संविधान दिवस पर प्रस्तावना का हुआ पाठ
दरभंगा : समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग में आज मंगलवार को ‘संविधान दिवस’ के पावन अवसर पर भारतीय संविधान के प्रस्तावना का पाठ किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया, जिसका अनुगमन डाॅ. विजय कुमार, डॉ. आनंद प्रकाश गुप्त, डॉ. उमेश कुमार शर्मा, डॉ. ज्वाला चन्द्र चौधरी, शोधप्रज्ञा – पार्वती कुमारी, खुशबू कुमारी, शोधप्रज्ञ- कृष्ण अनुराग, अभिशेक, धर्मेन्द्र दास समेत विभाग के छात्र-छात्राओं ने किया।
संविधान की प्रस्तावना का वाचन
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग मैं आज संविधान दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया गया l विभाग के अध्यक्ष सह प्रबंध कार्यक्रम के निदेशक प्रोफेसर हरे कृष्ण सिंह ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया l जिसे उपस्थित सभी विभागीय शिक्षा कर्मियों एवं छात्रों ने दोहराया l इस वाचन सभा में विभिन्न परीक्षा के वाहय विशेषज्ञ के रूप में पधारे प्रोफेसर एच के सिंह, प्रोफेसर एफ बी सिंह एवं डॉ एन पी एस नंदा ने भी भाग लिया l
संविधान दिवस का हुआ आयोजन
दरभंगा : दूरस्थ शिक्षा निदेशालय द्वारा संचालित बी. एड. (नियमित) में यू. जी. सी. एवं एन. सी. टी. ई. के निर्देशानुसार “संविधान दिवस” समारोह का आयोजन किया गया। ठीक प्रातः 11:00 बजे संविधान उद्देशिका का शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने शपथ ली। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डाॅ अरविंद कुमार मिलन ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारा संविधान प्रशासनिक दिशानिर्देशों का दस्तावेज मात्र नहीं है बल्कि यह एक जीवंत दस्तावेज है जो भारत एवं भारतीयता को परिभाषित करता है। यह भारत को विविधताओं से भरा देश के रूप में व्याख्यायित करता है तथा अपने नागरिकों से “विविधता में एकता” की अपेक्षा करता है। इसकी असल विशेषता “विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान” होना नहीं है बल्कि हासिल के लोगों के अधिकारों की रक्षा एवं न्याय दिलाना है। और एक शिक्षक के रूप में हम अपने संविधान के प्रति जागरूक, संवेदनशील एवं प्रतिबद्ध हो सकें तो यह इस आयोजन की सफलता होगी। इस अवसर पर विभाग के सभी शिक्षक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
सीएम कॉलेज की एनएसएस इकाई ने मनाया संविधान दिवस
दरभंगा : भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसका संविधान आज ही के दिन 26 नवंबर, 1949 को स्वीकार किया गया था। भारत विविधताओं का देश है, पर एकता ही इसकी प्रमुख विशेषता है। उक्त बातें हैं सीएम कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई के तत्वावधान में संविधान दिवस के अवसर पर ‘अद्वितीय भारतीय संविधान’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी तथा ‘संविधान में समरसता’ विषय पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता का अध्यक्ष के रूप में शुभारंभ करते हुए प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में काल व परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तन भी होता रहा है। 2015 के पहले आज का दिन विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था। भारतीय संविधान में समरसता का भाव निहित है।
मुख्य अतिथि के रूप में एनएसएस के पूर्व समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा तथा लिखित आदर्श संविधान है,जिसमें नागरिकों के अधिकारों के साथ ही उनके कर्तव्यों का भी वर्णन है।यह धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है तथा इससे प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से देश की शासन- व्यवस्था जनता के हाथों में सौंपा गया है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदी की प्राध्यापिका डा रीता दुबे ने कहा कि आज हमारे देश में जो कुछ भी अच्छाइयां हैं,वे भारतीय संविधान की ही देन हैं।ऐसे कार्यक्रमों में सहभागिता से छात्रों के व्यक्तित्व का विकास होता है।सम्मानित अतिथि के रूप में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ शैलेंद्र श्रीवास्तव ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ कराते हुए कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना ही उसकी आत्मा है।हमारा संविधान कहीं कठोर तो कहीं लचीला है।यह मुख्य रूप से ब्रिटिश संसदीय शासन- व्यवस्था को स्वीकार करता है।
