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27 फ़रवरी : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

शिक्षा, शिक्षक तथा समाज पर विशेष व्याख्यान

दरभंगा : शिक्षा प्राप्ति के उपरांत व्यक्ति संवेदनशील बन जाता है और वह संसार के प्रत्येक जीव के कल्याणार्थ कार्य करने लग जाता है। शिक्षा का उद्देश्य मात्र धन कमाना नहीं है,बल्कि इसका संस्कृति से घनिष्ठ एवं अभेद संबंध होता है। जहां पाश्चात्य समाज शिक्षा को जीविका का साधन मात्र मानता है, वहीं भारतीय परंपरा में शिक्षा का मूल उद्देश्य परमात्मा की प्राप्ति है।

शिक्षा वेद का प्रमुख अंग माना जाता है जो हमारा सर्वस्व है।उक्त बातें विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग द्वारा जुबली हॉल में “शिक्षा, शिक्षक और समाज” विषय पर आयोजन कार्यक्रम में विशिष्ट व्याख्यान देते हुए चित्रकूट दिव्यांग विश्वविद्यालय,सतना,मध्य प्रदेश के आजीवन कुलाधिपति रामभद्राचार्य ने कहा।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का प्रथम उल्लेख उपनिषद् में आया है।फिर पाणिनि ने अपने 600 वें सूत्र में इसका विस्तृत वर्णन किया है। विद्या का प्रलयकाल में भी नाश नहीं होता है।

तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि शिक्षा हमारी आत्मा और शिक्षक उसके संचालक हैं।जो शिक्षा जानता है और जो शिक्षा का अध्ययन करता है, वही वास्तविक शिक्षक है। उन्होंने भारतीय शिक्षा की अनुगम तथा अधिगम की चर्चा करते हुए कहा कि शिष्य पहले अपने गुरु से शिक्षा पाता है,फिर उसका चिंतन व मनन कर अपने आचरण में उतारता है।

जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने कर्मों को सीखता है, वही शिक्षा है। शिक्षा का समग्र उद्देश्य छात्रों को सामर्थ्यवान बनाना है। शिक्षा छात्रों को समर्थ बनाने की जिज्ञासा उत्पन्न करती है। यदि उनमें जिज्ञासा उत्पन्न न हो तो यह हम शिक्षकों का ही दोष माना जाएगा।

कुलाधिपति ने कहा कि जहां व्यक्ति पाश्विक प्रवृति को त्याग कर सभी के कल्याणार्थ कार्य करता है, वही समाज कहलाता है ।धर्म हमें पापकर्म को करने से रोकता है,जिसका वास्तविक अर्थ कर्तव्यों का बोध कराना होता है।कर्तव्यबोध ही हमें सामाजिक बनाता है।

तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि काशी और मिथिला वैदुष्य का केंद्र रहा है।मेरा सौभाग्य है कि मैंने स्नातक से डि.लीट्. तक का अध्ययन- अध्यापन वाराणसी से किया। शैशवावस्था में ही आंखों की रोशनी चले जाने के बाद भी मैंने अब तक  211 ग्रंथों की रचना की है जो आगे भी अनवरत जारी रहेगा।

कार्यक्रम में मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह,पूर्व कुलपति प्रो राजकिशोर झा, संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो देवनारायण झा, प्रो विद्येश्वर झा, प्रो रेणुका सिंहा,प्रो रामनाथ सिंह,डा देवनारायण यादव, डॉ विध्नेशचन्द्र झा, डॉ आर एन चौरसिया, डॉ  संजीव कुमार झा,प्रो अशोक कुमार मेहता, डॉ  मित्रनाथ झा, डॉ रामप्रवेश पासवान,डा विश्वनाथ गुहा, प्रो ए के बच्चन,प्रो नारायण झा,डा मंजू कुमारी,डा प्रीति झा,डॉ चौधरी हेमचंद्र राय, डॉ अखिलेश मिश्रा, डॉ के सी सिंह,डा रिपू सुदन झा,प्रो हिमांशु शेखर,डा ममता स्नेही,डा विनय कुमार मिश्रा,डा दयानंद झा,मौनी बाबा, मन्ना,राजाराम,डा मुकेश कुमार निराला सहित 150 से अधिक व्यक्तियों ने व्याख्यान में भाग लिया।

कार्यक्रम में भारतीय धर्म और संस्कृति के प्रचारक कुलाधिपति के साथ उनके संगीत शिक्षक डॉ विशेष नारायण तथा सुश्री ज्योति वैष्णवी के साथ ही उनके अनेक शिष्यों ने भी भाग लिया।

संयोजक डा जयशंकर झा के संचालन में आयोजित विशेष व्याख्यान में अतिथियों का स्वागत संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो जीवानंद झा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो देवनारायण झा ने किया।

राज्यपाल ने किया प्रदर्शनी-सह-व्याख्यानमाला का उद्घाटन

दरभंगा : दो दिवसीय राज्य स्तरीय विज्ञान अन्वेषण कार्यक्रम में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के छात्रों ने अच्छी प्रस्तुति की। अन्वेषण से सम्बंधित प्रदर्शनी-सह-व्याख्यानमाला का उद्घाटन आज माननीय श्री फागू चौहान, महामहिम राज्यपाल, बिहार के कर कमलों द्वारा हुआ।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की ओर से डॉक्टर के के साहू, विकाश पदाधिकारी के नेतृत्व में छात्रों की एक टीम इस प्रतियोगिता में भाग लिया।

