बच्चों को खरीदने-बेचने का धंधा करने वाला विजय चौधरी महिलाओं और युवतियों को अनचाहे गर्भ की कीमत भी देता था। ये महिलाएं गर्भपात कराने के लिए मुजफ्फरपुर स्थित उसके मां भगवती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आती थीं। अस्पताल का निदेशक विजय उसे गर्भ नहीं गिराने की सलाह देकर अस्पताल में भर्ती करता था। बच्चा जन्म देने की एवज में प्रलोभन भी देता था। नौ महीना पूरा होने पर नॉर्मल या ऑपरेशन कराकर सुरक्षित प्रसव कराता था। इसके बाद बच्चे को रख लेता था। बाद में उसे बेच देता था। इतना ही नहीं, अनचाहे गर्भ वाली महिलाओं को जाल में फंसाने के लिए उसने इस धंधे में युवतियों को भी शामिल कर रखा था। इसका नेटवर्क एक चेन की तरह था, जिसमें एक बार जो युवती लिप्त हो जाती थी वही आस-पड़ोस की लड़कियों को भी पढ़ाई और नौकरी के नाम पर विजय के पास लेकर पहुंचती थी।
तीन से चार महीने एक गर्भवती को रखता था
मंगलवार को भागलपुर स्टेशन पर बच्चे के साथ पकड़ी गई आरोपित सारिका देवी ने पुलिस को बताया कि ज्यादातर गर्भपात या गर्भ नहीं रखने वाली युवतियों को तीन से चार महीने तक अस्पताल में रखता था। महिला के साथ एक स्वजन का भी खर्च उठाता था। मां भगवती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पांच वर्षो में ज्यादातर प्रसव इसी तरह के हुए। पुलिस सूत्रों की मानें तो बच्चे की खरीद-बिक्री के लिए ही यह अस्पताल खोला गया था।
छात्राओं पर डालता था दबाव
बच्चों का धंधेबाज विजय चौधरी ग्राहक खोजने के लिए नर्सिग छात्राओं पर दबाव डालता था। इसके लिए बकायदा छात्राओं को ट्रेनिंग दी जाती थी। इन छात्राओं पर बच्चा खरीदने वाले ग्राहकों को लाने और बच्चा चोरी करने की जिम्मेदारी होती थी।
आपराधिक धारावाहिक देखकर बदली सोच
बच्चा चोरी की दूसरी आरोपित कल्पना कुमारी ने कहा कि वह टीवी पर आपराधिक धारावाहिक देखकर इस धंधे में आई। उसने सिर्फ मुंगेर और उसके आसपास की आधा दर्जन लड़कियों का नर्सिग होम में दाखिला कराया है।