लॉक डाउन के कारन नहीं लगा मेला
वैशाली : भगवनपुर प्रखंड के प्रतापताण्ड के ग्रामीणों ने प्रतापताण्ड राम नवमी मेला में पहली बार करीब दो सौ साल बाद मेला नहीं लगने पर आश्चर्य जताया। प्रखंड के यह सबसे पौराणिक मंदिर है जहाँ हर वर्ष रामनौमी पर विशाल मेला लगता था लेकिन पहली बार कोरोना जैसी महामारी में लॉक डाउन होने के कारण मेला लगने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। शोसल डिस्टेशन का ख्याल रखते हुए मंदिरों में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गयी है।
रामनौमी के दिन भी केवल पुजारी ही मंदिरों में पूजा करते दिखे।प्रखंड के प्रतापटाड श्री राघव जी मंदिर में चैत्र राम नवमी मेला काफी हर्षोलास एवम एवम पूरे भक्ति के साथ मनाए जाते है।दो सौ वर्ष पुराना इस इस मंदिर का क्षेत्र में बहुत ही महत्व है। जब भी कोई शादी बयाह या अच्छे कार्य की शुरुआत करने जाते है तो पहले भगवान राम के आशीर्वाद लेने के बाद ही आगे कदम बढ़ाते है।क्षेत्र के लोग किसी भी अच्छे कार्यो के शुरुआत करने से पहले राघव जी मंदिर प्रताटॉड में जाकर भगवान राम से आशीर्वाद प्राप्त कर शुरू करते है।प्रत्येक वर्ष चैत रामनौमी के अवसर पर शुरू होने बाले इस मेले में दूर दूर से लोग आते है तथा अपनी मन्नत मानते है।
15 दिनों तक चलने बाले इस मेले में बेल एवम तजपता के लिए ख्याति प्राप्त है। स्थानीय लोगो को उस वक्त सदमा लगा था जब 1 जनवरी 2011 की रात्रि में मंदिर के राम, सीता एवम हनुमान सहित बेसकीमती मूर्ति चोरी कर ली थी तब पूरे क्षेत्र में लगातार एक सप्ताह तक चूल्हे नही जले थे।लोग शोकाकुल ही गए थे ।प्राथमिकी दर्ज हुई एक विदेशी व्यक्ति को पकर लोगो ने पुलिस को सुपुर्द किया तब लोगो मे आस जगी थी कि अब चोरो द्वारा चुराया गया भगवान अंततः मिलेंगे लेकिन पुलिस की शिथिलिता के कारण भगवान नही मिले तथा पकड़े गए विदेशी को पुलिस किस परिस्थि में छोड़ दिया आज भी पहेली बना हुआ है।
राघव जी मंदिर के ट्रस्टी 81 वर्षिय जय चंद कोचर बताते है कि जब मूर्ति चोरी हुई तो बहुत सारे राजनीतिज्ञ एवं प्रशासनिक अधिकारी यहां तक कुणाल किशोर जी भी आये लेकिन आश्वासन के बाबजूद आज भी मूर्ति नही मिला, आज भी लोग भगवान के एक झलक पाने को तरस रहे है। बही प्रखंड के गोढिया रामसीता मंदिर ,सराय जगदंबा स्थान में भी केवल पुजारी पंडित पवन झा ने रामनौमी पर पूजा अर्चना की।
दिलीप कुमार सिंह