कभी 15 साल तक दिल्ली सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव में सिर्फ 4. 29 % वोट मिले। 2015 की तरह इस बार भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। राजनीतिक संघर्ष में इस समय कांग्रेस शून्य पर है। क्योंकि कांग्रेस को 2020 में 2015 के चुनाव से भी कम वोट मिले हैं। कांग्रेस के लिए सबसे चिंताजनक बात यह है कि कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार दूसरे नंबर पर नहीं रहा। लड़ाई सिर्फ भाजपा और आप के बीच देखने को मिली।
हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने भाजपा एवं आम आदमी पार्टी पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया। सुभाष चोपड़ा ने कहा कि मैं पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेता हूं। सुभाष चोपड़ा ने कहा कि केजरीवाल को बधाई लेकिन अपने काम की वजह से नहीं चतुराई और विज्ञापनों की वजह से जीते हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा जनता ने अपना जनादेश दे दिया। जनादेश कांग्रेस के विरूद्ध भी दिया है, इस जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि हम निराश नहीं हैं। कांग्रेस को जमीनी स्तर पर और नए सिरे से मजबूत करने का संकल्प दृढ़ हुआ है। कांग्रेस के कार्यकर्ता और साथी का हम धन्यवाद करते हैं तथा नवनिर्माण का संकल्प लेते हैं।
ख़बरों के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर शुरूआती समय में कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे। वहीं आम आदमी पार्टी के जबरदस्त जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार कांग्रेस नेता सदानंद सिंह कहा कि इस चुनाव में धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को मजबूत करने के लिये कांग्रेस ने आक्रामक चुनाव प्रचार नहीं की थी।