पटना : भाजपा ने बिहार में CAA और NRC जैसे कोर मुद्दों पर यह साफ कर दिया कि पार्टी इस मामले में पीछे मुड़ने के मूड में नहीं। NRC तो फिलहाल चर्चा के दायरे में नहीं है, लेकिन CAA पर भाजपा ने लकीर खींच दी है। CAA पर कल बिहार विधानसभा में ‘फिर से बहस करने’ की मुख्यमंत्री नीतीश के बयान पर भाजपा एमएलसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने दो टूक कहा कि अगर बिहार में जदयू से गठबंधन नहीं चलता है, तो हम नया गठबंधन बनाने से परहेज नहीं करेंगे।
CAA पर मुख्यमंत्री के विस में बयान से फंसा पेंच
विदित हो कि जदयू ने संसद में CAA का समर्थन किया था जिसके बाद पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इसपर आपत्ति जतायी थी। तब से जदयू में इसे लेकर असमंजस के हालात थे। इसपर नीतीश कुमार कल विधानसभा में फिर से चर्चा कराने की बात कही। नीतीश के ऐसा करते ही यह साफ हो गया कि प्रशांत किशोर उनके इशारे पर ही बयान दे रहे थे। ऐसे में भाजपा ने भी अब आर—पार का मूड बना लिया है।
सीएम बनाने वाली परिस्थितियां ढूंढने का आरोप
भाजपा नेता संजय पासवान ने कहा कि CAA पर जदयू द्वारा संसद में समर्थन के बाद विधानसभा में मुख्यमंत्री का बयान समझ से परे नहीं है। उन्हें राजद भी परिस्थितियों का सीएम बताता रहा है। ऐसे में प्रतीत हो रहा है कि वे इस चुनावी वर्ष में एक बार फिर सीएम बनाने वाली परिस्थितियों की तलाश में जुट गए हैं। यही कारण है कि संसद में समर्थन के बाद भी वे CAA पर असमंजस बनाए रखना चाहते हैं।
असमंजस के हालात में विकल्प होना जरूरी
मालूम हो कि भाजपा के एक धड़े में काफी पहले से भाजपा का सीएम होने की बात उठती रही है। संजय पासवान इस सोच के अग्रदूत रहे हैं। संजय पासवान ने कहा कि अगर किन्हीं वजहों से बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन नहीं चलता है तो हम लोग नया गठबंधन बनाने में नहीं हिचकिचाएंगे। उन्होंने कहा कि ‘हमने कभी नहीं कहा कि बिहार राजद मुक्त होना चाहिए। बिहार में राजद की ताकत रहनी चाहिए, क्योंकि बिहार में यह अकेली विपक्षी पार्टी है, ना कि कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल।
उन्होंने कहा कि बिहार में कोई भी सरकार आए, लेकिन बनेगी भाजपा की मदद से ही और सरकार भाजपा की ही रहेगी, ये भी पूरी तरह से स्पष्ट है। महाराष्ट्र का हवाला देते हुए श्री पासवान ने कहा कि वहां हमारे एक पुराने साथी शिवसेना ने हमारा साथ छोड़ दिया और कांग्रेस के साथ जाकर मिल गया। बिहार में पहले लालू यादव भाजपा का विरोध करके सत्ता में थे। जदयू के साथ मिलकर हमने उन्हें सत्ता से बाहर किया। हम अब भी चाहते हैं कि हमारे पुराने साथी हमारे साथ रहें। लेकिन यदि वे हमें छोड़कर बाहर जाते भी हैं तो हमें नये पार्टनर चुनने की आजादी है।