फीस देने में आनाकानी, जेएनयू की टुकड़े-टुकड़े मनमानी

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नयी दिल्ली/पटना : देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शुमार जेएनयू के छात्र आजादी चाह रहे हैं। वे उबले हुए हैं, गुस्से में हैं और आंदोलन कर रहे हैं। उनकी बौखलाहट का कारण फीस वृद्धि है। इस फीस वृद्धि के खिलाफ वे देश की संसद का घेराव तक करने जा पहुंचे। आइए जानते हैं जेएनयू में हुई इस फीस वृद्धि की सच्चाई। अभी 2019 में कितनी है वहां की फीस। इस वृद्धि से उनपर क्या बम फूट गया कि वे इतने आंदोलनकारी हो उठे हैं।

जेएनयू में 2019 की ताजा फीस वृद्धि से पहले तक की सेवा और उसके मूल्य पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि वहां फीस के नाम पर आज भी आजादी से पहले वाला शुल्क ही लागू है। यानी वहां हॉस्टल, मेस व अन्य सुविधाओं के नाम पर फीस लेना, कुछ भी नहीं लेने के बराबर है।

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ताजा फीस स्ट्रक्चर

                     पहले                         अब 
सिंगल रूम —— रुपया 20—————  रुपया 300
डबल रूम ——  रुपया10 ——————रुपया 150
मेंटिनेंस ——— शून्य———————   रुपया 1700
मेस ————  रुपया 3000————  रुपया 3000

जेएनयू में कमरे का किराया 10—20 रुपया क्यों?

जेएनयू के फीस स्ट्रक्चर पर नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि वहां अभी भी सन 1947 वाला ही शुल्क छात्रों से लिया जाता रहा। आज 2019 है। महंगाई और लोगों की क्रयशक्ति तथा अन्य विश्वविद्यालयों में लिये जा रहे शुल्क से इसकी तुलना करें, तो हम पाते हैं कि जेएनयू के आंदोलनकारी छात्र दरअसल सुविधाएं तो लेना चाहते हैं। लेकिन वे इसके लिए कुछ शुल्क देना नहीं चाहते। बल्कि वे शुल्क के नाम पर केवल खानापूर्ति ही चलते रहने देना चाहते हैं। और इसके बाद भी ‘भारत तेरे टुकड़े, लेकर रहेंगे आजादी, अफजल हम शर्मिंदा हैं…’ जैसी नरेबाजी और नेतागीरी।

सुशील मोदी ने शहरी नक्सलियों की करतूत कहा

इधर बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने देश के गरीब और प्रगतिशील छात्रों को जेएनयू में फीस वृद्धि का विरोध करने की आड़ में देश को अस्थिर करने की साजिश से बचने की सलाह दी है। श्री मोदी ने इस संबंध में ट्वीट कर जेएनयू के आंदोलनरत छात्रों को शहरी नक्सलियों का एजेंट कहते हुए उन्हें देश विरोधी राजनीति करने के लिए जमकर लताड़ लगाई।

सुशील मोदी ने ट्वीट में लिखा, ‘जेएनयू में फीस वृद्धि कोई इतना बड़ा मुद्दा नहीं कि जिसके लिए संसद मार्च निकाला जाए। हकीकत यह है कि जो शहरी नक्सली इस कैम्पस में बीफ पार्टी, पब्लिक किसिंग, महिषासुर महिमामंडन, स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का मानभंजन और देश के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाने जैसी गतिविधियों में लगे हुए हैं, वो अब गरीब छात्रों को गुमराह कर राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते हैं।’

बता दें कि जेएनयू के छात्र हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के कारण पिछले तीन सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों ने सोमवार को संसद सत्र के पहले ही दिन अपनी मांगों के समर्थन में संसद मार्च किया था। इस दौरान छात्रों और पुलिस में झड़प हो गई थी जिसमें कई लोग घायल हो गए थे।

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