कलाकार ,शिक्षाविद, लेखक, पॉलिटिकल मर्चेंट के विरोध से आहत होकर गिरिराज का भावुक ट्वीट
पॉलिटिकल मर्चेंट जदयू उपाध्यक्ष का विरोध
जदयू उपाध्यक्ष और चुनाव सलाहकार प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के फैसले पर दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन से दुखी हूं। यह बिल धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने वाला है जो भेदभावपूर्ण है’। इसके बाद राज्यसभा में भी जदयू के समर्थन के बाद प्रशांत किशोर ने लिखा कि ‘नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने ले पहले जदयू नेतृत्व को उनलोगों के बारे में भी सोचना चाहिए जिन्होंने 2015 में उनपर भरोसा और विश्वास जताया था। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे’।
राजद, कांग्रेस, रालोसपा और हम का विरोध
बिहार में राजद, कांग्रेस, रालोसपा और हम ने नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि सीएबी असंवैधानिक है। भारत के संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि देश को धर्म के आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता। यदि जेल जाना पड़ेगा तो हम जेल भी जाएंगे लेकिन देश को टूटने नहीं देंगे। राजद ने कहा कि जदयू के कुछ नेता लोकसभा में बिल पास होने के बाद सीएबी पर सवाल उठा रहे हैं। यह सब नाटक का हिस्सा है। जदयू में किसी में भी नीतीश कुमार के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं। नीतीश ने सत्ता में बने रहने के लिए बिल का समर्थन करके समझौता किया है।
कलाकारों, लेखकों, शिक्षाविदों का विरोध
खुले पत्र के माध्यम से देश के कलाकारों, लेखकों, शिक्षाविदों, पूर्व न्यायाधीशों और पूर्व नौकरशाहों ने सरकार से नागरिकता (संशोधन) विधेयक वापस लेने की अपील की थी । पत्र में लिखा है कि ‘सांस्कृतिक और शैक्षिक समुदायों से जुड़े हम सभी लोग इस विधेयक को विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार देते हुए निंदा करते हैं। देशव्यापी एनआरसी के साथ यह देशभर के लोगों के लिए अनकही पीड़ा लेकर आएगा। यह भारतीय गणतंत्र की प्रकृति को आधारभूत रूप से अपूरणीय क्षति पहुंचाएगा। यही कारण है कि हम सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग करते हैं।
गिरिराज का भावुक ट्वीट
नागरिकता संशोधन बिल के विरोध से दुखी होकर भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा कि “अखंड भारत के बिछड़े अपनो से आस लगाए है, वक्त है अपने बिछड़े परिवार, उनके बहु बेटी, उनके धर्म को बचाने का। खुले मन से CAB का साथ दे, वो हमारे अपने हैं, अपनी मिट्टी-अपने खून के हैं , आखिर वो कहाँ जाएंगे? अन्यथा समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र, जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।
मालूम हो कि सात घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बाद लोकसभा ने सोमवार आधी रात को इस विधेयक को पारित कर दिया गया। आज इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया है इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।