स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों पर 7 साल की सजा से लेकर 5 लाख तक का जुर्माना
पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। इसको लेकर देशभर में लॉक डाउन जारी है। बीते कुछ दिनों में कोरोना संक्रमित की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस समस्या से निपटने के लिए जगह-जगह जांच की जा रही है। लेकिन, जांच करने के लिए जा रहे डॉक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले हो रहे हैं। लगातार हो रहे हमले को लेकर चिंतित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सोमवार को जानकारी दी थी कि यदि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा बंद नहीं हुई तो आईएमए 23 अप्रैल को काला दिवस के रूप में मनाएगा।
इसी बीच मोदी सरकार ने कविड 19 की महामारी की स्थिति के मद्देनजर महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन कर एक अध्यादेश लाने का फैसला किया है। इससे महामारी के दौरान सेवा दे रहे स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के खिलाफ हिंसा के मामलों में कानून के तहत सजा की सुविधा होगी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी देते हुए बताया कि इस सिलसिले में कैबिनेट की एक बैठक हुई थी। जिसमें महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन और अध्यादेश लागू किया जाएगा। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर पर हमला गैर-जमानती होगा। अगर डॉक्टर या स्वास्थकर्मी को गंभीर चोट आई तो आरोपी को 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा और 1 लाख से लेकर 5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
मालूम हो कि इससे पहले अमित शाह ने स्वास्थ्य कर्मियों पर हाल के हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि प्रधानमंत्री डॉक्टरों के सभी मुद्दों और चिंताओं का बारीकी से संज्ञान ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक इंतज़ाम किए जाएंगे। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे उनके द्वारा प्रस्तावित प्रतीकात्मक विरोध भी न करें, क्योंकि यह राष्ट्रीय और वैश्विक हित में नहीं है।
इसके बाद केंद्र सरकार से तत्काल उच्च स्तरीय प्रतिक्रिया और केंद्रीय गृह एवं स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासन को ध्यान में रखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA ) ने COVID-19 के खिलाफ लड़ाई को निर्बाध रूप से बनाए रखने के लिए प्रस्तावित विरोध वापस ले लिया है।