पटना : जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी के नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले बयान को राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने 12 घंटे के अंदर ही खारिज कर दिया। इस तरह बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही क्षेत्रीय पार्टी के जदयू के केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने की अटकलबाजियां समाप्त हो गयी। लेकिन, बिहार की राजनीति को लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी हैं।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर दूसरी बार काबिज होने के बाद दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए जदयू प्रवक्ता ने दो बातें प्रमुखता से कही थी। पहली बात थी मंत्रिमंडल में शामिल होने की। वहीं दूसरी बात थी कि बिहार में एनआरसी की कोई आवश्यकता नहीं है। बिहार में बाहर का कोई भी नहीं है। जबकि कई सर्वे बताते हैं कि बिहार के किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, सीतामढ़ी जैसे कई जिलों में लाखों की संख्या में बांग्लादेशी रह रहे हैं।
मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपने ही प्रवक्ता की पहली बात को अत्यंत तल्ख लहजे में खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं हुई है और मंत्रिपरिषद में शामिल होने की बात फालतू है। इतना ही नहीं जदयू के महासचिव पवन वर्मा ने भी केसी त्यागी की बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि केंद्र की सरकार में शामिल होने के लिए हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जरूर अमल करेंगे।
नीतीश कुमार ने अपने प्रवक्ता के एनआरसी वाले बयान पर कुछ नहीं कहा। इसका मतलब यह कि वह एनडीए के अपने साथी भाजपा के साथ दूरी बनाए रखने के मूड में हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भारत में रह रहे विदेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें अलग करने की बात पर अड़े हुए हैं। भाजपा के मातृसंगठन व उससे जुड़े अन्य संगठन भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ दृढ़ खड़े हैं।