गया : पितृपक्ष मेले के अवसर पर मोक्षधाम गया आने से पूर्व ऐसी मान्यता है कि गया श्राद्ध करने से पूर्व पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान करना चाहिए। शास्रों के अनुसार पितरों को बिहार की राजधानी पटना से रेलमार्ग एवं सड़क मार्ग से लगभग 18—20 किलोमीटर की दूरी पर पुनपुन घाट तट पर पहला पिंड एवं दूसरा जहानाबाद से करीब 20 किलोमीटर पश्चिम किंजर में तथा तीसरा पिंड गया—मुगलसराय रेलमार्ग पर अनुग्रह नारायण रोड स्थित जम्होर में एवं चौथा पिंड गया से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गया—दाउदनगर पथ पर स्थित देवहरा में देने का विधान है। बताया जाता है कि पुनपुन नदी तट पर प्रथम पिंड दान का विधान है। पुनपुन घाट पर ही क्षौर कर्म कराना चाहिए।
महान कर्मकांडी आचार्य श्री अवधेश मिश्र बैरागी जी कहते हैं ” मुंड नम, सुख वासम च सर्व वृद्धि स्वयं भी सर्व जैसवा कुरुक्षेत्त्रे विशालामवृजाम गया:”। गयाजी में मुंडन संस्कार वर्जित है। अनंत चतुर्दशी से पुनपुन तट पर पिंडदान प्रारंभ हो जाता है। उसके बाद ही गया में श्राद्ध कर्म प्रारंभ किया जाता है!
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