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मीसा साइडलाइन, क्या तेजस्वी या राबड़ी बनेंगे राजद सुप्रीमो?

पटना : राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है और 10 दिसंबर तक यह क्लियर हो जाएगा कि कमान किसके हाथ रहेगी। संभावना है कि फिर लालू ही सुप्रीमो चुने जाएं। पर पार्टी का एक बड़ा तबका राबड़ी देवी या तेजस्वी में से किसी एक को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की वकालत कर रहा है। यह धड़ा इसके लिए पार्टी की हालिया गतिविधियों से लालू पुत्री मीसा भारती की अनुपस्थिति का हवाला दे रहा है। इस ग्रुप का मानना है कि परिवार और पार्टी में बिखराव तभी शुरू हुआ जब मीसा ने मामलों को हैंडल करना शुरू किया। अब इसी लिए उसे परिवार ने साइडलाइन कर दिया है।

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परिवार और पार्टी में बिखराव रोकना चाह रहे लालू

दरअसल जबसे लालू जेल गए हैं, उनके कुनबे के कई राज एक-एक कर पब्लिक में सामने आ गए। पार्टी को भी इस पारिवारिक बिखराव का खामियाजा भुगतना पड़ा और हाल के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नसीब नहीं हुआ। साफ है कि लालू फैमिली में क्या चल रहा, ये बात किसी से छिपी नहीं। इधर लालू के जेल से बाहर आने का भी कोई ठिकाना नहीं है। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि राबड़ी या तेजस्वी में से किसी को अध्यक्ष बना दिया जाए। इसीलिए मीसा भारती को कह दिया गया है कि वह ज्यादा इंटरफेयर नहीं करे।

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बिहार आरजेडी में बिन लालू सब सूना-सूना

लेकिन राजद के दूसरे धड़े का मानना है कि बिहार राजद में बिन लालू सब सूना-सूना ही होगा। इनके अनुसार आज भी राजद को जो भी वोट मिलता है वह लालू के ही नाम पर मिलता है। उधर लालू भी यह जानते हैं पार्टी की कमान किसी और को सौंपने के बाद पारिवारिक कलह बढ़ सकती है। लालू यह भी जानते हैं कि उनके नाम का जलवा अभी खत्म नहीं हुआ है। यदि लालू के अलावा किसी और को राजद की कमान सौंपी गई तो डर है कि उनके वोटर राजद से छिटक सकते हैं।

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दो धड़ों में बंटी पार्टी, मीसा को सख्त संदेश

पार्टी और परिवार की इन्हीं उलझनों के बीच खबर है कि लालू यादव की सबसे बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने पिता के कुनबे और राजद के मामलों से दूरी बनानी शुरू कर दी है। यहां तक कि काफी दिनों से अपने बीमार पिता को भी देखने वह रांची नहीं गईं है। मीसा की इस दूरी को पार्टी के अंदर के लोग तेजप्रताप और ऐश्वर्या प्रकरण से भी जोड़कर देख रहे हैं। राजद के संगठन चुनाव और राजनीतिक घटनाक्रम से मीसा के खुद को काट लेने को पार्टी और परिवार में ऊर्जा डालने की नई रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।