नयी दिल्ली : जानलेवा कोरोना वायरस महज एक माह में चीन से बाहर निकलकर फिलिपिंस, अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, द.कोरिया और यहां तक कि आस्ट्रेलिया में भी पांव पसार चुका है। चीन के बुहान सहित करीब 10 शहरों को शेष दुनिया से पूरी तरह लॉक कर दिया गया है। इधर वुहान से एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाए गए भारतीय छात्रों से जो जानकारी मिली, उसके अनुसार यह वायरस चाइनिज साम्राज्यवादी मिशन के दौरान हुई एक चूक का नतीजा है। आइए जानते हैं कि कैसे चीन की ग्लोबल दादागीरी की महत्वाकांक्षा ने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया है।
भारत-USA को ठीक करने का मंसूबा
चीन में संक्रमण की शुरुआत दिसंबर माह में हुबेई प्रांत से हुई। हुबेई में चीन की सबसे अत्याधुनिक टेस्टिंग लैब स्थापित है। यह एक खुफिया जगह पर है और यहां जाने की किसी को इजाजत नहीं। बताया जाता है कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अमेरिका, भारत और अन्य यूरोपीय देशों से मुकाबला के लिए चीन ने 6th जेनरेशन हाईब्रिड वॉर की गुपचुप नीति अपनाई। इसके तहत वह अपने प्रतिद्वंद्वियों और दुश्मनों को सबक सिखाने और उनकी अर्थव्यवस्था तबाह करने के लिए काफी खतरनाक मंसूबा बनाया। कोरोना वायरस को इसी मंसूबे को अंजाम देने के लिए वहां डेवलप किया जा रहा था।
अतिमहत्वाकांक्षा ने मुसीबत में डाला
तभी 2019 के दिसंबर माह में हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान के निकट स्थित इस लैब में कुछ ऐसी मानवीय भूल हुई जिससे यह वायरस लीक कर गया और वातावरण में फैल गया। नतीजा, जिस चीन ने दूसरों के लिए गड्ढा खोदा था, वह उसी में जा गिरा। देखते ही देखते इसने चीन को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया। वुहान में ही कोरोना का पहला केस सामने आया था। वुहान में बड़ी संख्या में भारतीय और पाकिस्तानी छात्र मेडिकल की पढ़ाई करते हैं।
कोरोना के घातक रूप अख्तियार करने के बाद भारत ने अपने नागरिकों को वुहान से वापस लाना शुरू कर दिया। अभी तक 647 भारतीयों को विशेष फ्लाइट से दिल्ली लाया जा चुका है। इधर कोरोना वायरस के चीन की सरहद लांघ अन्य देशों में भी पांव पसारने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। बता दें कि चीन के अलावा भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई अन्य देशों में भी कोरोना के मामलों की पुष्टि हो चुकी है।