01 दिसंबर : नवादा की प्रमुख ख़बरें

0
swatva samachar

रहमानी प्रवेश परीक्षा शांतिपूर्ण संपन्न

नवादा: जिले के अल्पसंख्यकों की सबसे बड़ी संस्था द्वारा रविवार को आयोजित रहमानी 30 प्रवेश परीक्षा मजलिसुल उलामा वल उम्मत जिला नवादा के अधीन कार्यवाहक में शांतिपूर्ण संपन्न हुआ। मुफ्ती इनायतुल्लाह कासमी कार्यालय सचिव मजलिस उल उलेमा वल उम्मत ने बताया कि उच्च प्रतिस्पर्धा प्रतियोगिता की तैयारी के लिए रहमानी 30 प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का प्रक्रिया 20 नवंबर 2019 तक था । 2020 से 2022 के लिए नवादा जिला से 282 इच्छुक छात्र एवं छात्राओं ने पंजीकरण कराया था, उनमें से 321 छात्र एवं 68 छात्राएं हैं। जिनमें से 163 छात्रों ने तथा 57 छात्राओं ने प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया।
रविवार 1 दिसंबर 2019 को प्रवेश परीक्षा रहमानी 30 का लिखित परीक्षा हुआ। इस लिखित परीक्षा में वही छात्र एवं छात्राएं शामिल हुए जो 2020 में 10वीं का परीक्षा देंगे। मजलिसुल उलामा वल उम्मत जिला नवादा के सदर प्रोफेसर इलियास उद्दीन जनरल सेक्रेटरी मौलाना नौशाद आलम कासमी तथा शमा अधिवक्ता ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी परीक्षा नवादा जिला सेंट्रल शताब्दी पब्लिक स्कूल नवादा में सुबह 9:30 से 12:30 तक मजलिसुल उलामा वल उम्मत के अधीन कार्यवाहक हुआ । सभी परीक्षार्थी 8:30 बजे ही पहुंच गए थे।रहमानी 30 के प्रवेश परीक्षा के लिए पंजीकरण एवं भागीदारी मुफ्त थी। साक्षात्कार अगले घोषणा के अनुसार रहमानी फाउंडेशन के रीजनल सेंटर पटना में होगा ।क्षदेश के 300 केंद्रों पर यह प्रवेश परीक्षा हुआ।
मौके पर शताब्दी पब्लिक स्कूल के जावेद अख्तर, प्रिंसिपल मेराज अहमद, शकील अहमद, मोहम्मद आरिफ, हाफिज जहांगीर, दानिश अहमद, मोहम्मद मुजफ्फर आलम, जुबेर अहमद, जीनत उरूस फातिमा, नैंसी कुमारी, तज़ईन ने हिस्सा लिया।

 एड्स दिवस पर पेवन में आयोजित हुई चर्चा

नवादा : जिले के नारदीगंज स्थित पेंशनर भवन में रविवारं को एडस दिवस के अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रखण्ड पेंशनर अध्यक्ष रामधनी प्रसाद ने किया। इस अवसर पर पेंशनर समाज सचिव श्रीकांत सिंह ने कहा कि एचआईभी एडस विश्व के लिये एक चिंता का गंभीर विय है। उन्होंने कहा एचआईभी एडस से विश्व मे आये दिन मरीजों की संख्या काफी बढ रही है,यह असुरक्षित योन संबंध,संक्रामित सूई का प्रयोग,गर्भवती मां से शिशु मे ंसक्रमित होना इसका मुख्य कारण माना जाता है। इस रोग को रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। मौके पर मुन्द्रिका प्रसाद सिंह,मोती ठाकुर,चंद्रिका प्रसाद सिंह,रामशरण प्रसाद सिंह,कामता प्रसाद सिंह समेत अन्य ने अपने विचार व्यक्त किया।

swatva

पैक्स चुनाव में दूसरे दिन अध्यक्ष पद के लिए 11 ने भरा पर्चा

नवादा : जिले के नारदीगंज प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के पैक्स चुनाव के लिए नामाकंण के दूसरे दिन रविवार को भी उम्मीदवारों ने नामाकंण पत्र दाखिल कराया। नाम निर्देशन के दौरान प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरूस्त रही। नामाकंण लेने के लिए ंअंतिम दिन 2 दिसम्बर यानि सोमवार तक निर्धारित किया गया है।
मौके पर प्रखंड कार्यालय नारदीगंज में विभिन्न पंचायतों के पैक्स अध्यक्ष पद के लिए 11 नामाकंण पत्र दाखिल हुआ, वही प्रबंधकार्यकारिणी सदस्य पदं के लिए 82 उम्मीदवारों ने नामाकंण के लिए पर्चा भरा। जिसमें पैक्स अध्यक्ष पद में उम्मीदवार कोशला पंचायत से 1,ओडो़ 2,इचुआकरणा से 2,मसौढा़ से 1,नारदीगंज से 1,डोहडा से 2,कहुआरा 1, परमासंदोहरा 1, नामाकंण पत्र का दाखिला हुआ। यह जानकारी प्रखंड निर्वाची पदाधिकारी सह बीडीओ राजीव रंजन ने दिया। प्रखंड कार्यालय में नाम निर्देशन के लिए पैक्स के अनुसार बने काउण्टर पर उम्मीदवारों ने नामाकंण पत्र दाखिल कियें।
मौके पर प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी उमेश प्रसाद, जीपीएस दिनेश कुमार,कर्मी बीएओ अमरनाथ मिश्र,ं बीआरपी अनिलेश कुमार,,पंचायत सचिव सतेन्द्र पासवान व शिवनंदन प्रसाद यादव समेत अन्य पदाधिकारी व कर्मी के देखरेख में हुआ। नाम निर्देशन के उपरांत उपस्थित समर्थकों ने पैक्स अध्यक्ष व प्रबंधकार्यकारिणी के सदस्य के उम्मदीवारों को फुलमाला से स्वागत किया।मौके पर एएसआई अनिल प्रसाद सिन्हा समेत अन्य पुलिस बल मुस्तैद रहे।यात्री बस पलटने  से दर्जनों यात्री ज़ख्मी

नवादा : राजमार्ग संख्या31पर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खराठ मोङ के पास तेज रफ्तार यात्री बस के गड्ढे में पलटने से दर्जनों यात्री ज़ख्मी हो गये। ज़ख्मी को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जाता है कि सिरदला से आ रही बस बिहारशरीफ की ओर जाने के क्रम में अनियंत्रित होकर हवा हवाई BR_01PC_7422 बस खराट मोड़ के निकट सड़क किनारे जा पलट गई।बस पर सवार सभी लोग घायल हो गए। मौक़े पर पहुँची मुफ़स्सिल पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। घटना के बाद बस का चालक व अन्य कर्मी फरार हो गए। सभी घायलों का सदर अस्पताल में चल इलाज कराया जा रहा है। पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त बस को जब्त किया है

