रूप से घायल हुआ व्यक्ति
मधुबनी : जिले के बाबूबरही प्रखंड में भैंसा के हमला से अधेड़ हुआ गंभीर रूप से घायल। आनन-फानन में लोगों के द्वारा लाया गया डॉक्टर के पास। प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए किया गया पीएचसी रेफर।
मिली जानकारी के अनुसार प्रखंड क्षेत्र के पिरही पंचायत के खनुआटोल टोल के पास शाम सात बजे के आसपास एक व्यक्ति बाजार से अपने घर जा रहा था, उसी समय एक भैंसा उक्त व्यक्ति पर हमला कर दिया। जब तक उक्त व्यक्ति अपने आप को संभालता, तब तक भैंसा उसे अपनी चपेट में ले लिया। आसपास के लोगों के द्वारा भैंसा से उक्त व्यक्ति को बचाया गया। जब तक लोग वहां पर पहुंचे तब तक उक्त व्यक्ति को भैंसा गंभीर रूप से घायल कर दिया। उक्त व्यक्ति का सर फट गया, और हाथ भी फैक्चर हो गया।
स्थानीय लोगों के द्वारा आनन-फानन में घायल को एक ग्रामीण डॉक्टर के पास प्राथमिक उपचार लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद व्यक्ति को बेहतर इलाज हेतु पीएससी रेफर कर दिया गया। घायल व्यक्ति की पहचान खनुआटोल टोल के ही 40 वर्षीय जीवछ महतो के रूप में हुई है। इससे पूर्व भी आधा दर्जन लोग पर भैंसा हमला कर चुका है, जिसमें से कई लोगों को दरभंगा से इलाज चल रहा है।
कोरोना की मार : नेपाल बॉर्डर के बाजार हुए बेजार
मधुबनी : लॉकडाउन में ढिलाई के बाद बिहार के अन्य शहरों की तरह भारत-नेपाल सीमा के बाजार भी खुल गए हैं। जहां दूसरे शहरों में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी है, वहीं मधुबनी के जयनगर, लदनियां, बासोपट्टी, हरलाखी, उमगाँव, लौकहा, लौकही इत्यादि बाजारों में लॉक डाउन समाप्त होने के बावजूद सन्नाटा पसरा है। ये सीमावर्ती बाजार भले ही भारतीय क्षेत्र में हैं, परन्तु इनका 90 प्रतिशत थोक व खुदरा व्यवसाय नेपाली ग्राहकों से ही होता है।
भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा को सख्ती से सील किया गया है। जब तक दोनों देशों के बीच आवाजाही पर रोक नहीं हटेगी, सीमा के बाजार बेरौनक रहेंगे। लॉक डाउन से पहले रोजाना करोड़ों का कारोबार करने वाले इन शहर में व्यापारी निर्धारित समय से कुछ घंटा पहले ही दुकानें बंद कर ले रहे हैं। जब ग्राहक ही नहीं आ रहे हैं, तो दुकान खोलकर बैठे रहने से क्या फायदा है?
