झारखंड : अनुबंध कर्मियों के मौलिक अधिकारों के हनन का आरोप लगते हुए पूर्व विधायक और झारखंड भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्येंद्र नाथ तिवारी हमलावर हो गए है। उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार की तुगलकी फरमान से अनुबंध कर्मियों के मौलिक अधिकारों पर हमला बताया है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा जारी किए गए आदेश की कड़ी निंदा की है तथा इसे राज्य सरकार कi तुगलकी फरमान बताते हुए कहा कि अगर सरकार की नीयत साफ है तो वह माननीय उच्च न्यायालय से इतना घबरा क्यों रही है?
राज्य के पारा शिक्षक, प्रखंड साधन सेवी, संकुल साधन सेवी, रिसोर्स टीचर, कंप्यूटर ऑपरेटर एवं अन्य अनुबंध कर्मियों को सीधे हाईकोर्ट जाने से रोका जाना, इन कर्मियों के मौलिक अधिकार का हनन के साथ-साथ विश्वास के साथ कुठाराघात है। इससे साफ प्रतीत होता है कि राज्य में लालफीताशाही हावी है।
ऐसा आदेश से सरकार की मंशा जाहिर होती है। आखिर राज्य सरकार अनुबंध कर्मियों को न्याय के आंगन में जाने से क्यों रोकना चाहती है? इस पर सरकार को अविलंब स्पष्टीकरण देना चाहिए और शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा जारी किए गए आदेश को वापस लेना चाहिए।
चुनाव से पूर्व झारखंड मुक्ति मोर्चा और गठबंधन की अन्य पार्टियों ने राज्य के ऐसे अस्थाई कर्मचारियों को लॉलीपॉप दिखाते हुए स्थायीकरण और सुंदर भविष्य का सपना दिखाया था। लेकिन राज्य में सरकार गठन होने के साथ ही पारा शिक्षकों, बीआरपी, सीआरपी, कंप्यूटर ऑपरेटर समेत अन्य अनुबंध कर्मियों को बरगलाने का कार्य किया जा रहा है, जो अक्षम्य है।
सरकार अविलंब अपने चुनावी घोषणापत्र को अमल में लाए और राज्य के सभी अनुबंध कर्मियों को तत्काल स्थाई करके उनके भविष्य को सुरक्षित करे।
पुनः सभी राज्य वासियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना का प्रकोप दिनों दिन बढ़ रहा है इसलिए सभी लोग सोशल डिस्टेंस बनाए रखें और सरकार द्वारा जारी किए गए लॉक डाउन के नियमों का अक्षरशः पालन करें, ताकि खुद को, अपने परिवार को और इस देश को सुरक्षित रखा जा सके।