13वें साउथ एशियन गेम्स: खुशबू और लक्की का भारतीय हैंडबॉल टीम में चयन, खुशी से झूमे जिलावासी

नवादा : नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित होने वाले 13वें साउथ एशियन गेम्स 2019 के लिए नवादा जिले के 2 खिलाड़ियों का चयन भारतीय हैंडबॉल टीम में किया गया है। नवादा नगर के पटेल नगर मोहल्ले की खुशबू और काशीचक प्रखंड के उपरांवा गांव के लक्की का चयन भारतीय हैंडबॉल टीम में किया है. दोनों खिलाड़ियों के चयन होने के बाद जिले में खेल जगत से जुड़े लोगों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है। राष्ट्रीय पुरुष एवं महिला वर्ग में जिले के दो खिलाड़ी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता नेपाल में 1 से 10 दिसंबर तक होगी।
अभ्यास वर्ग में टॉप 16 में सबसे पहले लक्की का हुआ चयन

लक्की का चयन सबसे पहले 25 सदस्य भारतीय टीम में किया गया, जहां प्रशिक्षण शिविर में वह चयन समिति के सबसे ऊपरी पायदान में शामिल थे। फैजाबाद के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर इनडोर स्टेडियम में आयोजित प्रशिक्षण में उन्होंने भाग लिया। इसके बाद अंतिम 16 सदस्य टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे। 16 खिलाड़ियों के दल में उन्हें पहले स्थान पर चयनित किया गया। इसके साथ ही साउथ एशियन गेम्स 2019 में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे। लक्की अब तक कई देशों में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने हुनर का कौशल दिखा चुके हैं। इससे पहले वह जॉर्जिया, हैदराबाद, पाकिस्तान, ओमान आदि कई देशों में हैंडबॉल खेल चुके हैं।

अपने खेल के बदौलत खुशबू ने लगा रखी है मेडल की झड़ी

बिहार से चुनी गई एकमात्र महिला खिलाड़ी खुशबू इससे पहले कई बार अपने राज्य के साथ-साथ देश का भी मान बढ़ा चुकी है। खुशबू कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल होकर कई मेडल जीत चुकी हैं। वह बिहार पुलिस की जवान हैं और खेल के बदौलत ही उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। साउथ एशियाई गेम्स में भारतीय टीम में शामिल होने के लिए होने वाले ट्रायल में खुशबू बिहार से एकलौती खिलाड़ी थीं और इसका उन्‍होंने भरपूर फायदा उठाते हुए टीम में अपना स्थान पक्का किया। पटियाला में आयोजित ट्रायल सेशन में खुशबू ने हिस्सा लिया और लगातार मेहनत से घर वालों का इस बार भी नाम रोशन किया।
बहरहाल, दोनों खिलाड़ियों का भारतीय टीम में चयन होने के बाद से नवादा जिले के लोग काफी खुश हैं. जबकि खुशूब और लक्‍की भी अपने चयन से खुश नजर आ रहे हैं। बता दें कि बचपन से ही खेल के प्रति गहरी रुचि रखने वाले दोनों खिलाड़ी हरिश्चंद्र स्टेडियम में लगातार प्रैक्टिस करते आए हैं और उन्हीं के द्वारा एक कोर्ट भी बनाया गया है जिसमें कई खिलाड़ी रोजाना प्रैक्टिस भी करते है।

10 बोतल अंग्रेजी शराब के साथ गिरफ्तार

नवादा : नगर थाना की पुलिस ने नवादा कादिरगज पथ पर मिर्ज़ापुर डाक बाबा के निकट बाइक पर सवार युवक के पास रखी एक बैग में १० बोतल विदेशी शराब बरामद किया । मोके से बाइक BR 27 A – 6230 को ज़ब्त किया है। गिरफ्तार युवक अकबरपुर थाना क्षेत्र के चनौली गाँव निवासी राजो यादव का पुत्र नंदू कुमार बताया जाता हैं ।
इस बावत उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बता दें जिले में शराब तस्करी व बिक्री का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है।

796 बोतल अंग्रेजी शराब बरामद,वाहन जब्त

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित गोविंदपुर पुलिस ने बरतला मोङ के पास छापामारी कर भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब बरामद किया है। इस कम में शराब ढोने के काम में लाए जा रहे पिंक अप वाहन को जब्त कर चालक को गिरफतार किया है। शराब की बोतलें झारखंड राज्य के गिरिडीह से लायी जा रही थी। इस बावत उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर चालक को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

थानाध्यक्ष डा नरेन्द्र प्रसाद ने बताया कि झारखंड राज्य के गिरिडीह से शराब की बङी खेप गोविंदपुर की ओर ले जाने की सूचना मिलते ही बरतला मोङ के पास जाल बिछाया गया। वाहन के पास पहुंचते ही चारों ओर से घेर लिया गया। तत्काल चालक को गिरफतार कर जाच आरंभ की गई। जांच के कम में वाहन से 750 एम एल का 84, 375 एम एल का 284 व 180 एम एल का528 कुल ,796 बोतल अंग्रेजी शराब बरामद किया गया। इस बावत उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी चालक को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। गिरफ्तार चालक की पहचान झारखंड राज्य गिरिडीह जिला ताराटांड़ थाना क्षेत्र के भडारीडीह गांव के गोविंद राजवंशी के रूप में की गई है।

अपह्त बच्चे की बरामदगी की मांग को ले पथ जाम, पुलिस ने चटकाई लाठियां

नवादा : जिले के पकरीबरावां थाना क्षेत्र से अपह्त वयवसायी पुत्र की बरामदगी की मांग को ले सुबह से ही ग्रामीणों ने पथ को जाम कर दिया। पकरीबरावां-कौआकोल पथ के मड़वा मोड़ के समीप रविवार की सुबह 5 बजे आक्रोशितों ने जाम कर दिया। घटना की जानकारी के बाद लगभग 8 बजे पकरीबरावां पुलिस घटना स्थल पर अपने दल-बल के साथ पँहुची। जंहा जामकर्ताओं को समझाने में असफल पुलिस ने लाठियां चटकानी शुरू कर दी।

