पटना : प्रशांत किशोर के बयानों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया में सफाई दी कि एनडीए में विवाद जैसी कोई बात नहीं है। सब ठीकठाक है। लेकिन प्रशांत किशोर हैं कि मानते नहीं। उन्होंने आज फिर ट्वीट के जरिये भाजपा नेता और डिप्टी सीएम सुशील मोदी पर तंज कस दिया। उन्होंने लिखा कि 2015 की हार के बाद सुशील मोदी परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री हैं। भाजपा ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रशांत किशोर के इस आचरण को एनडीए के लिए घातक करार दिया।
कन्फ्यूजन क्रियेट करने वाला नेता
भाजपा प्रवक्ता राजीव रंजन ने प्रशांत किशोर को कन्फ्यूजन क्रियेट करने वाला नेता बताते हुए कहा कि वे न सिर्फ एनडीए को नेस्तनाबूत करने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं, बल्कि नीतीश कुमार के जदयू को भी बर्बाद करने पर तूले हुए हैं। आने वाले चुनावों में सब साफ हो जाएगा। किसी भी पार्टी को उसका अध्यक्ष चलाता है। किसी भी मुद्दे पर अध्यक्ष का स्टैंड ही पार्टी का स्टैंड होता है। ऐसे में सीएए और गठबंधन पर पार्टी लाइन से उलट लाइन लेना, पार्टी नेतृत्व को ठेंगे पर रखना नहीं तो और क्या है?
नीतीश ने ठोंक रखी पीके की पीठ
उधर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर सबकुछ अपने मन से नहीं कर रहे। उन्हें ऐसा करने के लिए ऊपर से ईशारा मिला हुआ है। संकेत पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार की तरफ ही है। नीतीश कुमार काफी मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। राजद महागठबंधन में उनके लिए दरवाजे बंद कर चुका है। ऐसे में महज एनडीए के विकल्प के साथ वे अपने को असुरक्षित मान रहे हैं। यही कारण है कि माइनस राजद वाले महागठबंधन का ख्वाब उन्हें प्रशांत किशोर दिखा रहे हैं। नीतीश कुमार को लगता है कि दो—दो विकल्पों वाली स्थिति उन्हें फिर सत्ताशीन करने के लिए बेहतर होगी।
जदयू में बगावत होने का खतरा
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रशांत किशोर की हरकतों ने जदयू में भी विभाजन का खतरा पैदा कर दिया है। आरसीपी सिंह, ललन सिंह आदि को भी नीतीश कुमार इग्नोर नहीं कर सकते। आरसीपी और ललन सिंह एनडीए में मजबूती से बने रहना चाहते हैं। वहीं प्रशांत किशोर का नीतीश के इतने करीब आना भी जदयू के बाकी नेताओं को फूटी आंख नहीं सुहा रहा। ऐसे में पार्टी में दो फाड़ का डर भी नीतीश कुमार को सता रहा है। यही कारण है कि वे अभी भी खुलकर कुछ नहीं कह रहे। बस, सब ठीक है कहकर डोलड्रम बनाए हुए हैं।