24 अप्रैल : चंपारण की मुख्य ख़बरें

0
चंपारण की मुख्य ख़बरें

कोरोना से निपटने में आईएमए को सहयोग देगा प्रशासन : डीएम

चंपारण : मोतिहारी, जिलाधिकारी शीर्षत कपील अशोक की अध्यक्षता में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) प्रतिनिधियों एवं निजी चिकित्सकों की बैठक हुई। डीएम ने कहा कि कोविद 19 के कारण उत्पन्न आपातकालीन परिस्थिति से प्रभावकारी तरीके से निपटने में आईएमए से सहयोग की अपेक्षा है और प्रशासन आपको हर संभव मदद करेगा। इस क्रम में सभी निजी नर्सिंग होम एवं ओपीडी को प्रारंभ कर मरीज का इलाज करते हुए कोरोना के संक्रमण से बचाव की जानकारी देते हुए जागरूक करें। बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई एवं निर्देशों के अनुपालन का निर्देश दिया गया।

मौके पर आपदा प्रबंधन के अपर समाहर्ता शशि शेखर चौधरी, अनिल कुमार, निजी चिकित्सक डाँ. डी. नाथ, डॉक्टर परवेज, डाँ. सी बी सिंह, डाँ. आशुतोष शरण आदि उपस्थित थे। वहीं उपस्थित चिकित्सा प्रतिनिधियों को कोविद 19 से संबंधित संभावित मरीज संज्ञान में आने पर तत्काल उक्त आशय की सूचना सदर अस्पताल को देने का निर्देश दिया गया। कंट्रोल रूम से किए जा रहे सहयोग कार्य की हुई समीक्षा बैठक के पूर्व जिलाधिकारी ने जिला नियंत्रण कक्ष द्वारा आम नागरिकों के सहयोग हेतु किए जा रहे कार्यों की अनुमंडल वार समीक्षा की एवं यथोचित दिशा निर्देश दिए ।

swatva

राशन नहीं मिलने पर लोगों ने किया हंगामा

  • डीलरों ने कहा, कम मिलता हैं आवंटन

 चंपारण : संग्रामपुर प्रखंड के भटवलिया पंचायत में राशन से वंचित दर्जनों कार्ड धारकों ने शुक्रवार को शारीरिक दूरी को धता बताते हंगामा किया। कार्ड धारक बच्ची देवी,पशुपति देवी, चंदन साह, रामबाबू सहनी, विक्रमा गिरि आदि का कहना था कि राशन कार्ड हैं। जो कि नेट पर डाले गए सूची में नाम दिखा रहा हैं, लेकिन राशन नहीं मिल रहा हैं। कार्ड धारकों की माने तो पॉस मशीन पर नाम भी दिख रहा हैं तब भी राशन से वंचित हैं।

1615 उपभोक्ता में महज 1320 कार्ड का आवंटन

वही जनवितरण दुकानदार बच्चा बैठा व दुकान प्रतिनिधि वरुण कुमार सिंह, बंका सिंह,नन्द किशोर पाठक,प्रियंका कुमारी ने संयुक्त रूप से बताया की पंचायत में कुल 1615 उपभोक्ता हैं। जबकि उठाव महज 1320 कार्ड धारियों का ही होता है। जिससे हमेशा हंगामा का स्थिति उतपन्न होते रहता है। डीलरों की माने तो बच्चा बैठा के पास 334 उपभोक्ता हैं, जबकि उन्हें 298 उपभोक्ता का आबंटन मिलता हैं।बांका सिंह को 412 उपभोक्ता हैं जबकि उन्हें महज 322 लोगों का ही आबंटन मिलता है। जबकि राजकुमारी देवी को 361 उपभोक्ता हैं जबकि उन्हें भी 273 का राशन मिलता हैं।प्रियंका कुमारी को 227 उपभोक्ता हैं जबकि 142 का आबंटन मिलता हैं,नन्द किशोर पाठक को 281 उपभोक्ता है जबकि इनके द्वारा मार्च में 285 उपभोक्ताओं को राशन उपलब्ध कराया गया है।

इस मामले में सबसे दिलचस्प पहलू यह हैं कि पूरे पंचायत में पांच डीलरों के बीच 295 उपभोक्ताओं का राशन नहीं मिल पाता है। साथ वर्ष 2016 में 78 उपभोक्ताओं का राशन कार्ड रद्द करते हुए आवंटन को भी बंद कर दिया गया हैं। जिसको लेकर आये दिन रद्द कार्ड कार्डधारियों द्वारा साजिश के तहत हमेशा हो हल्ला किया जाता हैं जिससे डीलर परेशान। जबकि इसकी जानकारी अनुमंडल से लेकर जिला के अधिकारियों तक है।

उमेश गिरि

सुमित्रा को प्रशासन नहीं मानती गरीब, भीख के सहारे काट रही जिंदगी

  • मुखिया प्रति माह देती हैं अनाज, खत्म होने पर भीख है सहारा

चंपारण : संग्रामपर प्रखंड स्थित उतरी भवानीपुर पंचायत के वार्ड आठ की रहने वाली 75 वर्षीय विधवा सुमित्रा कुँवर को सरकारी कर्मी गरीब नहीं मानते जबकि इसे भीख मांग कर अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ती हैं।इसे सरकारी स्तर पर सिर्फ पेंशन का लाभ मिलता है जबकि पति सुखल पासवान के मौत के बाद जीवकोपार्जन का एक मात्र साधन दूसरे के द्वारा दिए जाने वाले अनाज। बासगीत की जमीन नहीं होने के चलते गंडक नदी के बांध के नीचे झोपड़ी बना कर किसी तरह गुजर बसर कर रही हैं। एक पुत्र हैं उसका भी शायद कोई पता नहीं। इसने लगातार राशन कार्ड के लिए के लिए प्रखण्ड कार्यालय इस उम्र में पैदल जाकर आवेदन किया। लेकिन कर्मी और पदाधिकारी इसे गरीब ही नहीं मानते जिसे इसकी राशन कार्ड नहीं बनीं।

लॉकडाउन  के साथ उम्र की अंतिम पड़ाव की दंश झेल रही सुमित्रा को खाने के लाले पड़ रहें।कारण की लॉक डाउन में किसी दरवाजे पर कुछ मांगने भी नहीं जा सकती।चूल्हा नहीं जलने पर अगल बगल के किसी की मेहरबानी हुई तो उसने कुछ खिला दिया अन्यथा झोपड़ी बैठ खाने के लिए बगलगीर का मुंह ताकना नियति बन गयी। सुमित्रा के राशन कार्ड के वावत पूछने पर कोई पदाधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। उसके बगलगिरो ने बताया कि जब मुखिया निवेदिता कुमारी को इसके राशन कार्ड नहीं होने की भनक लगीं तो उनके द्वारा प्रत्येक माह अपने घर से कुछ खाद्यान दिया जाने लगा।और उसके राशन कार्ड के लिए आवेदन भी करवाई गयी।लेकिन चार सालों बाद भी इसे राशन कार्ड नसीब नहीं हुआ।

उमेश गिरि

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here