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माह-ए-रमज़ान : इस वर्ष 15 घंटों का होगा रोजा

पटना/नवादा : रमज़ान का पाक महीना शुरू हो गया है। रमज़ान में रोजे रखे जाते हैं। रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार करने की भी बेहद फजीलत है। सहरी सुबह सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को कहते हैं, इसे खाकर ही रोजा रखा जाता है। बताया जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने सहरी करने को सुन्नत बताया है। कहते हैं कि सहरी करने से बरकत होती है इसलिए सहरी करने से सवाब मिलता है। सहरी करने के बाद रोजे रखने की नियत भी करनी चाहिए।

वहीं, शाम में सूरज ढलने पर जब रोजा खोलते हैं उसे इफ्तार कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इफ्तार के समय रोजेदार दिल से जो दुआ मागंते हैं, अल्लाह उनकी तमाम जायज दुआएं कुबूल करता है। इफ्तार से कुछ समय पहले दस्तरख्वान पर बैठ कर दुआ मंगनी चाहिए, उस समय अल्लाह और उसके बन्दों के बीच सिर्फ एक पर्दे का फासला रहता है।

पिछले कई साल से रमज़ान का महीना शिद्दत की गर्मी में पड़ रहा है. इस बार भी गर्मी में रोज़ा रखा जायेगा. एक दिन का पूरा रोज़ा लगभग 15 घंटे का होगा. वैसे तो बुजुर्ग, बच्चे और बीमार पर रोज़ा रखने की छूट दी गई है। लेकिन जो सेहतमंद हैं वो जरुर रोज़ा रखें। इसके साथ ही सेहरी और इफ्तार में क्या खाएं इसका ख्याल रखना भी जरूरी है।

पूरे दिन खाना पीना न खाने से आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है और ऐसी तपती गर्मी में आप बीमार पड़ सकते हैं, इसलिए हम आपको बता रहे हैं सेहरी में खाने की कुछ ऐसी चीजें जो पूरे दिन आपको कमजोरी महसूस नहीं होने देंगी।

फल और खजूर खाएं :

सेहरी में एक या दो खजूर जरूर खाएं। खजूर में आयरन और कई पोषक तत्व मिले होते हैं जिससे आपको कमजोरी नहीं होती है। आप सेहरी में ताजे फल भी खा सकते हैं। इससे आपको पूरे दिन कमजोरी महसूस नहीं होगी।

खूब पिएं पानी :

सेहरी के वक्त तीन से चार ग्लास पानी जरूर पीएं, शुरुआत में आपको शायद इस बात का पता नहीं चलता, लेकिन जैसे-जैसे आपके रोज आगे बढ़ते जाते हैं आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि सेहरी के वक्त भी तीन से चार ग्लास पानी पीएं।

दूध-दही :

सेहरी में आप चाहें तो एक ग्लास दूध ले सकती हैं या अगर आप दूध नहीं पीते हैं तो दही खा सकते हैं। आप चाहें तो दही में एक दो दाने इलायची के डालकर खा सकते हैं। इससे आपको पूरे दिन प्यास कम लगेगी। वहीं इफ्तार शाम के समय की जाती है जिसका अर्थ है व्रत खोलना। शाम के समय मुस्लिम रोजेदार लोग एक साथ बैठकर आमतौर पर खजूर और पानी से अपना रोजा खोलते हैं। शाम के समय नमक और चीनी डाले गए एक गिलास नींबू पानी के रोजा खोलें, इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। खजूर परंपरागत रूप से और स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ऊर्जा स्रोत और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसके साथ ही अंकुरित चना और सलाद खाएं. ज्यादा तेल मसाला न खाएं।

इन चीजों से टूट जाता है रोजा :

रोजा खाना-पीना, इस्तमना, मासूम की तरफ झूठी निस्बत देना, गर्द व गुबार हलक तक जाना, सिर का पानी में डुबोना, सुबह की अजान तक पाक न होना, एनीमा लेना, कय करना व मुबाशरत करना। रमजान के मुकद्दस महीने में ज्यादा से ज्यादा समय इबादत में गुजारें। कुरान की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्‍लाह का जिक्र करते हुए इबादत करें। इस पाक महीने में नेक काम करने और इफ्तार कराने से सवाब बढ़ता है। यदि रोजेदार गलती से कुछ खा पी ले तो उसका रोजा टूटता नहीं है। रमजान के महीने में रोजेदार गलत लतों से दूर रहता है। रोज़े की सबसे पहली शर्त है भूखे रहना। मतलब सुबह जब सबसे पहली अज़ान होती है उस वक्त से लेकर शाम में सूरज डूबने तक कुछ भी नहीं खाना है ना ही पीना है। कुछ नहीं मतलब कुछ भी नहीं।

सिगरेट, जूस, चाय, पानी कुछ भी नहीं। इस्लाम में शराब हराम है, मतलब शराब पीना गुनाह माना जाता है, इसलिए रोज़े के दौरान भी शराब पीने की एकदम मनाही है। दूसरों की बुराई या झूठ बिलकुल भी ना बोलें। लड़ाई, झगड़ा, गाली देना इन सब चीज़ों से रोज़ा टूट जाता है।शारीरिक संबंध बनाना मना है। किसी भी औरत या मर्द को ग़लत नज़र से देखना भी मना। जानबूझ कर उल्टी करने से भी रोज़ा टूट जाता है।

असल में रमज़ान सिर्फ भूखे रहने का नाम ही नहीं है बल्कि रमज़ान का महीना खुद पर कंट्रोल करना, बुराई को हराना, गरीबों के दर्द को महसूस करना, उनकी मदद करना और खुद को एक अच्छा इंसान बनाना सिखाता है। वो कहते हैं न, न बुरा देखो, न बुरा सुनो और न बुरा बोलो जिससे किसी को तकलीफ होती हो।