18 फ़रवरी : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

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जननायक कर्पूरी ठाकुर : जन से जननायक विषय पर संगोष्ठी

दरभंगा : छात्रों के व्यक्तित्व विकास में संस्था के भौतिक उन्नयन के साथ ही शैक्षणिक कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। छात्रों में सृजनात्मकता की असीम क्षमता होती है, जिसका पूर्ण विकास शैक्षणिक,सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों से ही होता है। जब व्यक्ति अपनी पहचान संस्था से जोड़ता है, तब उस संस्था का तीव्र विकास होता है। यदि संस्था आगे बढ़ती है तो सभी का सम्मान भी बढ़ता है,जबकि व्यक्ति की उपलब्धियों से संस्था गौरवान्वित होती है।

उक्त बातें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह ने स्थानीय मारवाड़ी महाविद्यालय में “जननायक कर्पूरी ठाकुर : जन से जननायक” विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कहा। उन्होंने कहा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर संघर्ष व अपने सिद्धांत के बदौलत ही मानव से महामानव बने। हम महापुरुषों की जयंती व पुण्यतिथि मना कर उनके कुछ आदर्शों को जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं।राष्ट्र का भविष्य युवाओं पर निर्भर है।ऐसे कार्यक्रमों से छात्र-छात्राएं सर्वाधिक लाभान्वित होते हैं।

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कुलपति ने कहा कि शिक्षण संस्थानों की पहचान वहां के छात्र-छात्राओं,साफ-सुथरी व्यवस्था तथा उत्तम प्रबंधन से भी होती है,जिसका प्रभाव युवा तथा समाज दोनों पर पड़ता है।धैर्य,जुनून,हौसला तथा अनुशासन हमें जीवन में आगे बढ़ने हेतु सदा मदद करते हैं।

कुलपति ने कहा कि ऐसे महापुरुषों के जीवन से सीख लेकर छात्र राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान करें।उन्होंने स्वर्गीय ठाकुर को शत-शत नमन करते हुए हार्दिक श्रद्धांजलि दी तथा ऐसे कार्यक्रम आयोजन हेतु प्रधानाचार्य को धन्यवाद दिया।

बीज भाषण करते हुए सी एम कॉलेज के प्राध्यापक डॉ ए के पोद्दार ने कहा कि वर्तमान कुलपति के मार्गदर्शन में हमारा विश्वविद्यालय आज बिहार में न केवल अग्रणी है,वल्कि भारत के मानचित्र पर अविस्मरणीय रूप से दर्द भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर का जीवन त्याग व समर्पण की प्रतिमूर्ति था, जिनपर लोहिया के विचार  की अमिट छाप थी। वे सत्ता व धन का केंद्रीकरण रोकना चाहते थे तथा जाति व्यवस्था तथा वंशवाद के खिलाफ थे। स्वर्गीय ठाकुर जीवन भर समाजवाद के सिद्धांत पर अडिग रहे, जिन्होंने किसी भी परिस्थिति में अपने सिद्धांत के साथ समझौता नहीं किया।

मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य प्रो हरि नारायण सिंह ने कहा कि कुलपति बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं जो किन्हीं की भी बातों को रिजेक्ट नहीं, बल्कि रिस्पांस करते हैं। उन्होंने कहा कि इस हॉल का निर्माण मारवाड़ी महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ देवीदत्त पोद्दार ने करवाया था।इस कारण इस पुनर्निर्मित हॉल का नाम उन्हीं के नाम पर होना चाहिए। प्रो सिंह ने कर्पूरी ठाकुर को गुदड़ी का लाल कहते हुए कहा कि स्व. ठाकुर ने अपनी मिहनत व कीर्ति से गहरी लीक खींच दिया है।अनवरत संघर्ष से ही वे अपने जीवन में आगे बढ़ते रहे।सी एम कॉलेज के छात्र के रूप में उनका दरभंगा से गहरा लगाव था।वे नीचे के लोगों को उठाना तथा दबे लोगों को आगे बढ़ाना चाहते थे।

आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रधानाचार्य डा श्यामचंद्र गुप्त ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर गरीबों, दलितों व शोषितों के हितैषी थे। नई पीढ़ी उनके आदर्शों को अपनाकर समाजवादी समाज निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं।अपनी क्षमता तथा जनहित की भावना से ही वे जन से जननायक बने।वे हर तरह की विषमता को दूर करना चाहते थे। प्रधानाचार्य ने कहा कि कुलपति की प्रबंध कुशलता के कारण ही विश्वविद्यालय दिनानुदिन प्रगति पथ पर अग्रसर है।

इस अवसर पर डॉ प्रभावती, प्रो दयानिधि राय तथा डा हीराकांत झा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में डॉ टुनटुन झा, डॉ मोहम्मद जफर, डॉ बिनोद बैठा, डॉ आरएन चौरसिया, डॉ विकास सिंह, डॉ एस के गुप्ता, डाअनिल बिहारी वर्मा, आमोद नारायण सिंह, डॉ चंदेश्वर प्रसाद, डॉ हरेराम मंडल, डॉ अलख निरंजन सिंह, डॉ कविता रानी, डॉ हेमपति झा, डॉ एस के सुमन, एनएसएस के स्वयं सेवक तथा छात्र संघ के अनेक प्रतिनिधि, शिक्षकेत्तर कर्मी आदि सहित एक सौ से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।

अतिथियों का स्वागत पाग, चादर,पुष्पगुच्छ तथा माला आदि से किया गया। समारोह का उद्घाटन दीप प्रज्वलन द्वारा हुआ।कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन पूर्व कुलसचिव प्रो अजीत कुमार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ एपी यादव ने किया।

8 विषयों के शोध प्रारूपों की पीजीआरसी की बैठक में हुई जाँच

दरभंगा : शोध परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने में सतर्कता बरतें पीजी रिसर्च काउंसिल। शोध प्रबन्ध को मूल्यांकन से पूर्व साहित्यिक चोरी पकड़ने के लिए साफ्टवेयर से गुजरना होगा। उक्त बातें आज विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल की बैठक में कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा। सामाजिक विज्ञान संकाय के कुल 8 विषयों के शोध प्रारूप की जांच पीजीआरसी की बैठक में किया गया।

सभी 8 विषयों के विभागाध्यक्ष,  उन विषयों के विश्वविद्यालय स्तर के प्राचार्य, संकायाध्यक्ष सामाजिक विज्ञान प्रो बिनोद कुमार चौधरी इस काम को अंजाम दिए। सभी 110 शोध प्रारूपों को स्वीकृत किया गया, जिसमें इतिहास से 22, गृह विज्ञान से 8, मनोविज्ञान से 12, राजनीति विज्ञान से 13, अर्थशास्त्र से 17, भूगोल से 9, समाजशास्त्र से 27 एवं ए आई एच से 2 शोध प्रारूप को अनुमोदित किया गया।

पीजीआरसी की बैठक में प्रति कुलपति प्रो जय गोपाल, अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी, परीक्षा नियंत्रक डॉ एसएन राय, उप परीक्षा नियंत्रक डॉ यूके दास, उप परीक्षा नियंत्रक डा आनन्द मोहन  मिश्रा , पूर्व परीक्षा नियंत्रक डा अशोक मेहता, पूर्व उप परीक्षा नियंत्रक प्रो अरुण कुमार सिंह उपस्थित थे।

मुरारी ठाकुर

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