पटना : केंद्र सरकार किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस वर्ष के बजट में कृषि के लिए अब तक सबसे जयादा पैसा आवंटित किया गया है। जैविक कृषि, एफपीओ और ‘इनाम’ यानी राष्ट्रीय कृषि बाजार के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार प्रयासरत है। उक्त बातें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कही। मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले कृषि पर इतना आवंटन नहीं किया जाता था। इस वर्ष के बजट में सरकार ने एक हजार 50 लाख करोड़ का आवंटन किया है। यह अब तक का सबसे ज्यादा आवंटन है।
केंद्रीय मंत्री ने चार प्रमुख बिंदुओं का दिया ब्योरा
उन्होंने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए चार प्रमुख बिंदुओ का जिक्र किया, जिसमें पहला बिंदु किसानों की लगत को कम करने को जरूरी कहा। मंत्री के अनुसार अगर किसानों की लागत कम किया जाए, तो स्वाभाविक सी बात है कि उनकी आय बढ़ेगी। दूसरा उन्होंने उन्नत बीज को किसानों की आय बढ़ाने में सहयोगी बताया। उन्नत बीज से पैदावार ज्यादा होगी जिससे किसानों की अच्छी कमाई हो सकती है।
तीसरा मुख्य बिंदु उन्होंने भंडारण को बताया। भंडारण की बेहतर सुविधा होने पर किसान अपनी उपज को सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छा मूल्य मिलने पर बेचने का लाभ मिलेगा। भंडारण की सही व्यवस्था नहीं होने पर किसानों को औने—पौने दामों पर बेचना पड़ता है। चौथा मुख्य बिंदु उन्होंने बाजार को बताया। उनके अनुसार किसान अपनी उपज को बाजार तक पहुँचाने में कामयाब हो जाएंगे तो उन्हें बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी और सही दाम उन्हें मिल सकेगा।
16 टारगेट को आधार बना केंद्र कर रहा काम
मंत्री ने बताया कि सरकार 16 टारगेट को आधार बनाकर काम कर रही है जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सके। जीरो बजट फ़ार्मिंग, जैविक कृषि, एफपीओ और इनाम के माध्यम से सरकार लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाएं और अपने उत्पाद का दाम खुद ही तय करें जिससे उन्हें अपने उपज का सही दाम मिल सकेगा। किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी।
उन्होंने कहा कि बिहार का कुछ क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है। बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए नदी जोड़ो परियोजना पर काम करके सरकार किसानों को लाभ पहुंचा सकती है। इस बजट में किसान रेल की घोषणा की गई है। इस योजना के माध्यम से किसान अपने उत्पाद को देश के हरेक कोने में पहुंचा सकेंगे जिससे उन्हें लाभ मिलेगा।
भाजपा की सरकार से पहले यह कहा जाता था कि केंद्र से अगर एक रूपया दिया जाता है तो वह जमीन तक पहुंचते पहुंचते मात्र 25 पैसा रह जाता है। पर अब यह अवधारणा टूट गई है। किसानों को अब ठीक उतना ही पैसा मिल जाता है जितना केंद्र से भेजा जाता है। पैसा सीधे उनके खाते में भेजा जाता है।