मुख्य वक्ता के रूप में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ सुधांशु कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान राजनीतिक एवं आर्थिक समानता से अधिक सामाजिक समानता पर बल देता है।इसकी प्रस्तावना संविधान के मूल भाव को व्यक्त करता है।इस अवसर पर डॉ मीनाक्षी राणा,अनीमा सिन्हा,आशुतोष कुमार पाठक,निखिल कुमार राय, कंचन कुमार,श्रेया बोहरा, निखिल कुमार झा,राजा कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।आस्था निगम ने भारतीय संविधान पर मधुर गीत गाकर सबों का मन मोह लिया।
‘भारतीय संविधान में समरसता’ विषय पर आयोजित भाषण- प्रतियोगिता में सुधांशु कुमार रवि-प्रथम,जयप्रकाश कुमार साहु- द्वितीय,श्रेया कुमारी- तृतीय,आतिका बद्र- चतुर्थ तथा अमित शुक्ला ने पंचम स्थान प्राप्त किया, जिन्हें प्रधानाचार्य द्वारा प्रमाण पत्र तथा मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया।आगत अतिथियों का स्वागत तथा कार्यक्रम का संचालन एन एस एस पदाधिकारी डॉ प्रीति त्रिपाठी ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ मीनाक्षी राणा ने किया।
सीएम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग द्वारा तीन दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ
दरभंगा : पहले दिव्यांगों का सही मूल्यांकन हो, तभी उनके लिए उचित ढंग से उपचार संभव होगा। इसके लिए नैदानिक चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका है। शारीरिक व मानसिक दिव्यांगता में मानसिक दिव्यांग का अधिक कष्ट कर है,जिसका निदान मनोचिकित्सकों द्वारा ही संभव है। उक्त बातें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह ने सी एम कॉलेज, दरभंगा के मनोविज्ञान विभाग तथा भारतीय स्वास्थ्य, शोध एवं कल्याण संघ, हिसार, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में दिव्यांगजनों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का मूल्यांकन तथा हस्तक्षेप विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन करते हुए कहा। उन्होंने कहा निर्देशित किया कि कॉलेज शीघ्र दिव्यांगों से संबंधित नैदानिक मनोविज्ञान में सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स शुरू करें। विश्वविद्यालय उन्हें पूरी सहायता प्रदान करेगा। कुलपति ने लगातार शैक्षणिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन हेतु प्रधानाचार्य को बधाई देते हुए महाविद्यालय प्रशासन की प्रशंसा की।उन्होंने इस कार्यशाला को कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण बताते हुए विषय को समाजोपयोगी एवं प्रासंगिक माना।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि ऐसी कार्यशाला विश्वविद्यालय तथा उत्तर बिहार में पहली बार आयोजित हो रही है।यह विषय ज्वलंत एवं सामाजिक सरोकार से संबंध है।उन्होंने कुलपति को आश्वस्त किया कि महाविद्यालय कुलपति की सभी इच्छाओं की पूर्ति करेगा तथा दिव्यांगों से संबंधत कोर्स हेतु शीघ्र ही प्रस्ताव भेजेगा।प्रधानाचार्य ने कहा कि आज वर्तमान कुलपति के कारण ही राज्य एवं देश की सकारात्मक निगाहें मिथिला विश्वविद्यालय पर लगी हैं।
पारस हॉस्पिटल,पटना के मनोचिकित्सक डॉक्टर नीरज कुमार वेदपुरिया ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि दिव्यांगों के संबंध में आज समाज में जानकारी तथा जागरूकता का काफी अभाव है। दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु कई सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं।विषय की जानकारी देते हुए महाविद्यालय आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डा जिया हैदर ने कहा कि जनगणना 2011 के अनुसार भारत में 2.68 करोड़ व्यक्ति दिव्यांग हैं,जो कुल जनसंख्या का 2.21%है। इसमें 7.9 प्रतिशत बहुदिव्यांग हैं। कुल दिव्यांगों में से करीब 75% व्यक्ति गांव में रहते हैं, जिनकी पूर्ण जानकारी, मूल्यांकन तथा चिकित्सा व्यवस्था काफी कठिन है। कार्यशाला में डॉ सुनील सैनी, प्रो मंजू राय,डॉ अवनि रंजन सिंह,प्रो गिरीश कुमार, डॉ अमरेंद्र शर्मा, प्रो चंद्रशेखर मिश्र,डॉ आर एन चौरसिया, डॉ वासुदेव साहू,डॉ प्रीति त्रिपाठी,डॉ पुनीता कुमारी, प्रो रीता दुबे,डॉ प्रीति कनोडिया, डॉ अभिलाषा कुमारी, प्रो रागनी रंजन,डा रीना कुमारी, प्रो अमृत कुमार झा,प्रो विकास कुमार,डॉ शशांक शुक्ला,डॉ यादवेंद्र सिंह, डॉ अनुपम कुमार सिंह, प्रोफेसर राजानंद झा,डा मयंक श्रीवास्तव,डॉ विमल कुमार चौधरी,डॉ विष्णु कांत चौधरी, इंजीनियर प्रेरणा कुमारी,रवि कुमार सहित एक सौ से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र के उपरांत कई तकनीकी सत्र संपन्न हुए, जिनमें प्रतिभागियों ने विषय से संबद्ध अनेक शोध पत्र प्रस्तुत किए।रिपोर्टीयर का कार्य प्रोफेसर अमृत कुमार झा ने किया।
आगत अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ तथा मोमेंटो देकर किया गया।डॉ एकता श्रीवास्तव के संचालन में आयोजित उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो नथनी यादव ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ विजयसेन पांडे ने किया।
संविधान दिवस पर दिलायी शपथ
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में संविधान दिवस के अवसर पर डीन प्रो0 शिवाकांत झा ने आज मंगलवार को भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर शपथ दिलायी। उनके साथ साथ वहां मौजूद सभी कर्मियों ने भी प्रस्तावना को दोहराया और राष्ट्रीय एकता व अखंडता का संकल्प लिया।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि उच्च शिक्षा की निदेशिका डॉ रेखा कुमारी द्वारा जारी निर्देश के आलोक में आयोजित इस कार्यक्रम से जुड़ी अन्य गतिविधियां अगले 14 अप्रैल तक यानी अम्बेडकर जयंती तक चलेगी और संविधान में वर्णित मौलिक दायित्वों पर बल दिया जाएगा। साथ ही डीन प्रो0 झा के मुताबिक इसका प्रचार प्रसार भी किया जाएगा। पढ़ी गयी प्रस्तावना इस प्रकार है- हम भारत के लोग भारत को एक( सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य ) बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब मे व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा मे आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई0 को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म समर्पित करते हैं।
कार्यक्रम के अवसर पर कुलपति प्रो0 सर्वनारायण झा, प्रतिकुलपति प्रो0 चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह,सीसीडीसी प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी, कुलसचिव नवीन कुमार समेत सभी पदाधिकारी, शिक्षक व कर्मी मौजूद रहे।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में मनाया गया संविधान दिवस
दरभंगा : गांधी सदन के सभागार में आज मंगलवार को दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र के नेतृत्व में संविधान दिवस के अवसर पर निदेशालय के सभी कर्मियों ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन एवं संविधान के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। सहायक निदेशक ने बताया कि आज ही के दिन 26 नवंबर 1949 को बाबा भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित देश की विशाल संविधान जिसे बाबा द्वारा 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में लिखा गया है को जिस पर की हम सभी न्याय और शैक्षणिक स्तर से इस देश के प्रति निष्ठा और गरिमा को बढ़ाने का दायित्व है, उसे इस संविधान के वाचन को अपने अंतर आत्मा में कर और इसकी गरिमा को हमेशा मर्यादित कर इस देश, राज्य एवं संस्थान के प्रति निष्ठा पूर्वक सोचना नही सकारात्मक रूप से लागू भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमे संविधान के उद्देशिका में दिए गए ऐतिहासिक शब्द है परंतु हम जैसे कर्मी जो एक शिक्षण संस्थान से संबंध रखते है हमें उद्देशिका के बहुमूल्य पंक्ति ..सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, बिचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के तटस्थ रहना चाहिए।
मुरारी ठाकुर