इस क्रम में कई महिला पुलिस के डंडे से चोटिल हो गई। फिर क्या आक्रोशितों ने पुलिस बल पर पथराव कर दिया तथा इधर-उधर भागना प्रारम्भ कर दिया।घटना की जानकारी मिलते ही पकरीबरावां डीएसपी मुकेश कुमार साहा घटना स्थल से लेकर पीड़ित के गांव पंहुच कर मामले की जानकारी ली। और उन्हें आशवस्त करते हुए कहा कि धैर्य रखें हर सम्भव प्रयास किया जाएगा। मामला चाहे जो भी हो गांव में इस घटनाक्रम को लेकर दहशत व्यापत है।

बता दें गोपालपुर गांव निवासी सीताराम साव का 13 वर्षीय पुत्र मंतोष कुमार का अपहरण गुरुवार की दोपहर लगभग 3:30 उसके ही दुकान से एक अज्ञात बेलेरो से कर लिया था। इसकी जानकारी पुलिस को गुरुवार को दी गई थी। बाबजूद कारवाई नगण्य रहने के कारण ग्रामीण आक्रोशित हो गए तथा पथ को जाम कर दिया।

पैक्स अध्यक्ष प्रत्याशी का निधन

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित कौआकोल पैक्स के पूर्व अध्यक्ष व निवर्तमान पैक्स प्रत्याशी रामचंद्र प्रसाद साव का रविवार की सुबह हृदयागति रुक जाने से आकस्मिक निधन हो गया। वे लगभग 70 वर्ष के थे। बताया जाता है कि अपने घर में स्नान करने के बाद पूजा करने जाने के दौरान उनकी अचानक तबियत खराब हो गई। जिसके बाद परिजनों द्वारा कौआकोल पीएचसी में उन्हें ईलाज के लिए लाया गया,परन्तु रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।

पैक्स प्रत्याशी रामचंद्र साव की निधन की खबर के बाद निवर्तमान अध्यक्ष सुनील साव,डॉ चंद्रिका प्रसाद,निकुंज विश्वकर्मा,मुखिया पति मनोज कुमार,सरपंच पति शैलेश कुमार आर्य,पत्रकार रौशन कुमार समेत सैकड़ों लोगों ने अस्पताल एवं मृतक के घर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना प्रदान दी एवं मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया। बता दें कि रामचन्द्र साव कौआकोल पैक्स के अध्यक्ष पद पर 2009 में निर्वाचित हुए थे। 2014 में निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष सुनील कुमार ने उन्हें पराजित किया था।

वर्ष 2019 में होने वाले पैक्स चुनाव को लेकर रामचन्द्र साव ने शनिवार को पहले ही दिन सहायक निर्वाची पदाधिकारी कौआकोल के समक्ष अपना नामांकन पर्चा भरा था। इधर प्रखण्ड निर्वाची पदाधिकारी सह बीडीओ संजीव कुमार झा ने बताया कि अध्यक्ष प्रत्याशी रामचन्द्र प्रसाद के निधन के बाद कौआकोल पैक्स अध्यक्ष के लिए नामांकन एवं अन्य चुनावी कार्य प्रभावित नहीं होगी।

शिकायत दर्ज कराने वाले शिक्षक का ही विभाग ने रोक दिया वेतन

नवादा : स्थानांतरण रद्द होने के बाद अपने निवर्तमान विद्यालय में वापस लौटे शिक्षक को प्रधानाध्यापक पुष्कर कुमार अरुण द्वारा वापस विद्यालय में योगदान नहीं लिए जाने के कारण शिक्षक सत्यनारायण प्रसाद भटक रहे हैं । जब शिक्षक सत्यनारायण ने विभाग का दरवाजा खटखटाया तो विभाग ने भी उसकी कोई मदद नहीं की। उल्टे उसका वेतन बंद कर दिया। जिससे उक्त शिक्षक के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

मामला उगवाद प्रभावित रजौली अनुमंडल मुख्यालय का सह पकड़ का है। हालांकि स्थानान्तरण रद्द होने पर अंजू कुमारी,नलीणी कुमारी एवं सत्यनारायण प्रसाद समेत अन्य ने अपने अपने स्कूलों में योगदान नहीं किया जिससे कारण उनका वेतन बंद कर दिया गया है। पीड़ित शिक्षक सत्यनारायण प्रसाद ने बताया कि अब वे जाएं तो जाएं कहां। वह कहां योगदान करें और कहां से वेतन ले। यह कोई नहीं बता रहा है। समाचार लिखे जाने तक शिक्षक सत्यनारायण योगदान के चक्कर मे पड़े हैं

विदित हो कि प्रखंड क्षेत्र में नियोजित शिक्षकों का स्थानांतरण नियोजन इकाई के प्रमुख सह बीडीओ प्रेम सागर मिश्र द्वारा तीन चरणों में की गई थी।जिसमें कुल 14 शिक्षकों का नाम शामिल हैं। जिसमें शिक्षक सत्यनारायण प्रसाद पिता बढ़न यादव का भी नाम ट्रांसफर लेटर में शामिल किया गया था।

शिक्षक सत्यनारायण प्रसाद ने बताया कि डीईओ द्वारा स्थानांतरण रद्द करने के बाद उत्क्रमित मध्य विद्यालय चितरकोली में वे वापस योगदान करने की अनुमति वहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक पुष्कर कुमार अरुण से मांगी, लेकिन उन्होंने योगदान लेने से इंकार कर दिया और कहा कि जब तक बीडीओ और नियोजन इकाई के द्वारा उन्हें विद्यालय में वापस ज्वाइन करने के लिए लिखित पत्र नहीं दिए जाएंगे, तब तक वे चाह कर भी उनका योगदान विद्यालय में वापस नहीं ले सकते हैं। यह नियम के विरुद्ध है।
इधर विभाग ने शिक्षकों के पूर्व के स्थान पर योगदान नहीं करने के कारण उनका वेतन रोक दिया। अब शिक्षक जाएं तो जाएं कहां। एक तरफ विभाग ने ट्रांसफर कर दिया। उसके बाद ट्रांसफर वापस ले लिया। ट्रांसफर वापस लेने के बाद विद्यालय के मौजूदा प्रधानाध्यापक ट्रांसफर किए गए शिक्षकों को वापस ज्वाइन करने नहीं दे रहे। जिसके कारण शिक्षक रोड पर आ गए।

ऐसे में ट्रांसफर किए गए शिक्षकों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय को आवेदन देकर कोई भी कार्रवाई नहीं करने का अनुरोध किया। दिए गए आवेदन के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण की मांग की। जिसमें उत्क्रमित मध्य विद्यालय चितरकोली के प्रधानाध्यापक पुष्कर कुमार अरुण ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को स्पष्टीकरण का जवाब भेजा बावजूद शिक्षकों का वेतन रोक दिया। हालांकि ट्रांसफर-पोस्टिंग के फेर में पड़े शिक्षक ने कार्रवाई नहीं करने को लेकर डीईओ व डीपीओ को 16 नवंबर को लिखित आवेदन दिया था। शिक्षक सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि प्रखंड कार्यालय से 24 अगस्त 19 को जारी पत्र में उत्क्रमित मध्य विद्यालय चितरकोली से स्थानांतरित कर उत्क्रमित मध्य विद्यालय डेलवा कर दिया गया।

