असली जदयू कौन! आरसीपी या पीके? भाजपा का नीतीश से सवाल

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पटना : आगामी विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार भाजपा के साथ लड़ेंगे लेकिन कुछ अहम शर्तों के साथ। यह घोषणा नीतीश कुमार की तरफ से आरसीपी सिंह ने नहीं, बल्कि चुनावी रणनीतिकार और जदयू नेता प्रशांत किशोर ने की है। बकौल प्रशांत किशोर विधानसभा में सीटों का बंटवारा 1:1.4 के आधार पर होगा। यानी भाजपा को एक सीट तो जदयू को डेढ़ गुना से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी। मतलब साफ है कि लोकसभा चुनावों की तरह सीटों का बंटवारा नहीं होगा, बल्कि यह 2010 के सीट बंटवारे जैसा ही होगा।

आक्रामक भाजपा अकेले लड़ने को भी तैयार

प्रशांत किशोर के इस एकतरफा ऐलान के बाद एनडीए, खासकर भाजपा कैंप में गुस्से का गुबार उठना लाजिमी था। सीएए और एनआरसी को लेकर भाजपा पहले ही जदयू नेता प्रशांत किशोर के खिलाफ कार्रवाई की अपेक्षा कर रही थी। अब सीट बंटवारे पर मनमाना बयान। साफ है कि भाजपा भी कन्फ्यूजन में नहीं रहना चाहती। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि जरूरत पड़ी तो भाजपा अकेले भी चुनाव में जाने को तैयार है क्योंकि यह किसी के चेहरे पर नहीं चलती, बल्कि संगठन के आधार पर चलती है।

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पीके के कंधे पर नीतीश चला रहे बंदूक

उन्होंने प्रशांत किशोर के बयानों और संसद में सीएए पर जदयू के स्टैंड के साथ ही सीट बंटवारे पर पीके के ताजा ऐलान को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने पूछा कि क्या पीके जदयू का शीर्ष नेतृत्व हो गए हैं, जो जदयू के लिए सीटों की संख्या बता रहे हैं?। उन्होंने इस बारे में जदयू से जवाब भी मांगा। कहा-’जदयू बताए कि क्या पीके की बात पार्टी का आधिकारिक बयान है? डॉ. जायसवाल के अनुसार, सीटों का बंटवारा पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व का काम है। अगर पार्टियों का गठबंधन है, तो पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व इकट्ठे बैठकर यह तय करता है।

जदयू में भी गठबंधन को लेकर खेमेबाजी

लेकिन चौंकाने वाली बात यह कि जदयू के भी एक खेमे में रोष देखा जा रहा है। आरसीपी और ललन सिंह की अगुवाई वाले दूसरे खेमे ने प्रशांत किशोर के इस ऐलान का अंदर ही अंदर विरोध करते हुए संकेत दिया कि उनके इस कदम से पार्टी दोराहे पर खड़ी हो गई है। महागठबंधन के दरवाजे पहले ही बंद हैं, वहीं यदि एनडीए में भाजपा ने पीके के गणित को नकार दिया तब पार्टी कहीं की नहीं रहेगी।

आरसीपी और प्रशांत किशोर आमने-सामने

विदित हो कि जदयू में भी आरसीपी सिंह खेमा प्रशांत किशाेर के बयानों पर पहले ही कह चुका है कि वे अनुकंपा पर ही पार्टी में हैं। लेकिन अपने ताजा बयान में प्रशांत किशोर ने आरसीपी को भी चुनौती देते हुए उनके 15 साल बनाम 15 साल के मुद्दे पर जदयू के चुनाव लड़ने के दावे को खारिज कर दिया। पीके ने कहा कि पुरानी बातों की चर्चा तो होगी लेकिन हमें यह बताना पड़ेगा कि अगले 5 साल में हम क्या करेंगे? चुनाव सिर्फ पुरानी बातों पर नहीं लड़ा जाता। स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर जदयू में जो भी कर रहे हैं, उसके लिए कोई तो कहीं से उनकी पीठ ठोंक रहा है।

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