नड्डा करेंगे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन, पढ़ें अब तक का सफर
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) अपना नामांकन करेंगे। नड्डा पार्टी के 11 वें राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अपना नामांकन करेंगे। उम्मीद यह की जा रही है जी पी नड्डा निर्विरोध भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जा सकते हैं।
दरअसल नड्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना उसी दिन हो गई थी, जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री पद की शपथ ली थी। उसके बाद से ही देश में यह चर्चा का विषय बना हुआ था कि भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा ? हालांकि 13 जून को भाजपा के तरफ यह स्पष्ट कर दिया गया था कि दिसंबर 2019 तक के सारे चुनाव भाजपा अपने वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में ही लड़ेगी।
लेकिन, भाजपा में जब से मोदी व शाह युग की शुरुआत हुईं है तब से भाजपा के कुछ राजनीतिक निर्णय काफी चौकानें वाली होती है, कुछ इसी तरह का निर्णय बीते 17 जून को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष देश के पूर्व गृहमंत्री वर्तमान में देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए यह जानकारी दी थी कि भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया कि आने वाले दिनों में विभिन्न चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी जगत प्रसाद नड्डा (जे.पी. नड्डा) को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में चुना है।
कौन हैं नड्डा जो विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक पार्टी का बॉस बनने जा रहे हैं
2 दिसंबर 1960 को बिहार की राजधानी पटना में जन्मे जे.पी.नड्डा का राजनीतिक जीवन का शानदार रहा है। उनकी शुरुआती शिक्षा पटना के संत जेवियर में और पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई किये। उस समय उनके पिता नारायण लाल नड्डा पटना विश्वविद्यालय के कुलपति थे। नड्डा जब किशोरावस्था में थे तो उस समय बिहार में छात्र आंदोलन दौर था। उसी समय नड्डा भी इस आंदोलन से जुड़े और छात्र राजनीति में अपना कदम रखा।
नड्डा ने वर्ष 1977 में पटना विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के चुनाव में सचिव चुने गए और यहीं से शुरू होता है नड्डा का सफल राजनीतिक सफर। इसके बाद नड्डा आगे की पढ़ाई के लिए अपने गृहराज्य हिमाचल प्रदेश चले गये। वहां से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की और उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में पहली बार छात्रसंघ का चुनाव हुआ और नड्डा 1983-1984 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए । उसके बाद 1986 से 1989 तक नड्डा विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे, 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने ।
1993 में हिमाचल के बिलासपुर से वो पहली बार विधानसभा के चुनाव जीते और विपक्ष के नेता बने, फिर 1998 में विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद नड्डा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने और 2007 में बिलासपुर से विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद नड्डा को वन और संसदीय मामले के मंत्री बनाया गया । लेकिन, 2010 में हिमाचल के मुख्यमंत्री धूमल से मतभेद होने के बाद नड्डा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
लेकिन, तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नड्डा के संगठन क्षमता और कुशल कार्यशैली को देखते हुए प्रदेश की राजनीति से बाहर निकालकर राष्ट्रीय राजनीति में जगह दी और भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। उसके बाद जब राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो भी नड्डा को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया।
2012 में नड्डा को हिमाचल से राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। 2019 के आम चुनाव में दोबारा भाजपा को सत्ता मिलने के बाद जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ और नड्डा को मंत्री नहीं बनाया गया तब से यह कयास लगाया जा रहा था कि नड्डा को भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा।
लेकिन, वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य नड्डा को भाजपा का राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया , एक मिथक यह भी है कि भाजपा लोकसभा के चुनाव में जिसे भी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाती है और शानदार जीत दर्ज करने के बाद उसे भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से पुरस्कृत किया जाता है क्योंकि यह कहा जाता है कि जो उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझ गया वो देश के राजनीति की समझ रखता है और इसी का ईनाम नड्डा को मिला, भाजपा के पहले राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष 19 जून से अपना पद संभाले थे।