भारत-नेपाल सीमा पर हजारों व्यवसाइयों पर तिहरा मार पड़ी है। उनकी करोड़ों की पूंजी नेपाल में फंस गई है। गोदाम का माल बर्बाद हो गया है और 72 दिनों से व्यवसाय पर ब्रेक है। मधुबनी जिले के सैकड़ों व्यवसायियों के मोबाइल में भारत व नेपाल के अलग-अलग सिम कार्ड हैं। माल की आपूर्ति व बकाया वसूली के लिए रोजाना आना-जाना लगा रहा है। आजकल नेपाली नंबर खामोश हैं। बकाया लेकर बैठे नेपाली व्यवसायी इनके कॉल रिसीव नहीं कर रहे हैं।
लॉकडाउन से पहले दिन भर हजारों खुदरा व थोक खरीदारों का तांता लगा रहता था।
जयनगर के युवा व्यवसायी अनुराग गुप्ता कहते हैं कि नेपाल में आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत है। खाद्य सामग्रियों एवं अन्य सामान की कीमतें बढ़ गयी हैं। दूसरी ओर सीमावर्ती बाजार में मंदी है। जयनगर बाजार में व्यापारियों के माल पड़े रहे हैं। सीमा पर माल की अधिकृत ढुलाई शुरू हो गई है, परन्तु नेपाल के व्यवसायी लॉक डाउन के पहले का बकाया नहीं दे रहे हैं। पैसे मांगने पर सीधा जवाब देते हैं- पुराना हिसाब लॉक डाउन टूटने के बाद करेंगे। नया आपूर्ति की बात कीजिए। लाखों रुपये नेपाल में फंसे हैं। वो कहते हैं कि जब तक नेपाली व्यापारियों से रूबरू बात नहीं होगी, उनकी मंशा समझना मुश्किल है। बकाया भुगतान के बगैर अगली खेप भेजना खतरनाक है।
विगत दस वर्षों में व्यवसाय का बड़ा केन्द्र बनकर उभरे मधुबनी जिले के जयनगर बाजार में सन्नाटा है। दवा दुकानदार अमित कुमार राउत कहते हैं कि आलू-प्याज, खाद्दान्न व सीमेंट हो या दवा की दुकान, कहीं भी नेपाली खरीदार नहीं आ रहे हैं। सुबह होते ही नेपाल के कई जिले से हजारों पैदल व साइकिल-बाइक सवार नेपाली ग्राहकों की आवाजाही शुरू हो जाती थी। पहले फुर्सत नहीं मिलती थी। आज समय है, व्यापार नहीं। व्यापारियों को भविष्य की चिंता सता रही है। व्यापार बदलने की सोच रहे हैं, परन्तु नेपाल में बकाया डूबने का खतरा है।
जब तक नेपाल बॉर्डर नहीं खुलेगी, मधुबनी के कई प्रखंड मुख्यालय के बाजारों में चमक नहीं लौटेगी। जिस सड़क पर नेपाल के सिरहा,लहान, राजविराज, चोहरबा, जनकपुर एवं अन्य कई जिला के ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी, वह लॉक डाउन समाप्त होने पर भी खाली पड़ी है। नाम नही छापने की शर्त पर शहर के ही एक व्यवसायी बताते हैं कि हर दुकानदार का नेपाल में उधार फंसा है। कई लाख रुपये डूबने का खतरा है। करोड़ों का उधार दे चुके सभी व्यापारियों की लुटिया डूब गई। पिछले 72 दिनों में एक भी नेपाली ग्राहक माल नहीं ले गया। अगर कुछ दिन और बॉर्डर नहीं खुला तो व्यापारी रोड पर आ जाएंगे। पलदार से लेकर ड्राइवर-खलासी तक बाजार पर हजारों परिवार आश्रित हैं।
बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को मिलेगी मुफ्त शिक्षा, सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों मिलेगा दाखिला
मधुबनी : लॉकडाउन में नौकरी छूटने के बाद अपने प्रदेश पहुंचे प्रवासी श्रमिकों को अब बच्चों की पढ़ाई की चिंता नहीं सताएगी क्योंकि राज्य सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को मुफ्त में नामांकन करवाने की योजना बना ली है। दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, जयपुर, उड़ीसा, कोलकाता से लाखों की संख्या में पहुंचे प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का सर्वे करवाया जाएगी और सूची तैयार कर सभी बीईओ, डीईओ शिक्षा विभाग को भेजेंगे। इसके आधार पर नामांकन लेने का फैसला लिया जाएगा।
