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तेजस्वी यादव प्रवासी मजदूरों तथा छात्रों को लाने के लिए 2000 बसें देने के लिए तैयार, बसें पटना में कब भेजनी है बताया जाए

पटना: कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन प्रतिबंध के परिणामस्वरूप देश में विभिन्न स्थानों पर प्रवासी मज़दूर, तीर्थयात्री, पर्यटक, छात्र और अन्य व्यक्ति फंसे हुए हैं। केंद्र ने सड़क से इन फंसे हुए लोगों के स्थानांतरण की अनुमति शर्तों के साथ दी है।

केंद्र सरकार ने कहा था कि ऐसी स्थिति में जब कुछ लोगों का एक समूह एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना चाहता हो तो इसकी अनुमति के लिए दोनों राज्यों को एक दूसरे से संपर्क करना होगा और सड़क मार्ग से परिवहन के लिए सामूहिक अनुमति देनी होगी। तथा यात्रा करने वाले व्यक्ति की स्क्रीनिंग होगी और जिनमें लक्षण नहीं दिखेंगे उन्हें यात्रा की अनुमति मिलेगी। लोगों के समूह के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए बसों का इस्तेमाल किया जाएगा बसों को सैनिटाइज किया जाएगा और लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।

केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद नीतीश सरकार ने कहा कि बिहार सरकार लाखों लोगों को बिहार लाने में समर्थ नहीं हैं। राज्य के पास उतनी बसें नहीं है जितनी आवश्यकता है। केंद्र सरकार के द्वारा स्पष्ट तौर कहा गया कि इन सभी को सड़क मार्ग से अपने राज्य लाने होंगे। बावजूद इसके उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने केंद्र सरकार से अपील किया कि मजदूरों तथा छात्रों को विशेष ट्रेन से बिहार वापिस लाया जाए।

सरकार की असमर्थता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि विगत 15 सालों से सत्ता से चिपके असमर्थ-असहाय लोग कहते है कि बिहार सरकार के पास मात्र 500-600 बसें है। हम आपको ग़रीब मज़दूरों की मदद के लिए उससे तीन गुणा अधिक बस सौंप रहे है। आप इन बसों का अपनी निगरानी में गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए प्रयोग किजीए।

अगले ट्वीट में उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने असमर्थता जताते हुए कहा है कि बाहर फँसे मज़दूरों को वापस लाने के लिए सरकार के पास बसें नहीं है। हम सरकार को 2000 बसें सुपुर्द करने के लिए तैयार है। वो नोडल और प्रशासनिक अधिकारियों की निगरानी में इन बसों का प्रयोग कर सकते है। बसें पटना में कब भेजनी है। बताया जाए।

सरकार के तरफ जवाब का इंतजार करते हुए तेजस्वी ने एक और ट्वीट कर कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी, विपक्ष सरकार को 2000 बस दे रहा है। बसें ले लीजिए और हमारे ग़रीब बिहारी भाइयों को ले आइए। भले इसका श्रेय भी आप ले लीजिए। हमें कोई आपत्ति नहीं। लेकिन कृपया कर के तत्काल प्रभाव से कुछ किजीए। कितना सोचेंगे। ये सोचने का समय नहीं कर्तव्य करने का समय है।