जहां वे 5 सितंबर 19 को योगदान कर लिए। लेकिन कुछ ही दिनों बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी के निर्देश पर प्रखंड के शिक्षकों का किए गए स्थानांतरण को अवैध करार देते हुए उसे तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया । जिसके आलोक में स्थानांतरित शिक्षक ने उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक पुष्कर कुमार अरुण को दूरभाष से जिला शिक्षा पदाधिकारी का आदेश का उल्लेख करते हुए वापस पूर्व के विद्यालय में ही योगदान करने की अनुमति मांगी। लेकिन प्रधानाध्यापक ने साफ इंकार कर दिया और उनके द्वारा बताया गया कि बीडीओ सह नियोजन इकाई द्वारा जब तक उन्हें योगदान कराने का आदेश नहीं दिया जाता, तब तक वे वापस योगदान करने को स्वीकृत नहीं दे सकते। इसलिए आप ट्रांसफर वाली नई जगह से विरमित होने का प्रयास नहीं करें, अन्यथा इसकी जवाबदेही आप पर स्वयं होगी। क्योंकि नियोजन इकाई के आदेश के बिना योगदान देना नियम के विरुद्ध है। ऐसा किजियेगा तो भविष्य में दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

उक्त बातों को शिक्षक सत्यनारायण ने जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को दिये लिखित पत्र में उल्लेख किया है। इधर जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा शिक्षक से मिले पत्र के आलोक में उत्क्रमित मध्य विद्यालय चितरकोली के प्रधानाध्यापक पुष्कर कुमार अरुण से स्पष्टीकरण की मांग की गई। जिस पर प्रधानाध्यापक ने पूरे नियम कानून का हवाला देकर स्पष्टीकरण का जवाब दिया है।

गड्ढे में मिली लाश, इलाके में फैली सनसनी , पुलिस ने किया एक महिला प्रतिमा देवी को गिरफ्तार

नवादा : नवादा – नालंदा सीमा पर स्थित नारदीगंज थाना क्षेत्र के कहुआरा गाँव में पुलिस ने अर्ध नग्न अवस्था में धान के खेत में गढ़े से गिरिजा प्रसाद के पुत्र अवधेश कुमार का लाश बरामद किया है।घटना की सुचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी दीपक कुमार राव सदर डीएसपी विजय कुमार झा ने लाश को गढ़े से निकालकर पोस्टमार्टम करवाकर परिजन को सौप दिया है ।
आशय की जानकारी देते हुए सदर डीएसपी विजय कुमार झा ने बताया कि इस काण्ड में थाना प्रभारी ने प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान आरंभ किया है।जांच क्रम में हत्या के पीछे प्रेम प्रसंग का मामला प्रकाश में आने की बात डीएसपी विजय कुमार झा ने कही ।पुलिस अन्य बिंदुओं पर जांच कर रही है ।दोषी चाहे जो भी बख्शे नही जायेगे । इस क्रम में एक महिला प्रतिमा देवी को पूछताछ के लिए गिरफ़्तार किया गया है।

करोड़ों की नौकरी छोड़ राष्ट्र सेवा को पेरिस से लौटे नवादा के आईआईटियन रितेश , भारत को आगे ले जाने के लिए कर रहे शोध और शैक्षणिक बदलाव का प्रयास

नवादा : करोड़ो की नौकरी छोड़ देश सेवा को चुना रिसर्च का रास्ता नवादा के होनहार आईआईटियन रितेश। भारतीय शैक्षणिक पद्ति में बदलाव का कर रहे हैं प्रयास। जिले के पकरीबरावां प्रखंड के रेवार गाँव में जन्में और फिर गरीबी के कारण बिपरीत परिस्थितियों से लड़कर अपनी कठिन परिश्रम के बदौलत दिल्ली आईआईटी से बीटेक करने के बाद उन्हें कई मल्टीनेशनल कंपनी से आफर मिला जिसमें से एक स्लमबर्जर नाम की एक मल्टीनेशनल कंपनी ने तो विदेशों में रहकर उनके अंदर काम करने के लिए इस होनहार नवादा के आईआईटियन रितेश को करोड़ो ऑफर किया पर इसे ठुकराते हुए भारत देश को पूरी दुनिया में अलग मुकाम देने की मंशा अपने अंदर रख कर पूरी जिद के साथ रिसर्च करने में लगे हैं l

नवादा के इस आईआईटियन को सलमबर्जर नाम की बिदेशी कम्पनी के द्वारा भारत मे ही राजस्थान में रहकर काम करने के लिए 28 लाख प्रतिबर्ष का ऑफर किया पर रितेश ने देश और राष्ट्र सेवा चुना l इसके अलाबे रितेश अपने रिसर्च के काम के अलाबे अपने खाली समय में नवादा के बच्चों के बीच संसाधन बिहीन एवम सही गाइडलाइन के अभाव से जूझ रहे बच्चों को मुफ्त शिक्षा पीछले 4 साल से देते आ रहे हैं l साथ हीं महान भारतीय क्रिकेट खिलाडी युवराज सिंह की मदद से जिले के आईआईटियन रितेश नवादा के ऐसे बच्चे जो कैंसर से पीड़ित है उन्हे स्कॉलरशिप दिलाकर आर्थिक मदद करने की पहल कर चुके हैं l

आमतौर पर आईआईटी जैसे संस्था तक पहुचने के बाद लोग देश नही विदेश की ओर जाने की सोचते हैं पर नवादा के आईआईटियन रितेश औरों से बिल्कुल अलग हैं। इनकी चाहत कंपनी योगदान कर दूसरो के लिए सर्विस करने की बिल्कुल नही है | रितेश का कहना है की आईआईटी जैसे संस्थान में पढ़ना लाखों युवाओं का सपना होता है l हर साल लाखों में कुछ हजार ही यहां पहुंच पाते हैं। आईआईटी से पढ़ने के बाद बड़े पैकेज की सैलरी पाना ही जीवन का मकसद नही होनी चाहिए ये तो सभी को मिल ही जाती है पर सिर्फ बड़ी सैलरी मेरे इरादों की उड़ान से बड़ी नही है l

