साइंस इनोवेटर एक्जिवीसन में मोडल प्रस्तुत करेंगे शिल्की व अभय
दरभंगा : एमएलएसएम कालेज के अभय कुमार झा एवं एमआरएम कॉलेज के शिल्की कुमारी को 27 एवं 28 फरवरी 2020 को राजभवन में आयोजित होने वाली साइंस ईनोवेटर एक्जिवीसन 2020 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की ओर से अपना ईनोवेटिव मोडल प्रस्तुत करेंगे।
कल स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग में कुल तीन दर्जन छात्रों द्वारा अपने इनोवेटिव आइडिया एवं मोडल प्रस्तुत किये गये थे। प्रस्तुत किये गये इनोवेटिव आईडिया/मोडल भौतिकी,रसायन, वनस्पति विज्ञान, जन्तु विज्ञान, मनोविज्ञान विषयों एवं ग्रास रूट से थे, जबकि सभी विषयों को मिलाकर मात्र दो प्रतिभागी को ही राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भेजना है। इनमें से दो उत्कृष्ट प्रतिभागियों के चयन हेतु जजों द्वारा उनके प्रस्तुति के आधार पर चयन कर आज पुन: दस प्रतिभागियों को प्रर्दशन के लिए बुलाया गया था।आज सभी विषयों के जज के रूप में संकायाध्यक्ष प्रो शीला, विभागाध्यक्ष प्रो बीएस झा, प्रो एनएन चौधरी, प्रो ध्रुव कुमार, डॉ सीमांत श्रीवास्तव उपस्थित थे।
सीसीडीसी डॉ सुरेंद्र कुमार के संयोजकत्व में हुई प्रतियोगिता में प्रो रतन कुमार चौधरी डी एस डब्ल्यू एवं प्रो केके साहू पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे।
रिसर्च माइथोलॉजी पर देश के विशिष्ट विद्वान विवेचन प्रस्तुत करेंगे
दरभंगा : समाजशास्त्र विभाग में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जानकारी देते हुए समाज विज्ञान संकाय अध्यक्ष एवं इस कार्यशाला निदेशक प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि 10 दिवसीय कार्यशाला आयोजन 19 फरवरी 2020 को नरगोना स्थित जुबली हॉल में किया जाएगा। यह बिहार राज्य में अपने ढंग का यह पहला कार्यशाला है जिसमें रिसर्च माइथोलॉजी के विभिन्न आयामों पर देश के विशिष्ट विद्वान अपना विवेचन प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने कहा कि देशभर के मात्र तीन विश्वविद्यालयों का आईसीएसएसआर ने इस कार्यशाला हेतु चुना है। श्री चौधरी के अनुसार प्रतिदिन 3 वर्ग का संचालन होगा जिसमें राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त समाज वैज्ञानिक अपना प्रतिवेदन रखेंगे। प्रतिभागी के रूप में कर्नाटक, पुणे, मुंबई कश्मीर नैनीताल वर्धा इत्यादि से 30 रिसर्च स्कॉलर का नाम आईसीएसएसआर द्वारा स्वीकृति हुआ है।
पाठ्यक्रम सह निदेशक डॉक्टर सारिका पांडे ने कहा कि कुल 7 राज्यों के कुल 30 विश्वविद्यालयों से एमफिल , पीएचडी एवं पोस्ट डॉक्टोरल के छात्रों ने आवेदन किया। इनमें से 10 बिहार राज्य के बाहर, 10बिहार राज्य के अंदर तथा 10 स्थानीय शोध छात्र एवम छात्राओं का चयन किया गया है। चयनित शोध छात्र छात्राओं में कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय बेंगलुरु, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा, भारतीय जनसंख्या अध्ययन संस्थान मुंबई, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय, जम्मू, शारदा विश्वविद्यालय नोएडा,वनस्थली विद्यापीठ, वनस्थली, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया सहित अन्य विश्वविद्यालय से है।
इस कार्यशाला में कुल सात केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं एवं चार राज्य विश्वविद्यालय के विषय विशेषज्ञ अपना व्याख्यान देंगे। इनमें प्रमुख रूप से प्रोफेसर एसके जोशी एवं प्रोफेसर जीपी सिंह हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी प्रोफेसर शिल्पी वर्मा, भीमराव अंबेडकर भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ, डॉ दर्शन कुमार झा इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद, प्रो रवि प्रकाश पांडे महात्मा गांधी विश्वविद्यापीठ वाराणसी, प्रोफेसर सी एस एस ठाकुर जबलपुर विश्वविद्यालय, प्रोफेसर पवनेश कुमार एवं डॉ पंकज कुमार महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी, डॉ अनिल सिंह झा दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रोफ़ेसर अजय कुमार चाणक्य विधि विश्वविद्यालय पटना, प्रोफेसर वीके लाल पटना विश्वविद्यालय सहित अन्य विषय विशेषज्ञ ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है इस कार्यशाला समाज विज्ञान में शोध पद्धति शास्त्र विषय पर आयोजित है। समाज विज्ञान के क्षेत्र में नए नए शोध पद्धति एवं तकनीकी सहित अन्य विषयों पर विद्वानों द्वारा उन्नत तकनीकी युक्त संसाधनों द्वारा व्याख्यान एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यशाला ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
इस संवाददाता सम्मेलन के अवसर पर समाजशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं समाजशास्त्री प्रोफ़ेसर गोपी रमण प्रसाद सिंह, डॉ मंजू झा,डॉ शंकर कुमार लाल, सुश्री लक्ष्मी कुमारी सहित अन्य प्राध्यापक उपस्थित थे।
