डैमेज कंट्रोल को बिहार आ रहे शाह, झारखंड में सरयू और मरांडी पर दांव!

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पटना/रांची : लगातार खिसक रही सियासी जमीन और झारखंड में मिले ताजा झटके के बाद भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। 16 जनवरी को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के बिहार दौरे को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके तहत फोकस बिहार के साथ ही झारखंड पर भी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में तो पूरी टीम भाजपा ही बदलने वाली है। इसके तहत जहां बाबूलाल मरांडी की पार्टी में वापसी की जमीन तैयार हो चली है, वहीं नाराज सरयू राय को भी झारखंड में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। आइए जानते हैं, भाजपा के डैमेज कंट्रोल की पूरी कहानी।

शाह का दौरा और बिहार-झारखंड में नई कवायद

दरअसल, महाराष्ट्र में शिवसेना के धोखे और झारखंड में मिली मात ने भाजपा को बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीतिक मोर्चे पर अभी से सोचने पर मजबूर कर दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह पार्टी संगठन में जोश भरने के साथ CAA और NRC जैसे मसलों पर विरोधियों को जवाब देने बिहार आ रहे हैं। इसके अलावा श्री शाह अपने मजबूत गढ़ झारखंड में सांगठनिक एजेंडे पर भी काफी सीरियस हैं।

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मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की रणनीति

यही कारण है कि झारखंड में नेता प्रतिपक्ष का अभी तक चयन नहीं हो सका है। पार्टी का मानना है कि अभी तक राज्य में बाबूलाल मरांडी को छोड़कर कोई भी ऐसा नेता सामने नहीं आ सका है, जिसकी स्वीकार्यता आदिवासी—नन आदिवासी सभी वोटरों के बीच हो। बाबूलाल भी तमाम कोशिशों और इतने वर्षों के मेहनत के बाद भी वह सबकुछ नहीं प्राप्त कर सके, जो उन्हें भाजपा में रहते मिला था। ऐसे में बाबूलाल मरांडी की भाजपा में घर वापसी और उनको राज्य में भाजपा का चेहरा बनाने पर गंभीरता से विचार चल रहा है। बाबूलाल की इंट्री से भाजपा को नई टीम और सशक्त आदिवासी सपोर्ट भी हासिल होगा, जो पार्टी को वहां अजेय बना देगी।

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सरयू को मिल सकती है झारखंड में कमान

दूसरी तरफ पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी एक ऐसे ईमानदार छवि वाले नेता को सामने लाना चाह रही है जो सांगठनिक क्षमता में भी महारथ रखता हो। इन दोनों ही योग्यताओं पर हाल के चुनाव में टिकट से वंचित होने पर बागी होकर सीएम रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले और उन्हें परास्त करने वाले सरयू राय फिट बैठते हैं। गोविंदाचार्य के साथ सांगठनिक कार्य करने का उनका लंबा अनुभव रहा है। साथ ही, बागी होने के बावजूद पार्टी ने अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। सरयू राय भी अपनी मातृ पार्टी से बाहर नहीं जाना चाहते। उन्हें दुख जरूर है कि उनकी बात नहीं सुनी गई, जिसकी उन्होंने पिछले दिनों लगातार ट्वीट कर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से सवालिया लहजे में शिकायत भी की थी।

खरमास बाद गठित होगी नई कार्यकारिणी

माना जाता है कि शाह 16 जनवरी को एक दिवसीय बिहार दौरे में कई एजेंडे लेकर आ रहे हैं। माना यह भी जा रहा है कि खरमास यानी 15 जनवरी के बाद बीजेपी की बिहार और झारखंड में प्रदेश कार्यकारिणी तैयार होनी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि शाह इस पर भी अपनी मुहर लगाएंगे। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले शाह का यह दौरा बिहार—झारखंड में पार्टी नेताओं और कार्यकतार्ओं में नया जोश और स्फूर्ति लाकर डैमेज कंट्रोल की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।

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