मेरा मानना है की जीवन जीने का मकसद सिर्फ़ पैसा कमाना और सिर्फ़ अपने लिए जीवन जीना नही है l रितेश का हमेंशा से कहना है की मेरे जीवन का मिशन कुछ और है इसलिये मै सिर्फ पैसे कमाने के लिए नही जी सकता हु l मैं अपने आप को दीपक की तरह जलाना चाहता हु और समाज को रोशनी देना चाहता हु l एक मानव जीवन की सार्थकता इसी में है कि दुसरो के लिए जिये अपने लिए तो एक जानवर भी जीता है l
रितेश कहते हैं की मनुष्य को हमेशा अपने आप को एक ऐसे छायादार बृक्ष की तरह कल्पना करनी चाहिए जिसके नीचे समाज के शोषित, बंचित, महरूम लोग आकर आश्रय ले सके सहारा ले सके तभी हमारा मानव जीवन की सार्थकता है l आईआईटियन रितेश के इस निर्णय से उनके कई करीबी के लोग नाराज भी है और इसके लिए उन्हें अपने परिजनों का कड़ बिरोध झेलना पड़ रहा है लेकिन उन्हें इसकी बिल्कुल परवाह नही है l

आईआईटियन रितेश कहते है की अक्सर मां बाप अपने बच्चों पर नौकरी करने का दबाव बनाते हैं। कई बार युवा घर की जिम्मेदारियों के दबाव में नौकरी करते हैं और अपने मन की सोच को दबा देते हैं। रितेश कहते है की शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती है l इन सारी बातों को जानते हुए भी अगर मैं अम्ल नही करु और बचपन से ही इतनी बिपरीत परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करता रहा और आज यहां तक पहुचा हु और अब इस शरीर को किसी कंपनी के अंदर रखकर सिर्फ पैसा के लिए काम करूँ तो फिर आईआईटी जैसे प्रेस्टीजियस संस्था तक पहुचने का कोई फायदा नही है l

हमे अपने जीवन मे ओही काम करनी चाहिए जिससे खुद को खुशी मिले और मुझे सिर्फ पैसे के लिए काम करना मेरे से संभव नही है l आज की शिक्षा का व्यवसायीकरण होने से समाज के सामने आने बाली अलग-अलग चुनौतियों से निपटने को लेकर रितेश ने अपने रिसर्च के अलाबे खाली समय में नवादा और बिहार के लोगों के हित में एक प्रयास की शुरुआत किया है । रितेश कहते हैं की अभी के बर्तमान समय में एकेडमिक वर्ल्ड पे जहाँ कंपीटिशन रूल कर रहा है ,कैरिअर टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का इलेक्ट्रिक मिक्स है ऐसे में आज हर स्टूडेंट का सपना देश की सबसे प्रेस्टीजीयस संस्थान आईआईटी तक पहुचने की है क्यूंकी किसी भी स्टूडेंट के लिए भारत में टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की अच्छी शिक्षा और इसमे बेहतर कैरिअर के लिए भारत में आईआईटी से बेहतर कोई ऑप्शन नही है |
इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतू सफलता की सिद्धि के लिए अभी के कंपीटिशन रूलिग वर्ल्ड में उसके कॉम्पीटीशन को कॉम्पिट करने हेतु सबसे पहले अपने कॉंपिटिटर की स्ट्रेन्थ को पहचानना होगा। इसके लिए सबसे ज़रूरी है की पहले हमारा लक्ष्य पूरी तरह क्लियर हो परंतु इस कॉम्पेटिशन में लाखो की संख्या में एसे स्टूडेंट हैं जिनकी आईआईटी की तैयारी करने के पीछे क्लियर बजह और मोटिवेशन की कमी है । ऐसे लोग उस भेड़िए की तरह हैं जो कभी ना खुद से ना ही कभी दूसरों से सबाल पूछते हैं सिर्फ़ उस भेड़िए की तरह दूसरों के पीछे-पीछे चल देते हैं जबकि ऐसे स्टूडेंट जिनका लक्ष्य क्लियर भी होता है पर हर साल ऐसे लाखों लोग असफलता का शिकार हो रहे हैं।
इसकी कई बजह है जिसमे क्लास 8 से 10 तक उनके पढ़ाई का ग़लत तरीका जहाँ दिमाग को विकसित करने के लिए उसका एक्सरसाइज नही किया जाता और बिना एक्सरसाइज का ये दिमाग कमजोर और विकलांग हो जाते हैं । आज स्कूल में दिमाग़ की मजबूती के लिए कई तरह की एक्टिविटी कराई जाती है पर अफशोष इनकी परिणाम के रूप में दिमाग़ की नही बल्कि कुछ और ही चीज़ की मजबूती और बिकास होती है जो आप सब बेहतर जानते हैं और बिकलांग दिमाग के साथ साइंस को समझा नही जा सकता ।ऐसे में आईआईटी का ख्वाब मन में पालन एक तरह से बस सपनो की दुनिया में गोते लगाना है l

आज के स्टूडेंट को दिमाग की एक्सरसाइज कर उसे मजबूत बनाने की ज्यादा जरूरत है l आज के पढ़ाई की परिणाम आप सभी हर साल देखते हैं की पूरे भारत के बारहवीं बोर्ड का सबसे बेस्ट बच्चा सीबीएसी का जो टॉपर होता है उनका आईआईटी में सेलेक्शन तक नही होता अच्छी रैंक तो दूर की बात है। उनकी बोर्ड की तैयारी के लिए रटने बाली पढ़ाई करनी होती है l आज स्टूडेंट साइंस को इतिहास की तरह पढ़ रहे हैं और साइंस को इतिहास की तरह रटने बाला साइंस सिर्फ़ रट ही सकते हैं वो कभी भी साइंस की दुनिया में इतिहास रच नही सकते l आईआईटी में सफलता के लिए खुद के ब्रेन को डेवलप करना होगा और इसके लिए ब्रेन पे स्ट्रेस डालने बाली पढ़ाई करनी होगी , ब्रेन को उस लाइक बनाने के लिए इसकी एक्सरसाइज करनी होगी अगर किसी को स्ट्रॉग बॉडी बनानी है तो उसे इसकी एक्सरसाइज करनी ठीक उसी प्रकार ब्रेन के साथ है l