जुलाई के पहले सप्ताह में मिलेगा दाखिला। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बतौर पूरे मामले को लेकर जल्द बैठकें भी बुलाई है, और उसके बाद रणनीति तैयार कर सभी डीईओ को आदेश जारी किया जाएगा।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ० रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षा विभाग प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को मिशन के तहत नामांकन करवाने की कार्य योजना बनाने में जुटा है, और जुलाई प्रथम सप्ताह से सरकारी स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। इसमें सभी प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का मुफ्त में नामांकन लिया जाएगा और सभी बच्चों को सरकार के तरफ से मिलनेवाली छात्रवृति,पोशाक या अन्य योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा।
20 लाख से अधिक लोग लौटे हैं बिहार
उन्होंने यह भी कहा कि जिन बच्चों में जो भी योग्यता होगी उन्हें उसी आधार पर वर्ग में दाखिला लिया जाएगा, ताकि सिलेबस समझने में कठिनाई न हो। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अबतक राज्य में 20 लाख 70 हजार प्रवासी श्रमिक कोरोना काल मे बिहार पहुंचे हैं, जिनमें 80 प्रतिशत श्रमिक दुबारा परदेश जाना नहीं चाहते हैं। ऐसे में उनके बच्चे शिक्षा से महरूम ना रहे इसको लेकर सरकार ने इसे मिशन के तौर पर लक्ष्य तय किया है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं पौने दो करोड़ बच्चे
माना जा रहा है कि पहले से राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पौने 2 करोड़ बच्चों के अलावे तकरीबन साढ़े 4 लाख और बच्चों का बोझ पड़ेगा। शिक्षा विभाग के पास कई जिलों से प्राइवेट स्कूल संचालकों का भी प्रस्ताव पहुंच रहा है, जो अपने स्कूल में आरटीई के तहत 25 प्रतिशत कोटा में इन प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का मुफ्त में नामांकन लेना चाह रहे हैं। सरकार ने निजी स्कूल संचालकों को न सिर्फ नामांकन लेने की अनुमति दी है, बल्कि पहल की सराहना भी की है।
जयनगर से इलेक्ट्रिक ट्रेन को पहली बार झँडा दिखाकर किया गया रवाना
मधुबनी : लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक 1.0 शुरू होते ही मधुबनी जिले वासियो के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक एवं खुशियों भरा दिन रहा। पहली बार समस्तीपुर रेल मंडल के जयनगर से इलेक्ट्रिक ट्रेन शहीद एक्सप्रेस बनके जो अमृतसर जायेगी, उसका परिचालन आज शुरू किया गया। ट्रैन के गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
मौके पर ट्रेन के गार्ड, लोको पायलट को माला पहनाकर स्वागत किया गया। ट्रेन के लोको पायलट हरिनाथ ठाकुर ने बताया कि ईलेक्ट्रिक ट्रेन पहली बार जयनगर से परिचालन शुरू हुई हैं। लॉक डाउन के कारण 22 मार्च से ट्रेन का परिचालन बन्द था। इस क्रम में आज सिर्फ कन्फर्म टिकट वाले पैसेंजर्स को स्क्रीनिंग के बाद जाने की इजाजत दी गयी। इसे लेकर लोगो मे काफी उत्साह देखने को मिली।वहीं, स्टेशन मास्टर राजेश मोहन मल्लिक ने बताया कि 22 मार्च से ट्रेन का परिचालन बंद था। इलेक्ट्रिक ट्रेन का पहली बार परिचालन शुरू किया गया। शहीद एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया, इसे लेकर यात्रियों मे काफी उत्साह देखा गया।
मेघवन पंचायत के लोगों को नही मिल रहा नल-जल योजना का लाभ
मधुबनी : जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के मेघवन पंचायत में सीएम सात निश्चय योजना के तहत संचालित हर घर नल जल योजना धरातल पर दम तोड़ रही है। लाखों राशि खर्च होने के बाद भी नल से पानी नहीं टपक सका है। तीन वित्तीय वर्ष बीत जाने के बावजूद इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। गर्मी के इस मौसम में प्यासी पंचायत की जनता परेशानी में है।
