डोरीगंज/सारण : बिहार के ऐतिहासिक नवपाषाण कालीन स्थल चिरांद में खुदाई के दौरान कुषाण काल के पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। यहां लगातार जारी खुदाई और शोध के क्रम में यह सफलता प्राप्त हुई। कुषाण काल के अवशेष चिरान्द के मुख्य खुदाई स्थल से करीब एक किलोमीटर पूरब दफ्दरपुर गांव के समीप मिले हैं। यहां दक्षिण नदी किनारे का पानी हटने पर वहां लंबे—चौड़े दीवाल के अवशेष दिखाइ दे रहे हैं। आसपास के लोगों में यह कौतूहल है कि आखिर गंगा नदी के किनारे जमीन के नीचे दबी लम्बी दीवार अचानक कहां से निकल आई?
पुरातात्विक स्थल पर व्यापक फोकस जरूरी
खबर इलाके मे आग की तरह फैली और वहां इसे देखने के लिए लोगो का हुजूम उमड़ पड़ा। दीवार के आसपास फावड़े व कुदाल से कुरेदकर जब लोगों ने देखा तो पाया कि प्राचीन समय की जमीन के अंदर अदभुत ईंटो से निर्मित लगभग 130 फीट लम्बी दीवार वहां स्थित है। स्थानीय लोगों के द्वारा ली गई मीटर माप के मुताबिक एक ईंट की लम्बाई 12 तथा चौड़ाई 18 इंच है।
ताजा अवशेष कुषाण काल के : डायरेक्टर पुरातत्व
चिरांद के समीप दफ्फदरपुर में मिली संरचना के बारे में निदेशक पुरातत्व डा॰ अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि यह पहली शताब्दी की कुषाण काल की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की संरचना का चिरांद के आस-पास लगतार मिलना यह दर्शाता है कि यहाँ एक बहुत बड़ा शहर तथा व्यापार केन्द्र रहा होगा। उन्होंने कहा की चिरांन्द में हुई पूर्व की खुदाई में भी आवासीय संरचना प्राप्त हुई थी। संभवतः यह पहली बार था कि उस आवासीय परिसर के अन्दर ही अटैच लैट्रीन-बाथरूम की संरचना थी। इससे यह पता चलता है कि उस समय के लोग स्वच्छता के प्रति कितने जागरूक थे। डा॰ वर्मा ने कहा की भविष्य में चिरांन्द के आसपास वृहद खनन कराने की अवश्कता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही एएसआई की एक टीम दफ्फदरपुर पहुंचेगी।