फार्मूला रटने और बिना ब्रेन पे स्ट्रेस डालने बाली पढ़ाई का परिणाम आज मैं ये देखता हूँ की दसवीं तक या 12 की बोर्ड तक कि पढ़ाई तक बच्चे के अच्छे परिणाम 95-96 परसेंट पाने बाले हलाकि इसका कोई फायदा नही। ये तो बस उस लेबर की तरह काम कर मार्क्स पाना हुआ जिसमें ब्रेन कहीं भी यूज हुआ नही इस झूठे परिणाम से पैरेंट्स के सपनो की इमारत इतनी बुलंद होती है की वो सीधा आईआईटी में टॉप हंड्रेड या यूपीएसी से नीचे सुनने को तैयार नही होते , सपनो की दुनिया में गोता लगाते रहते हैं हमारे बच्चे तो आईआईटी बेस्ट रैंक से निकलेगा,पैरेंट्स की सीना इतनी फूली होती है की उनके सामने कोई कुछ सच्चाई कहे या कुछ भी कहे तो उन्हें बुरा लगता है वो सुनना नही चाहते ,अपने आस-पड़ोस के लोगो से जब भी मिलते है अपने बच्चों की प्रसंसा की पुल बंधना न भूलते हैं l

दसवीं के बाद जब असली जंग शुरू होती है तो उस भेड़िए की तरह जो कभी किसी से सबाल नही करता जो आगे-आगे चलता है बस उसको फॉलो करता है। इस बात से उन्हे मतलब नही है की मेरा बच्चा के पास वो सट्रेंथ है या भी न ही फंडमेंटल्स क्लियर है या नही 8-10 घंटे मेहनत कर भी सकता है या नही‌।
उसी तरह अपने बच्चों को कोटा भेजते हैं वहां जब साइंस पढ़ने के सही तरीके की शुरुआत होती है तो 11 वी से साइंस पढ़ने और आईआईटी की तैयारी करने के लिए पीछले 3-4 साल के काम जो साइंस में उस स्टूडेंट को करना था उसका हिसाब मांगता है तो जहां उन्होंने साइंस के अध्ययन के नाम पे तो बिल्कुल कुछ किया ही नही सिर्फ रट कर,उस लेबर की तरह काम कर जो कभी अपना ब्रेन नही लगता तो फिर स्टूडेंट के द्वारा पिछले 3-4 साल में कुछ नही किये गए के चलते उसके जीवन में आईआईटी की तैयारी रूपी सिस्टम की लाठी चलने लगती है और फिर उनहे 2-4 क्लास के बाद हीं कुछ समझ नही आने लगता है l इससे आहत होकर स्टूडेंट परेशान होने लगते,फ़ोन करते हैं ;रोते हैं स्टूडेंट बोलते हैं कि मैं स्कूल में टॉप करता था स्कूल और जिले का हीरो था पर यहां आकर जीरो हो गया l
स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को पहले से ये समझ नही आता की इंडिया में लाखों स्कूल है l हर स्कूल का एक टॉपर है पर आईआईटि में सही मायने में 5 हजार से भी कम सीट है l मेरा शुरू से यही अनुभव रहा है की किसी भी काम में चाहे सबसे पहले उसके लिए 90 प्रतिशत प्लानिंग कीजिये और 10 प्रतिशत इम्पलीमेंट कीजिये मैं आज तक यही किया हूं ।आप भी अगर ऐसा करते हैं तो फिर आपको सफलता पाने से एग्जाम क्या भगवान भी नही रोक सकता l

स्टूडेंट को सोसाइटी की उनसे उम्मीद और खुद का सम्मान की चिंता भी होती है फिर वो किसी तरह दो साल निकालता है इसके बाद कुछ स्टूडेंट जिन्हे बचपन से ही सिर्फ़ बहाना का सहारा लेने की आदत हो चुकी होती है इन्हे हर जगह 99 समाधान में भी 1 समस्या मिल जाता है ये ।अपने पैरेंट्स और समाज के लोगों को बहलाने के लिए मनगरहांत बातें बताने लगते हैं की आईआईटी की मॉक टेस्ट में जिनके अच्छे मार्क्स आ रहे हैं ,जो अच्छा कर रहे हैं उनके पास माइंड बहुत ज्यादा होता है,टॉपर लोग गौड़ गिफ्ट होते हैं, जिनके मार्क्स अच्छे आते हैं वो पहले से पढ़े हुए हैं ,उनकी ब्रेन तेज है,उनको शुरू से संसाधन अच्छा मिला,वो एक बार में कैप्चर कर लेते हैं।

ये सारी बाते पूरी तरह बेबुनियादी और सिर्फ खुद को बचने और पैरेंट्स को ठगने का तरीका है l कुछ भी हो पर इस बात की इतिहास गवाह है की जो अपने अंदर जिद पालकर पागल की तरह मेहनत करते हैं वे भी जरूर सफल होते हैं बल्कि कई बार ऐसे लोग जिन्हें कुछ लोग गौड़ गिफ्ट कहते हैं ऐसे लोग से भी ज्यादा अच्छी सफलता हाशिल करते हैं | कुछ स्टूडेंट जिन्हें में मोटीवेट किया उनके अंदर की चिंगारी जली,कुछ कर गुजरने की आग लग गयी और फिर कोटा तैयारी करने गए वहां पढ़ना चाहते पर उन्हें समझ नही आता या कई तरह की परेशानियां अति है इसकी मुख्य बजह है की 8-10 वी तक पिछले तीन सालों में उन्हें ग़लत पढ़ाई की तरीके से इस कदर बर्बाद कर दिया गया है की अब वो कितना भी कोशिश कर लें वो आबाद नही हो पा रहे हैं l

ऐसे बिपरीत परिस्थिति को स्टूडेंट अपने तरीके से मोड़ने की कोशिश भी करते पर ये संभव नही हो पाता और कई बार मुझे फोन कर रोते हैं की मैं क्या करूँ ,मेरे से सोसाइटी की इतनी उम्मीद है ,ये बाते मैं पाया को नही बता सकता और कभी-कभी परिस्थिति इतनी भयानक मोड़ ले लेती है की स्टूडेंट आत्महत्या तक कर लेते हैं l फिर जब वो फाइनल आईआईटी की परीक्षा देते हैं तो उन्हे 30-35 मार्क्स भी नही आ पाता और यही 30-35 नम्बर ऐसे स्टूडेंट को भी मिलते हैं जो गावँ में रहकर पढ़ाई किया है ऐसा मैं सैकड़ो लोगों को देख हूं l इसके पीछे कारण है की दोनों स्टूडेंट सही मायने में काम नही के बराबर ही किया है इसलिए परिणाम भी समान ही है और इसके बाद उस स्टूडेंट के पैरेंट्स के सपनों की इमारत जिसका बुनियाद पूरी तरह काल्पनिक थी वो लगभग धरासायी हो जाता है l इसके बाद उन पैरेंट्स और स्टूडेंट के आस-पास के ऐसे लोग जिनकी कामयाबी की हरेक पन्ना सादा है ,जो जीवन में कभी कामयाब नही हुए ,जिनको फैक्ट कुछ नही पता ऐसे नेगेटिव टैंडेंसी बाले लोग उन्हें सलाह देते हैं की किसी भी कॉलेज से बीटेक करा दजिये 40-50 हजार की नौकरी मिल ही जायगी।

