ज्ञान व वैराग्य का माध्यम यज्ञ : पंडित अशोक द्विवेदी
- वैदिक मंत्रोंचार से माहौल हुआ भक्तिमय
वैशाली /हाजीपुर : ब्रहालीन बाबा पशुपतिनाथ महाराज की तपोभूमि धर्मनगरी चांदी धनुषी में आयोजित श्रीसहस्त्र चंडी महायज्ञ व संत समागम कार्यक्रम में गुरूवार को ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद व अथर्ववेद पाठ किया गया ।
वहीं महायज्ञ के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की विशेष आहुति द्वारा पूजा-अर्चना की गयी। इस अवसर पर महायज्ञ के मुख्य आचार्य काशी विश्वनाथ मंदिर के महंथ पंडित अशोक द्विवेदी के नेतृत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विद्वान आचार्यों द्वारा आवृति दी जा रही है। महायज्ञ के मुख्य आचार्य काशी विश्वनाथ मंदिर के महंथ पंडित अशोक द्विवेदी ने बताया कि यज्ञ का बहुत महत्व है। यज्ञ करने से हर प्रकार की बुराई, भय नष्ट होती है तथा यश व तप मिलता है। इसलिए हमें यज्ञ को अपने जीवन का आधार बनाना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती का अनुष्ठान जन मानस के लिए विशेष कल्याणकारी माना गया है। यज्ञ मंडप की परिक्रमा लगाने से तीर्थों के भ्रमण का फल मिलता है। सर्व मनोकामना के लिए महायज्ञ अनुष्ठान हो रहा है। यह केवल यज्ञ अनुष्ठान ही नहीं है बल्कि शक्ति साधना है। यह शक्ति मनुष्य के व्यवहारिक जीवन की आपदाओं का निवारण कर ज्ञान, बल प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि मां भगवती की आराधना करने से लाभ मिलता है। ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में मां के हर रूप की पूजा विधि और कथा का महत्व बताया गया है। मां कूष्माण्डा की कथा जीवन के कठिन क्षणों में भक्तों को संबल देती है। बताते चलें कि महायज्ञ में देवी देवताओं की शिव परिवार, विष्णु परिवार, नव दुर्गा, रामदरबार, नवग्रह देवी-देवता यानी 75 परिवार समेत हनुमान, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, नरसिंह देवता, शनिदेव व कुल 400 से अधिक मूर्तियां बनवाई गई है। महायज्ञ को विधिवत संपन्न कराने में काशी विश्वनाथ मंदिर के 108 विद्वान आचार्य आध्यात्मिक भाव को परिबिंबित कर रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भजन गायक, भजनोपदेशक यज्ञ के खास आकर्षण बने हुए।
कई किलो हवन सामग्री से शुद्ध हो रहा वातावरण
श्रीकालकाजी मंदिर, नई दिल्ली के आचार्य सचिन वशिष्ठ ने बताया कि दुर्गा सप्तशती का पाठ और यज्ञ रोजाना सुबह 8.30 से 12.30 और शाम को 3 से 6 बजे तक किया जा रहा है। हवन के दौरान कई किलो जौ, काला तिल और घी के मिश्रण से बनाए गए सांकला समिधा की आहुति देने से वातावरण शुद्ध हो रहा है। इधर श्री सहस्त्र चंडी महायज्ञ में परिक्रमा देने भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी है। आचार्य वशिष्ठ बताते हैं कि श्री सहस्त्र चंडी महायज्ञ में आहुति देने और फेरी लगाने का मौका सालों में एकाध बार मिलता है।
महायज्ञ संपन्न कराने वाले आचार्य भक्तों को बता रहे हैं कि जो लोग किसी कारणवश तीर्थ की यात्रा पर नहीं जा सकते, वे यदि महायज्ञ की परिक्रमा करके उन तीर्थों को याद करें तो तीर्थयात्रा के बराबर फल मिलता है। महायज्ञ की परिक्रमा करने के दौरान गिनती न भूल जाएं इसलिए भक्तगण अपने हाथ में फूलों की पंखुड़िया अथवा इलायची दाना रख रहे हैं। जैसे-जैसे परिक्रमा करते जाते हैं, वैसे-वैसे एक-एक पंखुडी अर्पित करते जाते हैं। कोई भक्तगण 11, कोई 51 और कोई 108 परिक्रमा कर रहे हैं। मौके पर मुख्य यज्ञमान अमरेन्द्र कुमार सिंह,व्यवथापक सत्येन्द्र सिंह राणा,मीडिया प्रभारी पदमाकर सिंह लाला, अलका सिंह, अर्पिता चौहान, सचिन वशिष्ठ आदि मौजूद थे।
दिलीप कुमार सिंह