नोटा लोकतंत्र के लिए घातक, वोट जरूर दें ताकि सर्वश्रेष्ठ विकल्प जीते : संघ प्रमुख
पटना/नयी दिल्ली : विजयादशमी उत्सव पर नागपुर में संघ प्रमुख ने देश की जनता को सचेत किया कि बाहरी ताकतें भारत को कमजोर करने में सतत क्रियाशील हैं। ऐसे में हमें अपने अंदर की ताकत को किसी के बहकावे में आकर नष्ट नहीं करना है। लोकतंत्र में असली ताकत मत का अधिकार होता है। हमारे समाज का कुछ तबका ‘नोटा’ का इस्तेमाल करने की बात करने लगा है। यह बेहद ही खतरनाक है। हालांकि चुनाव आयोग ने यह प्रावधान दिया है। लेकिन यहां हमें यह समझने की जरूरत है कि नोटा का इस्तेमाल करके तो हम सबसे गलत व्यक्ति की ही मदद करेंगे। क्योंकि यदि नोटा का प्रयोग करेंगे तो फिर हमार वोट तो बेकार ही चला जाएगा। इस स्थिति का फायदा गलत नीति बनाने वाले को ही मिलेगा।
संघ प्रमुख ने महाभारत का प्रसंग सुनाया—जब महाभारत का युद्ध होने वाला था, तब पांडव और कौरव दोनों पक्ष यादवों के पास मदद मांगने पहुंचे। यादवों ने एक सभा की जिसमें कुछ लोग पांडवों को बुरा बता कौरवों की मदद करना चाह रहे थे। वहीं यादवों का एक हिस्सा कौरवों को बुरा मान पांडवों की मदद करना चाह रहा था। ऐसे में बलराम ने कहा कि तुम सब करोगे तो वहीं जो श्री कृष्ण कहेंगे। सभी श्री कृष्ण के पास पहुंचे। श्री कृष्ण ने उनसे कहा कि देखो हमें किसी न किसी का तो पक्ष लेना ही पड़ेगा। यदि हम किसी का भी पक्ष नहीं लेंगे तो यह एक तरह से बुरे पक्ष का मदद करना ही होगा। अत: हमें उस पक्ष को मदद करनी चाहिए जो कम बुरा हो, यानी पांडवों की। साफ है कि नोटा का इस्तेमाल नहीं कर हमें सबसे बुरे विकल्पों में से कम बुरे विकल्प को वोट अवश्य करना चाहिए। लोकतंत्र और देशहित के लिए यही उपयुक्त है।