आईआईटी कोई जरूरी नही है और फिर इनकी बातों में आकर लोग बच्चो की एडमिशन कहीं भी करा देते है l आपको मालूम हो की भारत में ऐसे हजारो की संख्या में इंजिनीरिंग कॉलेज है जहां से घास काटने बाले मतलब जिनकी शिक्षा से कोई मतलब हीं नही ऐसे लोग को भी डिग्री मिल जाते हैं और यही लोग 4 साल बाद फिर से बापस आकर जेनेरल की तैयारी करते हैं या फिर 10-20 हजार की नौकरी ढूंढते फिरते हैं और समाज में कहते हैं की आज कल इंजीनयर का डिमांड कम हो गया जबकि सच्चाई तो ये है की मैं ऐसे कई इंजीनयर से मिला हूं जिन्हें 7- 8 वे स्टैण्डर्ड की जानकारी नही है सिर्फ पैसे देकर डिग्री लेकर आ गए |

ऐसे स्टूडेंट और पैरेंट्स से मैं यही बोलना चाहता हूँ की अगर किसी को नवादा से दिल्ली जानी है और नवादा से दिल्ली की ट्रेन चलती है तो उसके लिए नवादा स्टेशन पे जाकर किस ट्रेन में बैठनी है,कोन से डिब्बे में बैठना है,कौन से सीट पे बैठना है ये बहुत पहले हीं तय करना होता है अगर इसमे थोड़ी भी भूल होती है तो ये छोटी सी यात्रा पूरी नही हो पायेगी मतलब इस छोटी सी यात्रा के लिए कितना ज़यादा स्पेसिफिक होने की ज़रूरत है जबकि इस जीवन रूपी बड़ी यात्रा के लिए कुछ लोग बिल्कुल स्पेसिफिक नही हैं और बड़ी मंजिल पाने की झूटी ख्वाब पालते हैं इस जीवन रूपी बड़ी यात्रा के लिए कुछ पैरेंट्स दसवी के बाद मुझे फोन कर पूछते हैं की मेरा बच्चा आगे क्या और किस चीज की पढ़ाई करे और भी कई तरह के सवाल करते है जो आप सब बेहतर जानते हैं ऐसे लोग कोई भी सब्जेक्ट ले लेंगे,कहीं भी एसमिशन ले लेंगे ऐसे लोग बिल्कुल स्पेसिफिक नही होते हैं अपने जीवन को लेकर और बाद में असफलता रूपी तवाही से आहत होकर संसाधन,समाज,संसार,सिस्टम और कभी-कभी सर्वशक्तिमान इस्वर पे भी दोष देते हैं l इसी शैक्षणिक तबाही से बचाने और युवा पीढ़ी की इस मानसिकता का फायदा उठl रहे बाजार में मौजूद सपने के सौदागर जहाँ एजुकेशन की फील्ड में उम्मीद और डर का निराला खेल खेला जाता है और यहां एक पूरी कोचिंग इंडस्ट्री खड़ी हो गई है जो सपने और डर की बदौलत ही फल-फूल रही है इन सब से बचाने और सही मायने मे सफलता की पथ पर अग्रसर करने के लिए गावं के एक बहुत ही गरीब परिवार जहाँ खाने को दो बक्त की रोटी की भी मोहताज था ।
ऐसे जगहों से निकलकर जिले के सबसे बेस्ट स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय में अपनी मेधा का लोहा मनबाते हुए चयनित होना l खुद से तैयारी कर पहली प्रयास में पूरे विष्व के टफेस्ट एग्जाम आईआईटी जेईई को फेस कर आईआईटी दिल्ली जैसे संस्थान तक पहुचा फिर जॉब छोड़ देश को बेहतर मंशा अपने अंदर रखकर रिसर्च में लगे रितेश खाली समय में स्टूडेंट को मदद कर बच्चों की बेहतरी के लिए हमेशा प्रयासरत रहकर इस पूरी अभी तक की यात्रा में उन्होंने जो किया,जो देखा,देश-बिदेश के लोगों से मिलकर अनुभव प्राप्त किया,सफलता और असफलता के कारणों का गहन अध्ययन एवम अभी तक के पूरी यात्रा के अनुभवों को नवादा के बच्चों के साथ साझा करते हैं और साथ ही साइंस को पढ़ने की सही तरीका क्या है इससे बच्चों को अबगत कराते हैं l अगर नवादा की बातें की जाए तो हजारों बच्चे जो लाखो रुपया दसवीं क्लास तक खर्च करते हैं,साइंस लेते हैं,आईआईटी की तैयारी करते और सही मायने में एक का भी सेलेक्शन नही होता एक -दो का होता भी तो रैंक बिल्कुल अच्छा नही होता l
रितेश कहते हैं की मेरी भी कोशिश है की नवादा के हर स्टूडेंट के लिए अपने घर के बड़े भाई की तरह मार्गदर्शन कर आईआईटी जैसे संस्थान तक पहुचने में मदद करु 8,9,10वी क्लास में पढ़ाई कर रहे बच्चे जो आगे साइंस लेना चाहते हैं या जो 11-12 वी में पढ़ाई कर रहे हैं खास कर जो मैथ्स लेकर पढ़ाई कर रहे हैंतो मैक्सिमम लोगों की पहली चाहत आईआईटी तक पहुचना होता है । आज हर मां बाप का सपना है की मेरा बेटा आईआईटियन बने तो इस सपने को अगर आप सही मायने में हकीकत में तब्दील करना चाहते हैं , गलत मार्गदर्शन और जानकारी के अभाव के कारण हर साल इस आईआईटी को पाने की लालसा रखने बाले लाखो लोग जो तबाह हो रहे हैं उस तबाही की हिस्सा आप नही बनना चाहते हैं तो आपकोे इस तवाही से बचाने और पूरी तरह सफलता पाने के लिए ही रितेश ने समाज के हित में ये प्रयास शुरू किया है l आईआईटीयन रितेश का हमेंशा से मानना रहा है की अपने परिवार का भरण-पोषण, उसकी सहायता तो जीव-जन्तु, पशु-पक्षी भी करते हैं परन्तु मनुष्य ऐसा प्राणी है, जो सपूर्ण समाज के उत्थान के लिए प्रत्येक पीडित व्यक्ति की सहायता का प्रयत्न करता है ।

