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अयोध्या फैसले के बाद क्या ओवैसी लेंगे लीड ?

दशकों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर आज शनिवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राममंदिर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त कर दिया। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने साफ कहा कि हिन्दुओं की आस्था और विश्वास है कि भगवान राम का जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। सुप्रीम अदालत ने अयोध्या मामले पर ASI की रिपोर्ट को आधार बनाया और कहा कि उसकी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष आया था कि यहां मंदिर था और इसके होने के सबूत मिले हैं।

वहीँ इस फैसले पर देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां स्वागत कर रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कोर्ट ने सभी पक्षों द्वारा रखे तर्कों का मूल्यांकन किया। धैर्यपूर्वक इस दीर्घ मंथन को चलाकर सत्य व न्याय को उजागर करने वाले सभी न्यायमूर्ति तथा सभी पक्षों के अधिवक्ताओं का हम शतशः धन्यवाद व अभिनंदन करते हैं। इस लम्बे प्रयास में अनेक प्रकार से योगदान देने वाले सभी सहयोगियों व बलिदानियों का हम कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि कानूनी विवाद के लिए प्रयासरत; सभी संस्थाएं, पूरे देश का संत समाज और अनगिनत अज्ञात लोगों जिन्होंने इतने वर्षों तक इसके प्रयास किया मैं उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।

वहीँ कुछ राजनीतिक पार्टियां फैसले की आड़ में अपने वोट बैंक का विशेष ख्याल रख रहे हैं। इस फैसले के बाद से वोटो का ध्रुवीकरण तय माना जा रहा है। क्योंकि राममंदिर हमेशा से भाजपा का मुद्दा रहा है तथा सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले समय में भाजपा को बहुत फायदा पहुंचा सकती है। तथा इसका परिणाम आने वाले कुछ सालों तक देखने को मिल सकता है।

फैसले से संतुष्ट नहीं हैं

लेकिन, वहीँ असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने में सफल होती दिख रही है। क्योंकि ओवैसी का कहना है कि हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। जबकि अन्य सभी राजनीतिक दल चाहते और ना चाहते हुए भी स्वागत कर रहे हैं।

कांग्रेस , राजद व जदयू के वोटबैंक में सेंधमारी

ओवैसी के इस बयान के बाद यह संभव है कि जो भी मुस्लिम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं उनका स्वाभाविक मिलन ओवैसी की पार्टी के साथ हो सकता है। जिसका उदाहरण यह है कि जिस तरह से भाजपा हिंदुत्व की बात करती है उसी तरह एआईएमआईएम इस्लाम की बात करती है। इसलिए मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन एआईएमआईएम को मिल रहा है। नतीजों पर गौर करें तो 2019 के बिहार उपचुनाव में कांग्रेस व राजद का गढ़ कहा जाने वाला किशनगंज सीट पर एआईएमआईएम उम्मीदवार ने शानदार जीत मिली थी।