पत्रकारिता के क्षेत्र में असीम संभावनाएं : प्रो चंद्रभानु
दरभंगा : पत्रकारिता अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है, जिसमें चुनौतियों के साथ ही असीम संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में युवाओं के सपनों को पंख लग सकते हैं। गद्य के विकास के साथ ही पत्रकारिता का भी विकास हुआ।स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अखबार निकालना बहुत ही खतरनाक था। फिर भी उस समय पत्रकारिता करना मिशन था,पर आज फैशन बन गया है। उत्तर पूंजीवाद के इस युग के मूल में भाव कि नहीं,बल्कि अर्थ की प्रधानता बढ़ी है। उक्त बातें विश्वविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने सीएम कॉलेज में कैरियर ओरिएंटेड प्रोग्राम के तहत संचालित पत्रकारिता के सर्टिफिकेट कोर्स सत्र 2019-20 के नामांकित छात्रों के वर्गारंभ समारोह एवं ‘पत्रकारिता की बढ़ती भूमिकाएं एवं संभावनाएं’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कहा।
उन्होंने कहा कि आज प्रशिक्षित पत्रकारों की अत्यधिक जरूरत है। समाज और अखबारों के बीच सोशल मीडिया काफी सक्रिय हुआ है, जिसकी खबरों का कोई तर्कपूर्ण प्रमाण नहीं होता। इस कारण खबरों की विश्वसनीयता खंडित हुई है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को सफल पत्रकार बनने की गुर सिखाते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता का इतिहास गौरवमयी एवं सामाजिक सरोकार से संबंध रहा है। 1857 से 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम में हमारी पत्रकारिता राष्ट्रभक्ति,एकता व अखंडता तथा सांस्कृतिक विरासत की रक्षक रही है,पर आज यह दिग्भ्रमित हो रही है। व्यवसायीकरण के कारण यह अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई है, जो चिंतनीय है।
प्रधानाचार्य ने कहा कि पत्रकारिता मरुभूमि में नाव चलाने जैसा कार्य है। सच्चे पत्रकारों का कोई धर्म व जाति नहीं होता,बल्कि वे संत सदृश होते हैं, जिनको किसी के प्रति ईर्ष्या-द्वेष या लोभ-लालच नहीं होता। पत्रकारिता उजाला है जो अपना बेहतर प्रभाव समाज पर जरूर दिखाता रहा है।
विषय प्रवेश कराते हुए पत्रकारिता के शिक्षक डॉ प्रीतम कुमार मिश्र ने कहा कि पत्रकारिता समाज व सरकार के बीच सच्चाई रखने का अच्छा माध्यम है। आज खबरों के कई स्रोत उपलब्ध हैं। व्यवस्था बढ़ने के साथ ही चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। संगोष्ठी का विषय समसामयिक एवं समाजोपयोगी है।उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारिता करने के साथ ही पत्रकार बनाने का भी मुझे सुअवसर मिला।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पत्रकारिता के शिक्षक प्रो संतोष दत्त झा ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती।धर्य और लक्ष्य के प्रति समर्पण से ही बड़ी से बड़ी उपलब्धियों को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने छात्रों को बेहतर पत्रकार बनाने हेतु हरसंभव सहायता का संकल्प व्यक्त किया।
सम्मानित अतिथि के रूप में उर्दू के प्राध्यापक डॉ अब्दुल हैइ ने कहा कि पत्रकारों को सच्चाई के साथ ही भाषा पर पूरी पकड़ तथा विषय की गहन जानकारी आवश्यक है। सफल पत्रकारिता हेतु छोटी-बड़ी सभी खबरों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
मुख्य वक्ता के रूप में पत्रकारिता के शिक्षक ललित झा ने कहा कि मिथिला सांस्कृतिक राजधानी है। पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि शौक है। यह मात्र वृत्ति नहीं,बल्कि प्रवृत्ति है। पहले धन बेहतर सामाजिक- पारिवारिक जीवन जीने का मात्र साधन होता था, पर आज यह हमारा साध्य बन गया है।पत्रकारिता को संवेदनशीलता,जागरूकता, सूचनात्मकता,वस्तुनिष्ठता और विषयनिष्ठता की जरूरत है।
छात्रों की ओर से माधवी कुमारी,मो आफताब आलम, मो मोवाज हुसैन,नीरज कुमार तथा जयप्रकाश कुमार साहू आदि ने विचार व्यक्त किया,जिन्हें प्रमाण पत्र व मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया। साथ ही 2018-19 के छात्र-छात्राओं को 15 दिवसीय प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर प्रो इंदिरा झा, प्रो मंजू राय, डा मीनाक्षी राणा, डा संजीत कुमार झा,डा प्रीति त्रिपाठी,डा शैलेंद्र श्रीवास्तव, डा सुधांशु कुमार, डा रूपेंद्र झा, अमरजीत कुमार, राकेश कुमार, गोविंद कुमार,काजल कुमारी, जगजीत तथा विष्णु कांत सहित 80 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया, जबकि संगोष्ठी का उद्घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। आगत अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता पाठ्यक्रम के समन्वयक डा आर एन चौरसिया ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ रीता दुबे ने किया।
मुरारी ठाकुर