मुंबई/नयी दिल्ली : चुनावी नतीजे आने के एक माह बाद भी महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन पाने को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए शिवसेना और भाजपा को कड़ी नसीहत दी है। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि स्वार्थ ऐसी कमजोरी है जिसे बहुत कम लोग छोड़ पाते हैं। महाराष्ट्र में सरकार गठन नहीं हो पाना इसी का दुष्परिणाम है।
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स्वार्थ ऐसी कमजोरी जो कम लोग छोड़ पाते हैं
ऐसे में स्वार्थ की बीमारी न सिर्फ लोकतांत्रिक प्रक्रिया के आड़े आ रही है, बल्कि यह हिंदुओं की एकजुटता के लिए भी बड़ा खतरा बन गई है। श्री भागवत ने कहा कि देश का उदाहरण लीजिए या व्यक्तियों का। सभी मनुष्य जानते हैं कि प्रकृति को नष्ट करने से हम नष्ट हो जाएंगे। पर प्रकृति को नष्ट करने का काम थमा नहीं। सब जानते हैं कि आपस में झगड़ा करने से दोनों की हानि होती है। लेकिन आपस में झगड़ा करने की बात अभी तक बंद नहीं हुई।
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हिंदुओं के बंटने के खतरे से भागवत चिंतित
संघ प्रमुख के इस बयान को शिवसेना और भाजपा दोनों के लिए नसीहत के रूप में देखा जा रहा है। उनके कहने का तत्पर्य यही था कि मुख्यमंत्री पद पाने की जिद में शिवसेना ने एनडीए को बहुमत मिलने के बावजूद भाजपा का साथ छोड़ दिया। वहीं, भाजपा की तरफ से भी फिलहाल दोस्ती की कोई कोशिश होती नहीं दिख रही। ऐसे में हिंदुओं के महाराष्ट्र की राजनीति में वैचारिक स्तर पर बंट जाने का खतरा संघ प्रमुख को दिख रहा है। यह स्थिति उनके लिए ठीक नहीं होगी।