साहित्य नवांकुरों को संवार रहा लेख्य-मंजूषा

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पटना : लेख्य – मंजूषा दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है। इस संस्था के सदस्य साहित्य के साथ – साथ अभिनय की दुनिया में भी आगे बढ़ रहे हैं। उक्त बातें मुख्य अतिथि व वरिष्ठ साहित्यकार भावना शेखर ने कही।कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा सिंह ने कहा कि लेख्य – मंजूषा नवांकुरों को साहित्य के सजग करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

भव्य आयोजन को चार सत्र में किया गया

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प्रथम सत्र को पंद्रहवाँ हाइकू – दिवस के तौर पर मनाया गया। हाइकू – दिवस के बारे में बताते हुए संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने बताया कि यह काव्य शैली जापान से आई हुई है। बिहार, पटना में कई कवि हैं जो हाइकू शैली में कविताएं लिख रहे हैं। हाइकू दिवस के बाद लेख्य – मंजूषा की त्रैमासिक पत्रिका साहित्यक स्पंदन का लोकार्पण किया गया। साथ ही संस्था द्वारा प्रकाशित साझा पद्य संग्रह विह्नल हृदय धारा (पुस्तक), जिसमें संस्था के चौबीस सदस्यों की प्रतिनिधि रचनाएं प्रकाशित हुई है। पुस्तक लोकार्पण में लघुकथा पितामह डॉ. सतीशराज पुष्करणा, वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी, वरिष्ठ साहित्यकार भावना शेखर, वरिष्ठ शायर नीलांशु रंजन, युवा साहित्यकार राहुल शिवाय उपस्थित थे। तृतीय वार्षिकोत्सव में लेख्य – मंजूषा के सदस्यों द्वारा अभिनीत लघु चलचित्र षडयंत्र का प्रदर्शन बड़े पर्दे पर किया गया। फ़िल्म की कहानी, निदेशक, निर्माता, पटकथा लेखन, अभिनय सभी लेख्य – मंजूषा के सदस्यों द्वारा किया गया।

द्वितीय सत्र में विनय वरुण के प्रथम ग़जल संग्रह दर्दनामा पर परिचर्चा की गई। परिचर्चा में वरिष्ठ साहित्यकार अवदेश प्रीत, वरिष्ठ शायर क़ासिम खुर्सीद, वरिष्ठ साहित्यकार संजय कुमार कुंदन ने पुस्तक के एक – एक पहलुओं पर चर्चा की। तृतीय सत्र, में सभी सदस्यों द्वारा गद्य विद्या में लिखी रचनाओं का पठन किया। अस्थानिय सदस्यों की रचना का पाठ स्थानीय सदस्यों द्वारा किया गया। चौथे व अंतिम सत्र में कविताओं व ग़जल का पाठ किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन प्रभास सिंह और रवि श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण ने किया।

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