पटना : हैदराबाद में चार कथित दुष्कर्मियों के पुलिस इनकाउंटर में ढेर होने के बाद बिहार सरकार की आंखें खुल गईं हैं। अब यहां दुष्कर्मियों को जेल में अतिथि की तरह खाना नहीं खिलाया जाएगा, बल्कि उपयुक्त सजा दी जाएगी। रेप मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए बिहार सरकार 54 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने जा रही है। इस पर विधि विभाग, गृह विभाग तथा पुलिस मुख्यालय ने मंत्रणा कर हरी झंडी दे दी है।
महज एक साल में दर्ज हुए 3369 पाॅक्सो मामले
उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि जिन जिलों में 100 से पार पाॅक्सो के मामले हैं, वहां एक कोर्ट तथा जहां 200 से पार आंकड़े हैं, वहां दो या तीन कोर्ट का गठन किया जाएगा। इनमें 30 कोर्ट सिर्फ पाॅक्सो मामले को देखेगे। वहीं 24 कोर्ट रेप के मामले को देखेंगे। इसके लिए शीघ्र ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। वैसे विभागीय स्तर पर इसकी मुक्कमल तैयारी हो चुकी है। सरकार के इस बड़े फैसले के पीछे बलात्कारियों के बढ़ रहे मनोबल को ढहा देना है।
आंकड़ों की जुबानी, बिहार में हालात की कहानी
हाल के दिनों में बिहार बलात्कार या फिर उस प्रयास में विफल होने पर वीभत्स घटनाओं को अंजाम देने के कई मामले सामने आये हैं। समाज में बढ़ रहे आक्रोश और खत्म हो रहे कानून के डर को कायम रखने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि सूबे के आला हुक्मरानों ने विमर्श के दौरान कई हिला देने वाली घटनाओं का जिक्र करते हुए अविलम्ब प्रस्ताव लाने की जरूरत बतायी।
आंकड़ों के अनुसार महिला उत्पीड़न में बिहार देश में 23वें स्थान पर है। ऐसी बढ़ती घटनाओं को इस तरह समझा जा सकता है कि महज 10 वर्षों में सूबे में 7382 घटनाएं घटीं। महज एक साल में पाॅक्सो से जुड़े 3369 मामले दर्ज हुए। इनमें करीब 65 फीसदी मामले लंबित पड़े हैं।