गया : विख्यात लेखिका, टीवी पैनल लिस्ट एवं राजनीतिक समीक्षक शुभ्रस्था नागरिकता संशोधन कानून पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग लिया। इस परिचर्चा का आयोजन नागरिकता संशोधन कानून के संबंध में फ़ैली भ्रांतियों को दूर करने को ले कर आयोजित किया गया था।
परिचर्चा का आरंभ सरस्वती वंदना से किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में परिचर्चा में भाग लेते हुए शुभ्रस्था ने कहा कि किसी भी देश में धार्मिक रूप से प्रताड़ित लोगों को भारतीय नागरिकता देने का विधान नया नहीं है। पहली बार 1986 में संविधान संशोधन के द्वारा लोगों को नागरिकता दी गई थी।
भारत में कई अवसरों पर नागरिकता अधिनियम में संशोधन कर विभिन्न आधार पर नागरिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि आज के संदर्भ में इस कानून का कुछ समूहों के द्वारा विरोध किया जा रहा है। जिसे व्यापक नजरिए से देखने की जरूरत है।
परिचर्चा को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य शशि शेखर ने कानून के विभिन्न प्रावधानों की चर्चा करते हुए वर्तमान परिवेश में इस कानून को बहुत ही जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि यह समय की जरूरत है, हमें अपने पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता लेने की बात नहीं है, बल्कि हमारे पड़ोसी देशों में धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यक समूह को ही नागरिकता देने की बात कही गई है।