छात्रों के मेंटॉर के रूप में एम॰आर॰ एम॰ महाविद्यालय की रसायन शास्त्र की प्राध्यापिका डॉक्टर निशा सक्शेना इस कार्यक्रम में रही।

ज्ञातव्य हो कि महामहिम के निर्देश से राज्य स्तर पर विज्ञान के क्षेत्रत्र में अन्वेषण के प्रतिभा को बढ़ाने के लिए सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से इस आशय की प्रतियोगिता अपने स्तर से आयोजित करने के लिए कहा गया था। इस कार्यक्रम के लिए मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर को अधिकृत किया गया था। पिछले दिनो ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने भी  विश्वविद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता कर दो प्रतिभागियों,एम एल एस एम कालेज के अभय कुमार झा तथा एम आर एम  कॉलेज के शिल्कि कुमारी को चयनित कर आज के कार्यक्रम में भेजा गया था। प्रदर्शनी में। यहां  के दोनों प्रतिभागियों के परियोजना मोडल को लोगों द्वारा सराहा गया। आज के प्रतियोगिता में राज्य भर के तीस प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता का रिज़ल्ट कल घोषित किया जाएगी।

फोटोग्राफी पर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

दरभंगा : दरभंगा में पहलीबार फोटोग्राफी के क्षेत्र में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय के गांधी सदन सभागार में एक दिवसीय फोटोग्राफी कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विश्व प्रसिद्ध गोवा के आशय मांडेरकर ने दरभंगा के फोटोग्राफरों को पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से फोटोग्राफी के महत्व को बताते हुए वन्यजीव एवं प्राकृतिक तसवीरों की विभिन्न दृष्टिकोण पर चर्चा की।

उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी ऐसी होनी चाहिए कि उसमें आपको पूरी कहानी समझ और दिखनी भी चाहिये। उन्होंने अपने द्वारा विदेशों में ली गई वन्यजीवों की तस्वीरों को दिखाते हुए कहा कि बेहतर फोटॉग्राफी के लिए समय का निर्धारण अति महत्वपूर्ण है। इसी क्रम में उन्होंने विलुप्त बाघो की घटती प्रजाति की भी चर्चा की तथा स्पष्ट किया कि जिस प्रकार इंसानो के हाथों की लकीर (फिंगरप्रिंट) अलग-अलग होती है उसी प्रकार बाघों खालों पर बनी लकीरें भी अलग-अलग होती है इससे हमें बाघों की कुल जनसँख्याओं का पता चलता है इस दौरान उन्होंने फोटॉग्राफी के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया।

कार्यक्रम का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने किया साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यशालाओं को कोर्स-वर्क का रूप देना चाहिए, जिससे छात्र-एवं छात्राओं को फोटॉग्राफी के तकनीकों की जानकारी उनके शैक्षणिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने से उनका शिक्षण रुचिकर होगा। मुझे भी इस कार्यशाला में बहुत कुछ सीखने का अवशर मिला, मैं कार्यक्रम के आयोजकों को इस प्रकार के आयोजनों के लिए आभार व्यक्त करता हूँ।

इस मौके पर दूरस्थ शिक्षा के उपनिदेशक डॉ शंभु प्रसाद ने कहा कि ऐसे कार्यशालाओं का होना सही रूप में दिशा प्रदर्शित करता है। फोटोग्राफी इतने सारे मत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत करता है जिसका मैं आजतक परिकल्पना नहीं किए थे जिससे आज अवगत हुए। दूरस्थ शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ अखिलेश कुमार मिश्र ने कहा कि प्रकृति के रक्षार्थ ऐसे कार्यशालाओं का होते रहना अति आवश्यक है।

कार्यक्रम के आरंभ में आशय मांड्रेकर को मिथिला के प्रख्यात एवं पहले फोटोग्राफर स्व० आनंद बिहारी प्रसाद वर्मा के प्रपौत्र राज कश्यप ने पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया वहीं कुलसचिव महोदय को महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय के तकनीकी सहायक चंद्रप्रकाश ने, उप निदेशक को फ़वाद ग़ज़ाली, सहायक निदेशक को संतोष कुमार ने सम्मानित किया। इस अवशर पुरातत्वविद श्री मुरारी कुमार झा ने श्री मांड्रेकर को विश्वविद्यालय स्थित म० का० सिं० सा० विज्ञान सोध संस्थान, श्यामा माई मंदिर परिसर , मोतीमहल, राजकीला, चौरंगी सहित दरभंगा के स्थानीय पुरातत्व से परिचय कराया। कार्यशाला में दरभंगा के प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के कई फोटोग्राफरों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत मे सभी सहभागियों द्वारा मिथिला का प्रतीक चिन्ह मछली स्तंभ श्री मांडेरकर को देकर समानित किया गया साथ ही प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी दिया गया। कार्यक्रम के समन्वयक संतोष कुमार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आगे भी होते रहेंगे जिनसे यहाँ के लोगों को काफी प्रोत्साहन मिलेगा।

मुरारी ठाकुर