किसी भी पीड़ित व्यक्ति की निःस्वार्थ भावना से सहायता करना ही समाज-सेवा है l

आईआईटियन रितेश अपनी ब्यथा सुनाते हुए कहा की मैंने गरीबी को बहुत करीब से देखा है। मैंने गरीबी का जीवन जीया है। बच्‍चे के रूप में, मेरा पूरा बचपन गरीबी में बीता है। मेरे लिए गरीबी, एक तरह से मेरे जीवन की पहली प्रेरणा थी l मैं अपने समाज के छोटे भाई-बहन से कहना चाहता हु की जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसके माता पिता उसके जीवन की रुपरेखा तैयार करना शुरू कर देते है जिससे वो जीवन में सफल व्यक्ति बन सके बहुत से लोग कहते है कि कोई भी सफल व्यक्ति बचपन से सफलता का भाग्य साथ लेकर पैदा हुआ था वो आपका ये मानना गलत है l रितेश ने कहा की लेकिन मैं अपने अभी तक के जीवन के अनुभव से ये कह सकता हु की इन्सान सदैव अपने कर्मो से ही सफल होता है l
मैं समाज के सभी बच्चे जो आईआईटी और रिसर्च के छेत्र में जाना चाहते है या जाने की मंशा रखते है मेरा अभी तक का ये अनुभव है की सबसे जरूरी बातें है की चाहे आप दुनिया के किसी भी छेत्र में सफलता चाहते है तो आपको अपने काम से प्यार करना होगा l देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी में जाने का सपना हर इंजीनियरिंग स्टूडेंट का होता है लेकिन मंजिल तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता, कई बार गरीबी इनके आड़े आ जाती है।

आईआईटी दिल्ली में इंजिनीरिंग की पढ़ाई के दौरान ही आईआईटियन रितेश ने एक अहम शोध भी किया जिससे उन्हें अंतररास्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली । टोकियो यूनिवर्सिटी आदि जैसे कई यूनिवर्सिटी के लोग भारत आकर उनके इस शोध को समझने की कोशिश किया l आईआईटियन रितेश के हाइड्रोजन को ईंधन की तरह इस्तेमाल किये जाने की खोज से इन्हें अंतररास्ट्रीय पहचान मिली जिसे 75 से ज्यादा देशो में पब्लिश किया गया l

रितेश के इस रिसर्च से जुड़े चीजों समझने व देखने के लिए कई देशो से लोग भारत आ चुके है l उनके इस रिसर्च पेपर को रिव्यू करने बाले टीम मे यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका, अस्ट्रेलिया, कनाडा , जपान, चाइना, इंडिया और कइ देशो के सुप्रसिध एकेडमिक्स प्रोफेसर, बैगयानिक, जर्नल रिव्यूर थे l इस इंटरनेशनल जर्नल के पेपर 75 से जादा देशो मे पब्लिश हुआ है और यूनाइटेड स्टेट अमेरीका, एसिया, नाइजेरीया जैसे 21 जगहो पे सबसे जादा चरचीत है l

इस अंतररास्ट्रीय जर्नल की रिव्यू कमीटी मे रिव्यू के लिये एडीटोरीयल बोर्ड, एड्वाइजरी बोर्ड, रिव्यूवर बोर्ड होते है जिसमे अलग-अलग देशो के 25 से जादा मेम्बर होते है l इस रिसर्च पेपर मे हाइड्रोजन को ईंधन की तरह उपयोग करने के बारे मे बताया गया है जिससे फ्यूचर मे एनर्जी की जरूरत को पूरा करने के लिए ये बहुत बड़ा साधन होगा इसमे सबसे अच्छी बाते ये है की दुनिया मे अभी जो भी ईंधन उपयोग किए जाते है उन सभी से इनकी एफीशियेन्सी जादा होगी और दूसरी बात इसके बाई-प्रॉडक्ट जल होता है जिससे प्रदूषण का डर बिल्कुल नही है जबकी आज उपयोग मे आने बाले हर ईंधन बाई प्रॉडक्ट हमारे बातावरन मे बहुत ही प्रदूषण फैलता है l
आईआईटियन रितेश ने कहा की अपनी राष्ट्र की बेहतरी के लिए ही मैं अपनी जीवन को समर्पित किया हु और ये प्रयाश मेरी पूरी उम्र चलती रहेगी लाख मुसीबत आये कितनी भी परिस्थितियां बिपरीत हो पर मैं अडिग हो कर दीपक की तरह खुद को जलाकर समाज में रोशनी फैलाने का काम मेरे द्वारा अनवरत जारी रहेगा केउकि मेरा हमेंशा से मानना रहा है की जब मेहनत इरादों के रथ पर सवार होकर अपने सफर पर चल पड़ती है तो लाख मुसीबतों के बाद भी सफलता कदम चूमने को बेकरार हो जाती है l सब कुछ कभी खत्म नहीं होता और गरीबी कभी सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती। अगर उम्मीदें जिंदा हों तो कठिन से कठिन परिस्थतियों में भी इंसान जीत हासिल कर ही लेता है। मैने सफलता के शोर में गुरबत के दर्द को सिमटते देखा है l

मारपीट की अलग अलग घटनाओं में चार जखमी

नवादा : जिले के सिरदला थाना क्षेत्र के चौबे पंचायत स्थित सीघौर ल गांव में रविवार को जमीनी विवाद को लेकर रंजीत यादव और बच्चू एवम् उनके परिजनों के बीच जमकर मारपीट कि घटना हुआ है। पीड़ित दोनों पक्ष ने सिरदला थाना में अलग अलग आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज कराया गया है।

थानाध्यक्ष आशीष कुमार मिश्रा ने बताया कि दोनों पक्ष से तीन घायलों को सिरदला प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। दंत चिकित्सक डॉ शत्रुघ्न कुमार ने सभी घायलों का इलाज किया है। पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।दूसरी घटना प्रखंड मुख्यालय स्थित सिरदला बीच बाजार में जमीनी विवाद को लेकर टांगा से प्रहार कर सिरदला बाजार निवासी महेंद्र राम को लहू लूहान कर दिया। घटना रविवार की सुबह करीब दस बजे की है। घायल को परिजनों ने सिरदला पी एच सी में भर्ती कराया है। जहां चिकित्सक डॉ शत्रुघ्न कुमार ने चिंता जनक स्थिति में नवादा रेफर कर दिया है।

घायल महेंद्र वर्मा की पत्नी निर्मला देवी ने सिरदला थाना में आवेदन देकर बाजार के ही लखन साव समेत दस लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया है। थानाध्यक्ष आशीष कुमार मिश्रा ने बताया कि लखन साव और महेंद्र वर्मा के बीच काफी दिनों से जमीनी विवाद चल रहा था। जनता दरबार से सुलझाने के लिए कई बार नोटिस किया गया था। रविवार को हुई घटना के आलोक में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई आरम्भ कर दिया गया है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here