पार्टी लाइन से हटकर बयान देने वाले प्रशांत किशोर और पवन वर्मा पर जदयू कार्रवाई कर सकती है। इसको लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि दोनों नेता लगातार बयान दे रहे हैं उससे लगता है कि उन्होंने आगे का कोई दूसरा रास्ता तय कर लिया है। मालूम हो कि बिहार में प्रशांत किशोर की एंट्री पवन वर्मा ने ही कराई थी। 2018 में पवन वर्मा ने ही पीके को बिहार के बुद्धजीवियों, कलाकारों और पत्रकारों से एक कार्यक्रम का आयोजन कर मिलवाया था।
मालूम हो कि दिल्ली में भाजपा से गठबंधन होने के बाद पवन वर्मा ने पत्र लिखकर इसे सही नहीं ठहराया था। इसके जवाब में जदयू प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह पवन वर्मा के पत्र को बेमतलब का करार दिया। सिंह ने कहा कि कौन क्या लिखता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बिहार में हमारा गठबंधन भाजपा के साथ है। तब तो किसी को कोई ऐतराज नहीं है। दिल्ली में हमारा गठबंधन बढ़ रहा है, तो इसमें हर्ज क्या है। ऐसे पत्र का कोई मतलब नहीं है।
पवन वर्मा के बाद जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर आप नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध करने वालों की परवाह नहीं कर रहे हैं तो फिर क्यों नहीं आगे बढ़ते और इसे लागू करने की कोशिश करते हैं? पीके के ताजा बयान से सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है। सबसे मुश्किल हालात नीतीश कुमार के लिए बन गए हैं जिनके लिए लालू ने महागठबंधन का दरवाजा पहले से ही क्लोज कर दिया है। वहीं अब एनडीए में प्रशांत किशोर की धृष्टता जदयू अध्यक्ष और सीएम नीतीश के लिए परेशानी का सबब बन गई है।
प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के मुद्दे पर बुधवार को पटना में पत्रकारों से बात करते हुए वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि वे इस मसले को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीएम नीतीश कुमार से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि इन दोनों के बयान से पार्टी पर कोई फर्क नही पड़ता है। दोनों ने अगर मन बना लिया है तो फिर वो स्वतंत्र हैं।