पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला में बोले डॉ. संजय पासवान: पत्रकार का काम शब्द संधान

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पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में उपस्थित स्वत्व समूह के संपादक कृष्णकांत ओझा, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान, विसंके अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह और समाजसेवी राजेश पांडेय (बाएं से)

पटना : पत्रकार का काम शब्द संधान का होता है और इस लिहाज से पत्रकारिता एक गंभीर कर्म होने के साथ-साथ सामाजिक दायित्व का भी कार्य है। उक्त बातें रविवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं विधान पार्षद डॉ संजय पासवान ने विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित 12 दिवसीय पत्रकारिता कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहीं।

जैक ऑफ सम ट्रेड्स एंड मास्टर ऑफ वन

डॉ पासवान ने कहा कि आज विशेषज्ञता का दौर है। पहले पत्रकारों के विषय में कहा जाता था कि ‘जैक आफ ऑल ट्रेड्स एंड मास्टर आफ नन’। लेकिन, आज की स्थिति हो गई है ‘जैक ऑफ सम ट्रेड्स एंड मास्टर ऑफ वन’। स्पेशलाइजेशन आज के दौर की आवश्यकता बन गई है। इसको इस बात से समझा जा सकता है कि विशुद्ध रूप से पत्रकारिता के अध्ययन के लिए विशेष विश्वविद्यालय की स्थापना हो रही है। पत्रकारिता की तरह ही अन्य विषयों के अध्ययन के लिए स्पेसलाइज संस्थानों की स्थापना हो रही है।

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पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करतेपूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान

डॉ पासवान ने अ से अचरज, आ से आमंत्रण, इ से इंगित, ई से ईश्वर, उ से उत्साह जैसे हिंदी के वर्णमाला का उदाहरण देते हुए बताया कि अक्षर की वैज्ञानिकता के आधार पर हम पत्रकारिता के पेशे को साध सकते हैं। वेद काल से ही ऋषि-मुनियों ने अक्सर अनुसंधान पर जोर दिया है और आज के दौर में भी पत्रकारिता के लिए अक्षरों और शब्दों का अकाट्य महत्व है।

जान और उससे भी बढ़कर विशेषज्ञता वाले ज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आज के दौर में अनइंप्लॉयमेंट समस्या नहीं है, बल्कि एंप्लॉयबिलिटी की समस्या है। अर्थात रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन उस रोजगार को करने की योग्यता वाले लोगों की कमी है।

अपने संसदीय जीवन के की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने पत्रकार की गरिमा मर्यादा और महत्व को बताया और प्रशिक्षुओं को उत्साह के साथ कार्यशाला पूर्ण करने की शुभकामनाएं दी।

वन टाइम ऑपरट्यूनिटी

उद्घाटन समारोह में उपस्थित समाजसेवी राजेश पांडे ने कहा कि यह कार्यशाला भावी पत्रकारों के लिए एक वन टाइम ऑपरट्यूनिटी की तरह है। इसके बाद आपके जीवन में इस तरह की कार्यशाला शायद ही मिले। इसलिए 12 दिनों के दौरान एक एक-एक घंटे का अधिकतम उपयोग करें।

उद्घाटन सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कांत ओझा ने इन 12 दिनों में होने वाले क्रियाकलापों की जानकारी दी और पत्रकारिता में प्रशिक्षण के महत्व को समझाया।

मंच संचालन करते हुए विश्व संवाद केंद्र (विसंके) के संपादक संजीव कुमार ने दो दशकों से चल रहे पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला की उपलब्धियों को बताया और समय के साथ कार्यशाला के पाठ्यक्रम में लाए हुए बदलाव को रेखांकित किया। उन्होंने सिलेबस की चर्चा करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को अखबार, पत्रिका, टीवी, रेडियो, फिल्म, विज्ञापन, जनसंपर्क, वेब, सोशल मीडिया, विपणन आदि के बारे में थ्योरी और प्रैक्टिकल कराया जाएंगे।

पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागी

विश्व संवाद केंद्र न्यास के अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि पत्रकारिता की गरिमा को अक्षुण्ण रखने के ढेर से 16 वर्ष पूर्व प्रशिक्षण कार्यशाला का आरंभ किया गया था और इतने वर्षों में इस कार्यशाला के माध्यम से विश्व संवाद केंद्र ने देश और समाज को कई प्रतिभावान पत्रकार दिए हैं। आने वाले समय में भी संस्था का प्रयास रहेगा कि उच्च शिक्षा और मीडिया के क्षेत्र में होने वाले नैतिक पतन को रोकने के लिए कार्यशाला और संगोष्ठी में समय-समय पर आयोजित होती रहें।

इस अवसर पर मिथिला कोसी, सीमांचल, अंग, मगध और शाहाबाद क्षेत्र से आए प्रशिक्षु उपस्थित थे।

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