नीतीश से बदला, या Next कांट्रैक्ट का जुगाड़ कर रहे पीके?

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पटना : जदयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर कल मंगलवार को अपने अगले कदम पर बड़ा ऐलान करेंगे। एक समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने संकेत दिया कि वे बिहार में जदयू और उसके नेता नीतीश कुमार को सबक सिखाने के मूड में हैं। उन्होंने इतना जरूर साफ किया है कि वो न तो किसी पार्टी के साथ जाएंगे और न ही किसी के लिए प्रचार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे बिहार में महज चुनावी मैनेजर नहीं, बल्कि एक राजनीतिक व्यक्ति के तौर पर सक्रिय होंगे।

मंगलवार को बिहार चुनाव पर करेंगे बड़ा ऐलान

साफ है कि प्रशांत किशोर नीतीश कुमार और जेडीयू से मुकाबला करने का इरादा रखते हैं। विदित हो कि JDU में रहते नीतीश ने पीके को नंबर दो की हैसियत से पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था, जिसके बाद कई युवाओं को जोड़ने के लिए पीके ने पार्टी को अपने सुझाव दिए थे। लेकिन अहम मुद्दों पर वे नीतीश कुमार के निर्णयों को भी ओवरलुक कर विरोधी बयान देने लगे। ऐसे में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

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सक्सेस रेट बता पार्टियों के सामने फेंका चारा

कुछ राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि पीके विशुद्ध रूप से एक चुनावी मैनेजर हैं। अपनी कंपनी चलाने के लिए उन्हें राजनीति नहीं, राजनीतिक दल की सख्त जरूरत है।ऐसे में कयाह है कि पिछले चुनाव में नीतीश-लालू के मददगार बने पीके इस बार लालू का मददगार बन महागठबंधन के लिए काम करेंगे।

प्रशांत किशोर ने न्यूज चैनल से बातचीत में कहा भी कि पिछले छह सालों में उत्तर प्रदेश को छोड़कर मैं रणनीतिकार के रूप कोई भी चुनाव नहीं हारा हूं। इससे एक बात साफ है कि मैं चुनाव हारने के लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए उतरता हूं। साथ ही उन्होंने बिहार में राजनीतिक सक्रियता और बढ़ाने की भी बात कही। इस बयान से भी यह जाहिर होता है कि पीके राजनीतिक दलों को अपनी सफलता रेट बताकर कंपनी और खुद के लिए क्लाइंट का जुगाड़ करना चाह रहे हैं।

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