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ओवैसी ने क्यों दिया नीतीश को न्योता? पटकथा तैयार !

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को बिहार में नागरिकता संशोधन कानून(CAA ) के खिलाफ किशनगंज के रुईदासा मैदान में ‘संविधान बचाओ, देश बचाओ’ रैली की थी। इस रैली में बिहार के अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी मौजूद रहे। सबसे पहले मंच से ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को सामान्य राजनीतिज्ञ न होने की बात कहते हैं। फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा से अलग होने की नसीहत देते हैं। ओवैसी कहते हैं नीतीश कुमार खुद को भाजपा से अलग कर लें, हम सब आपका समर्थन करेंगे। आपने बिहार में अपने लिए एक नाम बनाया है, देश की खातिर भाजपा छोड़िए।

ओवैसी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार इन कानूनों के जरिए बाबा साहेब और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सपनों को तोड़ रही है। बिहार के मुसलमानों ने भी आजादी की लड़ाई में कुर्बानियां दी थीं। ओवैसी ने कहा कि बाबा साहेब ने संविधान लागू करते समय इस बात का जिक्र किया था कि यह देश किसी एक खास मजहब के लोगों का नहीं, बल्कि सभी मजहब को मानने वालों का होगा।

ओवैसी ने इसलिए दिया नीतीश को न्योता

दरअसल बीते अगस्त-सितम्बर में राज्य स्तर पर जदयू के चुनावी रणनीतिकार और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की अगुवाई में एक सर्वे हुआ। उक्त सर्वे का निष्कर्ष यह निकला कि बिहार में जदयू अपनी धर्मनिरपेक्षता और विकासात्मक पहल के कारण लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस तथा अन्य दलों के साथ जदयू जा सकती है। लेकिन, ऐन मौके पर गृह मंत्री अमित शाह को इसकी जानकारी मिली और उनकी चाल से जदयू के कदम थम गये।

सूत्र बताते हैं कि सर्वे में यह बात उभर कर आयी कि मुस्लिमों का सबसे बड़ा धड़ा धर्मनिरपेक्षता को लेकर जदयू का मुंह ताक रही है। कारण कि राजद तथा कांग्रेस से उसे अब बहुत उम्मीद नहीं रही गयी है। उसे विकल्प की तलाश है। यही कारण है कि बिहार का सबसे बड़ा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र और कश्मीर और लद्दाख के बाद तीसरा सबसे अधिक घनत्व 72 फीसदी वाली मुस्लिम आबादी किशनगंज में असदुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को उपचुनाव में मत देकर विजयी बना दिया।

कांग्रेस, जदयू और मुस्लिम नेताओं को लेकर बनी थी चौकड़ी

सूत्रों का कहना है कि सर्वे की जानकारी जदयू के सभी वरिष्ठ नेताओं को थी। लेकिन, उन्हें यह नहीं पता था कि सर्वे का उद्देश्य था क्या? वैसे, कुछ नेताओं को ही  इसके उद्देश्य की जानकारी थी। जानकारी के अनुसार, टीम प्रशांत चाहती है कि बिहार में 18 फीसदी मुस्लिम, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी के साथ मिलकर भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा जाए। भले ही अमित शाह के हस्तक्षेप और सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार को बिहार एनडीए का चेहरा बताते हुए मसले को ठन्डे बस्ते में डाल दिए थे। लेकिन, संभव है कि अगले चुनाव में यह पाॅलिटिकल फार्मूला लागू किया जा सकता है। वैसे भी यूथ इन पॉलिटिक्स कार्यक्रम के माध्यम से लगभग 1 लाख युवाओं को पार्टी से जोड़े थे।

क्या सच में ओवैसी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं जदयू के लिए

स्वाभाविक सी बात है सीमांचल के 23 विधानसभा सीटों पर जदयू, कांग्रेस और AIMIM  की तिकड़ी चुनाव को प्रभावित कर सकती है। बीते लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भी ओवैसी की पार्टी को कोचाधामन में लीड मिली थी। AIMIM उम्मीदवार को 68242, जदयू को 38,721 और कांग्रेस को 36,984 वोट मिले थे। इसी तरह बहादुरगंज में भी एआईएमआईएम को 67,625, जदयू को 52,486 और कांग्रेस को 44,492 वोट मिले थे। 2019 के उपचुनाव में किशनगंज विधानसभा सीट पर AIMIM के कमरुल होदा को 70469 मत मिले थे। जबकि दुसरे नंबर पर रही एनडीए समर्थित भाजपा उम्मीदवार स्वीटी सिंह को 60258 मत मिले थे। तथा किशनगंज लोकसभा चुनाव में AIMIM को 2 लाख 95 हजार 029, जदयू को 3 लाख 32 हजार 551 तथा विजयी होने वाले कांग्रेस मो. जावेद को 3 लाख 67 हजार 017 वोट मिले थे।

लोकसभा चुनाव में दलगत स्थिति

2019 के आम चुनाव में विधानसभा क्षेत्र के अनुसार परिणाम देखे तो 53 विधायकों वाली भाजपा को 96 और 71 विधायकों वाली पार्टी जदयू 92 तथा  2 विधायकों वाली पार्टी लोजपा 35 तथा 80 विधायकों वाली पार्टी राजद को मात्र 9 तथा 27 विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस को 5 विधानसभा सीट पर बढ़त मिली थी।

पीके के अनुसार नहीं चलेगा लोकसभा वाला फार्मूला

मालूम हो प्रशांत किशोर ने एक टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार भाजपा के साथ लड़ेंगे और विधानसभा में सीटों का बंटवारा 1:1.4 के आधार पर होगा। यानी जदयू 142 और भाजपा 101 तथा दोनों दल अपने हिस्से से लोजपा को सीटें देंगी।

भाजपा अकेले लड़ने को भी तैयार

लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद से भाजपा अब बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरना चाहती है तथा छोटे भाई के किरदार से मुक्त होकर बड़े भाई की भूमिका में आना चाहती है। बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने भी कहा था कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। इसी आत्मविश्वास से लबरेज भजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने प्रशांत किशोर के ऐलान के बाद कहा कि जरूरत पड़ी तो भाजपा अकेले भी चुनावी मैदान में जाने को तैयार है, क्योंकि यह किसी के चेहरे पर नहीं चलती, बल्कि संगठन के आधार पर चलती है।