मुख्यमंत्री नल-जल योजना का काम 15 जून तक हर हाल में कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है। मेघवन पंचायत में वार्ड नम्बर दस में महाराजी बांध के किनारे नजरा गांव में तीन माह पूर्व बोरिग गाड़कर छोड़ दिया गया, लेकिन अबतक इन वार्डों में पाइप विछाने का काम नहीं किया गया है। मेघवन पंचायत की मुखिया साजदा प्रवीण ने बताया कि पंचायत में छह वार्डों में योजना पूर्ण है।
शेष बचे वार्डों में कार्य प्रगति पर है। जल्द ही सभी वार्डों में कार्य पूर्ण होगा। बीडीओ मनोज कुमार ने बताया कि पंद्रह जून तक लंबित सभी नल जल योजना के कार्यो को पूर्ण किए जाने का निर्देश दिया गया है।
नल-जल योजना में अनियमितता की शिकायत
बेनीपट्टी प्रखंड के डुमरा गांव के समाजसेवी आनंद कुमार झा ने जिलाधिकारी मधुबनी को आवेदन देकर अकौर पंचायत में सीएम सात निश्चय योजना के तहत संचालित नल जल योजना में अनियमितता करने की शिकायत की है। कहा है कि इस योजना में अनियमितता व सरकारी राशि की बंदरबांट की जा रही है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं। आवेदन में कहा गया है कि एक ओर जहां घटिया स्तर की पाइप लगाई जा रही है। वहीं दूसरी ओर एक फीट अंदर गड्ढ़ा खोदकर पाइप को गाड़ा जा रहा है। इस संबंध में पूछे जाने पर अकौर पंचायत के मुखिया अशोक कुमार रंजन ने बताया कि पंचायत में सरकारी मानदंड के तहत नल-जल योजना का कार्य चल रहा है। कार्य प्रगति पर है सरकारी राशि की बंदरबांट व हेराफेरी का आरोप राजनीति से प्रेरित है।
विश्व साइकिल दिवस के मौके पर विधायक ने साइकिल चला कर बताए फायदे एवं इतिहास
मधुबनी : विश्व साइकिल दिवस के मौके पर मधुबनी नगर राजद विधायक सह प्रवक्ता समीर कुमार महासेठ ने साइकिल चला कर इसके फायदे एवं इतिहास को बताया है। विधायक समीर कुमार महासेठ ने बताया की साइकिल की विशेषता और बहुमुखी प्रतिभा को पहचानने के लिए 3 जून को अंतर्राष्ट्रीय विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। शहरवासी अपने आसपास की दूरी तय करने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करें, तो इससे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पेट्रोल की खपत कम होगी। वहीं शहर का प्रदूषण स्तर भी कम होगा, साथ ही जो लोग साइकिल चलाते हैं। उनका मानना है कि इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होता है, और सुरक्षित रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को मनाया गया था। यह दिवस परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसेमंद और पर्यावरण की सुरक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। बाइक और कार छोड़कर साइकिल से चलिए, देश को होगा 1800 अरब का फायदा होगा।
यूरोपीय देशों में साइकिल के प्रयोग का विचार लोगों के दिमाग में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही आ चुका था, लेकिन इसे मूर्तरूप सर्वप्रथम सन् 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने दिया। उस यंत्र को हॉबी हॉर्स, अर्थात काठ का घोड़ा, कहते थे। पैर से घुमाए जानेवाले क्रैंकों (पैडल) युक्त पहिए का आविष्कार सन् 1865 ई० में पैरिस निवासी लालेमेंट ने किया। इस यंत्र को वेलॉसिपीड कहते थे। इस पर चढ़नेवाले को बेहद थकावट हो जाती थी। अत: इसे हाड़तोड भी कहने लगे। इसकी सवारी, लोकप्रिय हो जाने के कारण इसकी बढ़ती माँग को देखकर इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका के यंत्रनिर्माताओं ने इसमें अनेक महत्वपूर्ण सुधार कर सन् 1872 में एक सुंदर रूप दे दिया, जिसमें लोहे की पतली पट्टी के तानयुक्त पहिए लगाए गए थे। इसमें आगे का पहिया 30 इंच से लेकर 64 इंच व्यास तक और पीछे का पहिया लगभग 12 इंच व्यास का होता था। इसमें क्रैंकों के अतिरिक्त गोली के वेयरिंग और ब्रेक भी लगाए गए थे।
