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नियोजित शिक्षक हो रहे भूखमरी के शिकार, 55 की असामयिक मौत

सारण : देश में कोरोना वायरस एक महामारी के तौर पर फैल चुका है। इस वायरस से बचने के लिए देश भर में लॉकडाउन है। वहीं बिहार में शिक्षकों का हड़ताल लगातार जारी है। इस बीच बिहार के 55 हड़ताली शिक्षक-शिक्षिकाओं के असामयिक निधन पर शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के सारण जिलाध्यक्ष मंडल सदस्य सह शिक्षक संघ बिहार के सारण जिलाध्यक्ष सुभाष कुमार सिंह एवं सचिव दिलीप गुप्ता व राकेश रंजन ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि लाॅकडाउन व वेतन के अभाव मे बिहार के नियोजित शिक्षको की स्थिति आगे दरिया पीछे खाई जैसी हो गयी है।

इसका प्रमाण बिहार के 55 निर्दोष शिक्षकों को अपने प्राण की आहुति देनी पड़ी है। उन शिक्षकों ने वेतनमान मिलने व सरकारी कर्मी का दर्जा प्राप्त करने सहित सात सूत्री मांग के साथ शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर हड़ताल किये। लेकिन, सरकार ने अपने हठधर्मिता के आगे एक भी नही सुनी।

आज उन शिक्षकों के सैंकड़ों परिवार के सदस्यों की स्थिति क्या है यह जानने के लिए भी सरकार को कोई चिन्ता नहीं। इस गंभीर विपदा की घड़ी मे उन शोकाकुल परिवारों को न राज्य सरकार के तरफ से ना ही केन्द्र सरकार के तरफ से राशन, फ्री गैस या जीवन रक्षा हेतु आर्थिक मदद भी नहीं मिल सकती है क्योंकि वो बिहार सरकार के सेवारत हैं तथा अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। वो न तो बी .पी. एल मे आ सकते है ना ही राज्य सरकार के नजर मे उनके राज्य कर्मी है!

इससे बडा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि पूरे देश में COVID-19 से मृत भारतीयों का अकेले बिहार से 10% शिक्षको ने दवा व भोजन के अभाव मे अपने हंसते खेलते परिवार को छोड़ कर सदमे मे दम तोड दिए। आज सरकार यदि पुराने शिक्षकों के समान वेतन सहित सभी मांगे पूरा कर देती है तो उन 55 परिवार के सदस्यों को कौन सी न्याय पद्धति इन्साफ दिलायेगी यह विचारणीय है।

आगे से इस तरह की दर्दनाक घटना बिहार मे न घटे इसके लिए 24 घंटे के अंदर सरकार को विडियो कांफ्रेंस के जरिये वार्ता कर हड़ताल को खत्म करे व उन पीड़ित परिवार को मदद के लिए जल्द से जल्द आगे आये ताकि शोक मे डूबे उनके परिवार के अब कोई सदस्य दवा या भोजन के अभाव मे दम न तोड़े नहीं तो उन परिवारो के साथ बिहार के चार लाख शिक्षक-शिक्षिकांए व उनके सगे संबंधी उनके छात्र-छात्राएं व उनके अभिभावक सरकार को कभी माफ नहीं करेंगे।