पटना : पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय अंतर्गत कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस में ‘शोध क्रियाविधि’ पर चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 21 जनवरी से शुरू इस कार्यशाला में ग्रामीण क्षेत्रों में बिखरे प्रमाणों और सूचनाओं को एकत्रित कर उनका विश्लेषण करने के तौर-तरीकों पर विस्तार से बताया गया। कार्यशाला में पूरे देश से करीब 10 विशेषज्ञ आए हैं जो शोध छात्रों को शोध की क्रियाविधि और शोध के लिए अपनाए जाने वाले आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
चारदिवसीय कार्यशाला में जुटे देशभर के विशेषज्ञ
कार्यशाला के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में पिथौरागढ़ स्थित गवर्नमेंट पीजी कॉलेज के प्राध्यापक बीएम पांडे ने ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध प्राचीन साहित्यिक रचनाओं के शोध महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उत्तर प्रदेश के चंदौली स्थित पीजी गवर्नमेंट कॉलेज के शिक्षक प्रोफेसर पंकज झा एवं उत्तर प्रदेश के अकबरपुर स्थित गवर्मेंट पीजी कॉलेज के प्रोफेसर शाहिद ने शोध में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध तत्व के महत्व पर प्रकाश डाला।
ग्रामीण क्षेत्र में बिखरे स्रोतों का होगा अध्ययन
पांचवें सत्र में मुंगेर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गिरीश पांडे ने फणीश्वर नाथ रेणु की रचना ‘मैला आंचल’ में उपलब्ध शोध महत्व के तत्वों पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला का आयोजन पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की ओर से किया गया है। कार्यशाला के संयोजक डॉ अविनाश कुमार झा ने बताया कि इस कार्यशाला में विचार मंथन से सामने आए शोध के लिए उपयोगी बातों को लिपिबद्ध कर प्रकाशित किया जाएगा।
वही इतिहास विभाग के राजीव रंजन ने बताया कि शोध को उपयोगी और समाज की समस्याओं के समाधान का अस्त्र बनाने के लिए उसमें नई दृष्टि एवं नया प्रयोग आवश्यक है। कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर तपन शांडिल्य ने बताया कि शोध को सशक्त एवं उपयोगी बनाने के लिए इस प्रकार की कार्यशाला जरूरी है।