भारत में भी साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई। 1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही। खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। यह व्यक्तिगत यातायात का सबसे ताकतवर और किफायती साधन था। गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे। दूध की सप्लाई गांवों से पास से कस्बाई बाजारों तक साइकिल के जरिये ही होती थी। डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल से चलता था, आज भी पोस्टमैन साइकिल से चिट्ठियां बांटते हैं।
रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से पेट की चर्बी कम होती है। रोजाना सुबह के वक्त साइकिल चलाने से आपकी फिटनेस बरकरार रहती है। आप ये जानकार थोड़ा हैरानी होगी, कि साइकिल चलाने से इम्यून सिस्टम ठीक तरीके से काम करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन आधा घंटा साइकिल चलाने से इम्यून सेल्स एक्टिव हो जाते है, और बीमार होने का खतरा कम हो जाता है। लगातार साइकिल चलाना घुटने और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को आराम पहुंचाता है।
एक और रिसर्च के अनुसार जो इंसान रोजाना 30 मिनट साइकिल चलाता है, उसका दिमाग साधारण इंसान के मुकाबले ज्यादा एक्टिव रहता है। और ब्रेन पाॅवर बढने के चांसेज भी 15 से 20 प्रतिशत तक बढते है। साइकिल सबसे सस्ता साधन है। जहां आपको दूसरी गाड़ियों में तेल के लिए पैसे खर्च करेने होंगे, वहीं आपको साइकिल में ऐसा कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं है। स्वास्थ्य के साथ-साथ साइकिल आपके पैसे बचाने का काम भी करती है।
सोशल मीडिया के माध्यम से बिट्टू मिश्रा कर रही लोगों को जागरूक
मधुबनी : “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” की तर्ज पर संचालित जागरूकता अभियान संस्था की संचालिका बिट्टू कुमारी मिश्रा लॉक डाउन में लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोना वायरस से बचाव हेतु लोगों को कर रही है जागरूक।
बिट्टू मिश्रा का कहना है कि हम धरातल पर तो लॉक डाउन के समय से कार्य कर ही रहे हैं, इसी कड़ी में हमने सोशल मीडिया को एक अच्छा माध्यम बनाया है। जागरूकता फैलाने हेतु जिसमें हम कोरोना वायरस से बचाव एवं सोशल मीडिया से जुड़े तमाम लोगों से अपील करती हूं, कि सभी लोग अपने आसपास के लोगों को जागरूक के साथ साथ जरूरतमंदों की मदद करें। क्योंकि यह विपरीत परिस्थिति है, इस समय में किसी को भी ऐसा नहीं लगना चाहिए कि वह अकेले हैं।
उन्होंने कहा कि अगर हम लोग हर प्रकार से इस विपरीत परिस्थिति में सेवा देने हेतु तात्पर्य रहेंगे, तो निश्चित ही हमारा देश जल्द इस विपरीत परिस्थिति से बाहर निकल आएगा। जागरूक करने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रशिक्षण भी ऑनलाइन के जरिए देती हूं, एवं उनके हक अधिकार एवं उनके शिक्षा, स्वास्थ्य पर विशेष चर्चा करते है, जिससे वह इस खाली समय में इन चीजों को समझ कर उपयोग कर पाए। हमारा प्रयास लॉक डाउन में बहुत ही सार्थक रहा, और अभी लगातार जारी रहेग।
सुमित राउत