दरभंगा : पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। बुधवार को राजभवन, पटना से जारी इस आशय के पत्र में सूचित किया गया है कि वे अपने मूल कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए दो मई से संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी अगले आदेश तक दायित्व निभाएंगे। बताते चलें कि फिलहाल वे बगल के ल. ना. मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति का भी कार्यभार सम्भाल रहे हैं।
उक्त जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि प्रो. सिंह का कृषि के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमूल्य योगदान रहा है। कुलपति बनने से पूर्व वे बीएचयू, वाराणसी में जेनेटिक्स एन्ड प्लांट ब्रीडिंग यानी प्लांट बायोटेक्नोलॉजी में प्राध्यापक थे। वहीं करीब सात साल तक प्रेस पब्लिकेशन एन्ड पब्लिसिटी सेल के वे डीन भी रह चुके हैं।वे इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एन्ड क्रॉप साइंस के मुख्य सम्पादक भी हैं। इतना ही नहीं, बहुत पहले ही 16 तरह के धान व मक्के की प्रजातियों को विकसित कर अपना अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके प्रो0 सिंह यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डिवेलपमेंट (यूएसएआईडी) के सचिव सह समन्वयक भी रहे हैं।
प्रो0 सिंह के नेतृत्व में ही यूएसएआईडी के बैनर तले बीएचयू को नॉडल विश्वविद्यालय बनाया गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समेकित विकास के लिए यूनाइटेड स्टेट्स के पांच एवम अपने देश के तीन विश्वविद्यालय रिकार्ड तोड़ कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा विदेशों में भी इन्होंने बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी प्रशंसनीय योगदान दिया है। करीब ढाई सौ से अधिक पब्लिकेशन एवं दो दर्जन पुस्तकें भी इनके नाम हैं।
इधर, प्रो. सिंह को कुलपति के रूप में संस्कृत विश्वविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार दिए जाने से शिक्षा प्रेमियों में अपार हर्ष है।